‘क्या आपने मेरा टिकट करा दिया………?’ प्रिया ने विशाल से फोन पर पूछा।
‘नहीं अभी नहीं कराया है; अभी तो काफी दिन है मैं कर दूँगा, आज बहुत बिजी था।’ विशाल ने जवाब दिया।
‘प्लीज आप जल्दी कर दीजिए वरना टिकट नहीं मिलेगा।’ प्रिया ने फोन रखने से पहले एक बार फिर से कहा।
फोन रखते घर की घंटी बजी।
‘अभी इस समय कौन आ गया……..?’ प्रिया ने खुद से कहा और दरवाजा खोलने चली गई।
बाहर स्विग्गी वाला ऑर्डर लेकर खड़ा था, वह बोला, ‘आपका ऑर्डर मैम।’
‘मैंने तो कुछ नहीं मंगाया।’ प्रिया ने आश्चर्य के साथ कहा।
‘अरे नहीं मैंम आपके घर का एड्रेस है………’ स्विग्गी वाला बोला।
‘अरे पर………’ बोलते बोलते प्रिया रुक गई, उसको याद आ गया कि कहीं उसकी बेटी ने हॉस्टल में बैठे-बैठे कुछ ऑर्डर तो नहीं कर दिया, क्योंकि वो अक्सर ऐसा ही करती है; शाम के टाइम कुछ न कुछ खाने का ऑर्डर कर देती है क्योकि उसको लगता है मम्मी का मन कर रहा होगा और वह मम्मी की चटोरी जुबान को भी जानती है।
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इतने में उसकी बेटी का फोन आ गया और वो बोली, ‘मम्मी मैं आपके लिए………’
प्रिया ने उसको बीच में ही रोक दिया और बोली, ‘हाँ-हाँ मैं जानती हूँ तूने कुछ भेजा है; वही ले रही हूँ।’
‘आर्डर में आपके लिए आलू टिक्की भेजी है; एकदम तीखी खट्टी, आपको मजा आ जाएगा।’ बेटी चहकते हुए बोली।
‘अरे वाह, मेरी माता जी, बहुत-बहुत थैंक यू।’ प्रिया हँस कर बोली।
जब भी उसकी बेटी उसका बहुत ध्यान रखती है तो प्रिया उसे माता जी कहकर बुलाती है।
‘अच्छा सुन बेटा; तेरी मीरा मौसी है ना, उनकी बेटी की शादी है, मैं उसमें जाऊंगी, इसलिए अभी कुछ दिन मेरे लिए कुछ नाश्ता मत भेजना ज्यादातर टाइम घर बंद मिलेगा, तेरे पापा दिन में ऑफिस में होंगे।’ प्रिया स्विग्गी वाले से खाने का पैकेट लेते हुए बोली।
‘हाँ मम्मी मुझे पता है कि आप शादी में जाने वाली है।’ बेटी हँसते हुए बोली, ‘और आप तो कुछ ज्यादा ही उत्साहित है, इतना उत्साहित तो शायद मीरा मौसी भी नहीं होगी।’
‘अच्छा चुप कर कुछ भी बोलती रहती है।’ प्रिया ने बेटी को डांट लगा दी और हाथ में चटपटा पार्सल लिए हुए घर के अंदर आ गई।
टिक्की खाते हुए वह सोच रही थी कि समय कैसे पंख लगा कर उड़ गया, अभी कल की ही बात है उन चार सहेलियों के ग्रुप में सबसे पहले शादी मीरा की हुई थी और शादी के बाद मीरा पहली बार घर आई तो वह तीनों सहेलियां उससे मिलने गई थी ,सभी उसका साज-सिंगार निहार रही थी क्योंकि उस समय लड़कियों को इतना मेकअप करने की परमिशन नहीं होती थी पर मीरा शादी होकर आई थी इसलिए वह खनकती चूड़ियां बड़ी सी बिंदी के साथ बैठी थी और तीनों लड़कियों को वह बहुत अच्छी लग रही थी।
वो तीनों उसको छेड़ रही थी, ससुराल की बातें पूछना चाह रही थी पर मीरा ने कहा, ‘तुम लोग ना मुझसे कुछ भी पूछने की कोशिश मत करो मैं कुछ नहीं बताऊंगी। मेरा तुम लोगों को बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं है।’
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मीरा ने सबके मुँह पर ताला लगा दिया था। फिर उस दिन मीरा ने कहा, ‘यार मेरी शादी तो हो गई है और तुम लोगों की भी होगी; देखा ना मेरी शादी में कितना काम था, मम्मी, पापा, भैया सब दौड़ते-दौड़ते थक गए। हम लोग एक वादा करते हैं, जब हमारे बच्चों की शादी होगी तो हम पहले से सब सहेलियां शादी से पहले ही आ जाएंगी और सारा काम हाथ में ले लेंगी क्योंकि हम तो बहनों से बढ़कर हैं।’
‘हाँ हाँ, ठीक है यही करेंगे।’
उस दिन सब ने एक सुर में यह वादा किया और अपने-अपने घर चली आई थी।
उसी वादे को निभाने के लिए प्रिया कुछ दिन पहले ही मीरा के घर जाना चाहती थी। शादी के बाद कुछ सालों तक सभी सहेलियां लगभग एक ही टाइम पर अपने-अपने मायके आ जाती और उन सबका मिलना-जुलना होता रहता था, फिर धीरे-धीरे बच्चे हो गए जिम्मेदारियां बढ़ गई और सब के आने-जाने का टाइम भी कम और अनिश्चित हो गया, इसलिए मुलाकातें भी कम होती गई।
धीरे-धीरे थोड़ा बहुत मिलना जुलना भी बंद हो गया पर भला हो इस इंटरनेट का, व्हाट्सएप का, सब फिर से मिल गए हैं, फिर से बचपन के दिन जीने लगे हैं । उन चारों ने अपना एक अलग व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है; जहाँ अक्सर सबसे बातें होती रहती है। यही सब सोचते-सोचते प्रिया का मन थोड़ा उदास हो गया कभी-कभी ऐसा क्यों लगता है कि अब दोस्ती में पहली वाली बात नहीं रही; कई बार ग्रुप में कई दिन तक कोई कुछ बोलता ही नहीं है। जैसे सब ने अपनी-अपनी अलग दुनिया बसा ली है। वैसे यह बात नॉर्मल भी है, सबकी अलग-अलग दुनिया बस गई है लेकिन बचपन की दोस्ती भी कोई चीज है या नहीं।
आज प्रिया घर के काम निपटाते हुए रात के खाने की तैयारी करते हुए बस यही सब सोच रही है। अचानक से उसने सोचा कि शादी के कार्यक्रम से कुछ पहले मीरा के घर जाकर उसको सरप्राइज दिया जाए। उसने ग्रुप में कोई बात नहीं की सोचा बाकी की दोनों लड़कियों से फोन पर अलग-अलग बात करेगी।
प्रिया ने सीमा को फोन लगाया और बोली, ‘सीमा तो फिर कब जा रही है तू मीरा के यहाँ…….?’
‘अरे यार मैं तो शायद नहीं जा पाऊंगी क्योंकि एक तो इनका ऑफिस में बहुत काम है, दूसरा यह कह रहे थे कि उसने सिर्फ व्हाट्सएप पर कार्ड भेजा है, घर में कार्ड तक नहीं भेजा तो इनको इस तरह आमंत्रित किया जाना अच्छा नहीं लग रहा है।’ सीमा ने अपनी और अपने पति की उलझन के बारे में बताया।
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‘लेकिन आजकल सभी लोग मोस्टली व्हाट्सएप पर आमंत्रण कॉर्ड भेजते हैं…….’ प्रिया ने प्रतिवाद किया।
‘हाँ यार पर यह बोल रहे थे कि ऐसा तो कोविड में ज्यादा चलता था पर अब वैसा नहीं है और खास लोगों को तो कार्ड भेजा जाता है या फिर फोन पर अच्छे से आमंत्रित किया जाता है । मीरा ने तो एक बार फोन भी नहीं किया ।’ सीमा ने कहा।
प्रिया ने थोड़ा उदास मन से फोन रख दिया फिर शिल्पा को फोन लगाया और पूछा, ‘शिल्पा तू मीरा के यहाँ शादी में कब जा रही है……..?’
शिल्पा ने जवाब दिया, ‘यह कब क्या? शादी के दिन ही जाऊंगी या हद से हद एक दिन पहले चली जाऊंगी। मैं तो अकेले ही जाऊंगी इनको तो बहुत काम है इसलिए यह तो मना ही कर रहे जाने के लिए।‘
‘अरे क्यों तुम्हें याद नहीं है क्या कि हमने वादा किया था कि हम शादी में थोड़े दिन पहले जाएंगे एक दूसरे का हाथ बटायेंगे…….?’ प्रिया ने याद दिलाया।
‘कौन सा वादा…….?’ शिल्पा ने पुछा।
‘अरे तू भूल गई जब मीरा शादी होकर पहली बार आई थी तब हम सब ने वादा किया था………’
शिल्पा जोर से हंसी और बोली, ‘तू भी ना कैसे बच्चों जैसी बातें करती है, बचपन की बात को अभी तक लेकर बैठी है आजकल कौन जा पाता है इतने दिन पहले…..?’
प्रिया को अब खुद ही शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है वह अधिक भावुकता में वहाँ जा रही है, इन लोगों को तो वादे की बात याद भी नहीं है, खैर देखते है क्या होगा मैं तो जाती हूँ अपना वादा निभाने, देखना मीरा एकदम हैरान हो जाएगी और खुश भी हो जाएगी कि मैं उस बात को अब तक याद रखा।
ट्रेन से उतरकर प्रिया ने ओला से कैब बुला लिया और मीरा का एड्रेस बता दिया उसने मीरा को फोन तक नहीं किया क्योंकि वह सरप्राइज देना चाहती है पर अभी उसे लग रहा है अगर मीरा घर में नहीं मिली तो क्या करेगी।
मीरा के घर के सामने टैक्सी रुकी तो प्रिया खुश हो गई, काफी आलीशान घर था उसने गेट पर लगी बेल बजाई तो देखा मेंन गेट खुला हुआ है वह अंदर चली गई तब तक किसी महिला ने दरवाजा खोला।
प्रिया ने पूछा, ‘मीरा है, मैं उसकी सहेली हूँ?’
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महिला ने प्रिया की तरफ आश्चर्य से देखा और बोली, ‘ओके मैडम अभी बुलाती हूँ।’
शायद वह उसके घर की मेड होगी। थोड़ी देर में मीरा आ गई और प्रिया को देख कर बहुत खुश हुई। उसने प्रिया को गले लगा लिया। दोनों अंदर आ गई प्रिया सोफे पर बैठ गई मीरा ने उस महिला को आवाज दी, ‘रमिया…….मिठाई और पानी लेकर आओ मेरी सहेली आई है।’
चाय पीते हुए मीरा ने कहा, ‘तुझे याद है ना 29 तारीख की शादी है कि भूल गई?’
‘अरे भूल कैसे जाऊंगी बिल्कुल याद है तभी तो आई हूँ।’ प्रिया ने जवाब दिया।
प्रिया को मीरा के कहने का अंदाज कुछ अच्छा नहीं लगा और उसने पहले आने का वादा निभाने की बात का जिक्र नहीं किया क्योंकि बाकी दोनों सहेलियों की बात से उसको लग गया था कि कहीं ऐसा ना हो मीरा भी भूल ही गई हो मीरा ने भी कोई जिक्र नहीं किया।
चाय पीते हुए मीरा बोली, ‘यार प्रिया मुझे तेरे जीजा जी के साथ उनके ऑफिस की एक पार्टी में जाना है तो रात को तुझे अकेले ही रुकना पड़ेगा, तुम अपना मनपसंद खाना रमिया से बनवा लेना; अब सुबह मुलाकात होगी।’
‘अरे सुबह क्यों…….?’ प्रिया के चेहरे पर यही भाव आए।
प्रिया के चेहरे के भावो को समझते हुए मीरा बोली, ‘क्योंकि सिद्ध ऑफिस से ही पार्टी में आ जाएंगे और पार्टी में कितना टाइम लग जाए वो कहना मुश्किल है इसलिए कह रही हूँ कि अब सुबह मुलाकात होगी।’
‘हाँ तो ठीक है ना मैं तुम लोगों का इंतजार करूंगी।’ प्रिया उदास सी बोली।
‘अरे नहीं नहीं, तुम थक गई हो, तुम सो जाना और हम लोग भी पार्टी से थके हुए आएंगे तो बात करने में मजा भी नहीं आएगा।’ मीरा कहते हुए पार्टी के लिए तैयार होने चली गई।
प्रिया को थोड़ा अजीब लगा कि समय के साथ इंसान का व्यवहार थोड़ा बदल सा जाता है।
मीरा तैयार होने चली गई तो प्रिया भी उसके साथ ही आ बैठी और इधर-उधर की बातें करने लगी। बीच-बीच में उसको कुछ उठाकर दे देती है कभी सेफ्टी पिन कभी हेयर पिन। मीरा तैयार होते-होते उसकी बातें सुन भी रही है या नहीं यह प्रिया को समझ नहीं आ रहा था।
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अचानक से मीरा का कोई फोन आ गया उसने स्पीकर पर डाल दिया और बात करने लगी सामने से कोई महिला बोल रही थी वह महिला बोली सुनो एक बार शादी का वेन्यू ठीक से बता दो व्हाट्सएप का डिलीट हो गया है तो मीरा बोली, ‘अरे अभी तुम लोगों तक कार्ड पहुंचा नहीं उसमें सब क्लियर लिखा हुआ है?’
‘हाँ तूने बोला था कि तूने कार्ड भेजा है इसलिए मैंने दोबारा जिक्र नहीं किया पर कार्ड नहीं पहुँचा।’ दूसरी तरफ से उस महिला की आवाज आई।
‘पर सभी खास खास लोगों को कार्ड बहुत दिन पहले ही भेज दिया है क्यों नहीं पँहुचा आज ही मैं उनसे ट्रैक करवाती हूँ।’ मीरा बोली
‘ओके ठीक है।’ दूसरी तरफ से आवाज आई।
मीरा फोन पर बात कर रही थी तो प्रिया कमरे से बाहर आ गई क्योंकि उसने सुन लिया था कि सभी खास-खास लोगों को कार्ड भेज दिया है। यह बात प्रिया को अच्छी नहीं लग रही थी इसलिए वह बाहर आ गई। उसके मन को यह बात कचोट रही थी कि सभी खास-खास लोगों को कार्ड भेज दिया है।
प्रिया को लग रहा था कि क्या वह खास लोगों में नहीं आती है। उसको तो सिर्फ व्हाट्सएप कार्ड ही भेजा था मीरा ने।
मीरा तैयार होकर बाहर आ गई और चलने को हुई तो प्रिया बोली, ‘अच्छा तू जा रही है पीछे से कोई काम हो तो मुझे बता दे शादी वाले घर में बहुत काम होते हैं।’
‘अरे यार तू आराम से खाना खा और आराम कर, कोई काम नहीं है अभी तो कई दिन बचे है, वैसे आजकल तो इवेंट मैनेजर को सब दे दिया जाता है, इतने सारे काम होते भी नहीं है और अभी तो छोटी बेटी भी हॉस्टल से नहीं आई है, वह भी दो-तीन दिन के बाद आएगी, दुल्हन भी परसो कल आएगी अपनी जॉब से’ कहकर मीरा पार्टी में जाने के लिए निकल गई।
दुल्हन से उसका मतलब था जिस बेटी की शादी है वो।
प्रिया कमरे में जाकर आराम करने लगी पर उसको माहौल बहुत अजीब लग रहा था इतने दिनों बाद वो मीरा से मिली है लेकिन उसने कितनी आसानी से कह दिया कि अब सुबह ही मिलेंगे और वह कार्ड वाली बात तो उसको बहुत ही बुरी लग रही थी। उसके कानों में बार-बार उसके हस्बैंड की कही हुई बात गूँज रही थी कि प्रिया तुम बहुत भावुक हो कई बार भावुकता में आकर गलत निर्णय ले लेती हो, तुम्हें थोड़ा प्रेक्टिकल भी होना चाहिए।
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प्रिया को लग रहा था कि क्या इस बार भी उसने गलत निर्णय ले लिया है।
प्रिया ने अपने आप से कहा, ‘प्रिया जी तुम्हें मम्मी पापा ने अच्छे संस्कार दिए हैं तुम भावुक होना तो जानती हो लेकिन अगर तुम्हारा कहीं अपमान हो रहा हो तो तुम अपने दिमाग पर दिल को हावी नहीं होने दोगी क्योंकि सेल्फ रिस्पेक्ट बहुत बड़ी चीज है जिसके साथ समझौता नहीं करना चाहिए और तुम करोगी भी नहीं।
प्रिया को रात भर नींद नहीं आई थी। इसलिए उसको उठने में थोड़ी देर हो गई और वह पूरा तैयार होकर बाहर आई ,उसने देखा मीरा और उसके हस्बैंड चाय पी रहे थे। उसने मीरा के हस्बैंड को नमस्ते किया और मीरा से गुड मॉर्निंग बोला।
‘प्रिया जी आपसे बहुत सालों के बाद मुलाकात हुई।’ मीरा के हस्बैंड ने कहा।
‘जी जीजा जी, सही कह रहे हैं।’ प्रिया हँस कर बोली, ‘मीरा सुन मुझे तुझसे कुछ बात करनी है।’
‘हाँ पहले तू चाय पी ले, यह ऑफिस चले जाएं फिर हम आराम से बात करेंगे।’ मीरा बोली।
‘नहीं नहीं मेरे पास इतना टाइम नहीं है दरअसल रात को ही उनका फोन आया था बहुत जरूरी काम है इसलिए मुझे वापस जाना पड़ेगा मैंने टैक्सी बुक कर दी है अभी आती होगी।’ प्रिया बोली।
‘अरे इतना क्या जरूरी काम है……..कोई चिंता की बात तो नहीं?’ मीरा बोली
‘नहीं चिंता की बात नहीं है, कुछ इंपॉर्टेंट काम है जहां मेरे साइन की जरूरत है इसलिए मुझे जाना पड़ेगा।’
‘घर तक टैक्सी से जाएगी?’ मीरा ने पूछा।
‘हाँ क्योंकि ट्रेन शाम को है और मैं पूरा दिन नहीं रुक सकती।’ प्रिया ने जवाब दिया।
‘ठीक है अब तूने टैक्सी बुक कर दी है तो मैं क्या बोल सकती हूँ।’ मीरा बोली और उसने रमिया को आवाज देकर कहा कि प्रिया मैडम के लिए कुछ नाश्ता पैक कर दो।
प्रिया ने उसकी बात को बीच में ही टोक दिया, ‘नहीं-नहीं नाश्ता की जरूरत नहीं मैं रास्ते में कुछ खा लूंगी और हाँ मुझे शादी का वैन्यू ठीक से भेज देना; मैं शादी के दिन कोशिश करूंगी।’
प्रिया का मन नहीं माना इसलिए उसने यह बात कह दी कि वह देखना चाहती थी वह मैसेज करेगी या नहीं। टैक्सी में बैठने के बाद मीरा का दिल बहुत भारी है लेकिन दिमाग शांत है।
प्रिया यही सोच रही है कि यह तो उसने वही बात कर दी बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। यहाँ किसी को उसकी परवाह भी नहीं और वह इतने दिन पहले आ गई शायद सही कहा था शिल्पा ने आजकल कौन इतने दिन पहले जाता है किसी के यहाँ, शायद वही बेवकूफ है समय से पीछे चलने वाली।
मौलिक/स्वरचित
शालिनी दीक्षित