तूलिका सुबह से तरह – तरह के व्यंजन बनाने में लगी थी । यूँ तो दिल से बुरी नहीं थी वो पर ससुराल वालों के पुराने व्यवहार की टीस उसे कभी – कभी बुरा बनने पर मजबूर कर देती थी । आज तूलिका की सासु माँ पूर्णिमा जी और अविवाहित ननद कृति आने वाले थे । तूलिका के पति चिराग ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे
पर योजना पहले ही बनी हुई थी कि मम्मी को स्टेशन से घर पहुंचाकर वो ऑफिस निकल जाएँगे । नाश्ता करके चिराग निकल ही रहे थे कि तूलिका ने पूछा..” क्या प्लान है, कल रात से पूछ रही हूँ मम्मी जी पहले मेरे घर आएँगी या आपके विकास भैया के घर जाएंगी, आप खुल के बता क्यों नहीं रहे ?
रात से यही तमाशा जारी था । चिराग ने मुँह पर चुप्पी साध रखी थी । अब जब वो लंच उठाकर निकलने लगा तो बहुत हिम्मत करके मजबूती से तूलिका ने हाथ पकड़ कर रोका । बिना जवाब दिए नहीं जाने दूँगी आज । चिराग ने हाथ छुड़ाते हुए कहा..”मम्मी वहाँ विकास भैया के पास क्यों जाएंगी
, हमारे यहाँ आती हैं न ? तो यहीं आएँगी । अब बालों को जुड़ा समेटकर पसीना पोछते हुए झल्लाकर बोलने लगी तूलिका..”साल भर में दो बार आती हैं मम्मी जी, एक बार गर्मी और एक बार ठंडी की छुट्टी में कभी वहाँ क्यों नहीं जातीं। बड़ी भाभी सिर्फ आराम फरमाने के लिए हैं क्या काम करके देने के लिए और सबकी सेवा करने के लिए मैं हूँ ?
भाभी की सिर्फ तारीफें करती हैं सबके सामने और मेरे हर काम मे मीन- मेख निकालती हैं । बारह साल हो गए मेरी शादी को, तब से वो लगातार मुझ पर बस शासन ही कर रही हैं, हर दिन टूट के जुड़ती हूँ मैं पर उनके नियम कभी खत्म ही नहीं होते मेरे लिए और तो और बेटी को भी आराम फरमाना सिखा दिया है , नौकरानी हूँ मैं क्या ?
चिराग को इकलौती बहन की बात सुनकर और ज्यादा गुस्सा आने लगा । उसने तैश में आकर हाथ ही उठाने को सोचा कि तब तक तूलिका ने रोकते हुए कहा..”पहले अपनी मम्मी और बहन को देख़ो कितनी सही हैं, तब मुझ पे हाथ उठाना, बहुत आपलोगों की मनमानी सह ली ।
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चिराग ने कहा..”कृति की अभी शादी नहीं हुई है, बच्ची ही है अभी, ससुराल जाएगी तो सीख जाएगी काम, नाज़ों में पली है तो थोड़ा प्यार – दुलार उसके लिए ज्यादा है । सिर पकड़ कर बैठ गयी तूलिका और बोलने लगी ..”बस इसलिए चुप नहीं रहूँगी की भाभी पार्लर चलाती हैं, आत्मनिर्भर हैं । पैसे कमाकर मम्मी जी के हाथ में नहीं रख देती हैं । वैसे तो बहुत पैसे वाली दिखाती हैं पर
सारे सामान उन्हें घर से चाहिए एक दिन भी उनके पास रुकती नहीं हैं मम्मी जी सामान लेकर सब कुछ जाती हैं और पाँच घण्टे मुश्किल से रुकती हैं तुरन्त मेरे पास आ जाती हैं । लगातार बोलती जा रही थी तूलिका, चिराग के पास सुनने के अलावा कोई रास्ता नहीं था ।और रही बात कृति की, तो मेरे नज़रिए से भी देखिए
आप मेरी शादी के वक़्त वो पन्द्रह साल की थी और आज सत्ताईस साल की, लेकिन उसकी शादी के दूर -दूर तक चर्चे नहीं । जिसकी आदत मायके में नहीं करने की वो ससुराल में अचानक से क्या चमत्कार कर लेगी ? मैंने तेईस साल में अपनी पूरी गृहस्थी सम्भाल ली थी, माँ – बाप ने कम उम्र में शादी कर दी तो मैं उम्रदराज हो गयी और वो अभी तक बैठी है
इस उम्र में तो बच्ची है, ये कैसा न्याय कर रहे आपलोग ? अब सुमित का भी सिर दर्द से तन रहा था वो बिना कुछ आगे बोले सामान उठाकर निकल गया । भागते हुए फोन देखा तो आधे घण्टे में ट्रेन स्टेशन पर लगने वाली थी । उसने अपनी रफ्तार पकड़ी और गाड़ी में बैठा । उतनी ही तेज़ कदमों से तूलिका भी लॉन में आकर चिल्लाई जो कहा है उसे सोचना जरूर ।
गाड़ी स्टार्ट करने के मुश्किल से पाँच मिनट बाद ही तूलिका की कही बात चिराग के मन में घूमने लगी , वो कितना कोशिश कर रहा था बातों के उलझन से निकलने का पर सारी बातें और तूलिका का ससुराल के प्रति समर्पण देख वो मजबूरीवश विवश हो गया उसके हित में न्याय करने के लिए । सोचते – सोचते वो स्टेशन पहुंच गया और गाड़ी पार्क करके मम्मी और बहन के साथ गाड़ी में बैठ गया ।
चिराग की मम्मी और बहन बीच – बीच मे बातें कर रही थीं पर चिराग कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था । उसे बहुत मलाल हो रहा था तूलिका पर हाथ उठाने का । इधर – उधर की बातें करने के बाद आखिर चिराग की मम्मी ने तंज कसते हुए पूछ ही लिया चिराग से की आजकल बहु फ्री नहीं रहती क्या, या मायके में दिन भर व्यस्त रहती है बात करने में ? ऐसे ही फिर #रिश्तों में बढ़ती दूरियां चाहकर भी लोगों को बाद में एक नहीं कर पातीं ।चिराग ने पहले शांत रहना उचित समझा । फिर थोड़ी ही देर में कृति ने पूछ लिया कभी भाभी से बोला करो भैया हमें भी फोन मिला लिया करें दिन भर तो फ्री ही रहती हैं ।
अब चिराग ने चीखते हुए कहा..”चुप रहो ! उसकी गृहस्थी है तो वो फ्री बैठी रहती है और तुम इस उम्र में शादी न करके सबको परेशान कर रही हो तो तुम बच्ची बनी हुई हो ?
चिराग की मम्मी को समझ नहीं आ रहा था वो क्यों इस तरह की बातें कर रहा था जैसे ही वो कृति के पक्ष में कुछ बोलतीं चिराग ने कहा..और..आप मम्मी ! आपने कितनी बार तूलिका को कॉल किया मुझे बताइए आप , कब उसने फोन नहीं उठाया । वो नहीं कर रही है तो आप कहाँ उसे पूछ रही हैं । #रिश्तों में बढ़ती दूरियाँ जो हैं उसका कारण कोई एक व्यक्ति कभी नहीं होता । हाँ इतना जरूर है कि कोई दोष दूसरे पर डाल देता है कोई सामने वाले को सुना देता है, और अंदर अंदर जो करके घुट रहा है उसके बारे में आप क्या कहेंगी ?
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अब पूरे रास्ते सन्नाटे में सब घर पहुंच गए ।
गाड़ी से उतरते ही चिराग की मम्मी ने चिराग के पापा को फोन करके कहा…”नहीं रहना चाहती हूँ यहाँ, आप दो दिन बाद का टिकट देखिए और हमें ले जाइए । इससे अच्छी तो लता है, वो हमें कभी कुछ नहीं बोलती । चिराग ने मम्मी के कंधे पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा…”मम्मी! आपको क्या समस्या है, बार – बार इस तरह से आप आकर तूलिका को दुःखी क्यों करती हैं ?
चिराग की मम्मी ने बिना जवाब दिए मुँह घुमा लिया और घर के अंदर पहुंचते ही तूलिका ने चाय और पकौड़े परोस दिए ।कृति ने तूलिका से बोला..भाभी ! मेरे बैग से लैपटॉप, एक गिलास पानी और दवा भी निकाल के ला दो । चिराग पीछे पलट कर देखा फिर चुपचाप निकल लिया ।
दिनभर खाने पीने के बाद चिराग की मम्मी और बहन एक ही कमरे में लेटी रहीं और कभी बड़ी बहू कभी अन्य रिश्तेदारों से बात करते रहीं । तूलिका मशीन की तरह लगी रही कामों में ।
चिराग के ऑफिस से आने का समय हो गया था । कृति लेटकर टी.वी देख रही थी अपनी नौ वर्ष की भतीजी के साथ । चिराग की गाड़ी बंद होने की आवाज़ सुनकर चिराग की मम्मी रसोई जाकर तूलिका से बोलने लगीं..”थक जाओगी बहू ! मैं ढोकले बना देती हूँ तुम चाय बना लो । तूलिका ने मुस्कुराते हुए कहा…”आप बैठिए मम्मी जी !
इन्हें दिखाने की जरूरत नहीं है वो जानते हैं आप क्या काम करती हैं । चिराग की मम्मी का चेहरा उतर गया और अंदर से गुस्सा आ रही थी । कृति ने बोला ..भाभी ! मेरे ढोकले में चाशनी और तड़का करके देना । चिराग ने नाराज़गी दिखाते हुए कहा..” कभी दूसरों को आर्डर देने की जगह खुद भी उठकर कर लिया करो ।अब जल्दी से चिराग की मम्मी ने फोन लगाकर
चिराग के पापा को कहा बात करने । चिराग ने बोला..”जी पापा ! तो उधर से पापा बोल रहे थे बेटा क्या समस्या हो रही है, क्यों बर्ताव कर रहे हो अपनी माँ के साथ ऐसे ? और तूलिका को भी ट्रैक पर लाओ , घर को भी बना कर रखना है । #ये रिश्तों में बढ़ती दूरियाँ कहीं रिश्तों को तोड़ न दें ।
पापा ! बस करिए अब इससे ज्यादा नहीं सह पाऊँगा । किस परिवार को बचाने की बात कर रहे हैं आप । मम्मी और कृति के आदतों की वजह से मेरी गृहस्थी बर्बाद हो रही है । हर बार सिर्फ एक ही इंसान भुक्तभोगी क्यों बने ? मम्मी खाती यहां का है और गाती गुणगान हमेशा बड़ी भाभी का है । जाए न फिर वहीं चेकप कराने और फिर उल्टा सुनाती है वो कोई जवाब नहीं देती ।बारह सालों में मुश्किल से मम्मी वहां एक महीने भी नहीं रही है वहीं क्यों नहीं जाती चेकप कराने । कृति और चिराग की मम्मी को मानो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गयी ।
चिराग के पापा ने बोला..उसकी तरफ से मैं माफी मांगता हूं बेटा ! चिराग ने चिढ़ते हुए कहा..बस पापा ! हर बार ये एक इंसान पर ज्यादती बंद करिए बहुत सुन लिया आपकी बात, अपने गृहस्थी में आग लगाकर अब कुछ नहीं करूंगा । मम्मी की हरकतों को देख कर हर बार आप अनभिज्ञ बनते हैं अब नहीं झेल सकता इतना ।
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गुस्से में तमतमाते हुए चिराग की मम्मी उठीं और बैग से निकाले हुए सामान समेट कर गुस्से में जाने की तैयारी करने लगीं । चिराग ने भी मम्मी को जाते जाते बोल दिया..”एकतरफा बहुत चला लिया मम्मी और हर बार ये नहीं होगा, कभी आपलोग भी अपनापन दिखाइए एक आदमी कब तक करे और सुनता रहे उससे बेहतर है जो अच्छा लगता है उसके पास जाइये और चिराग ने विकास भैया को फोन कर दिया ले जाने के लिए । चिराग की मम्मी के अंदर अभी भी कोई पश्चाताप के भाव नहीं दिख रहे थे, जाते जाते भी तूलिका को तरेरते हुए देख रही थीं ।
मौलिक, स्वरचित
(अर्चना सिंह )
#रिश्तों में बढ़ती दूरियाँ