भ्रम टूट गया –  विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :   ” नेहा…मेरी बात सुनो तो….यार..माफ़ कर दो…अकेली तुम…।” विकास नेहा का हाथ पकड़कर उसे रोकने का प्रयास करने लगा।

” अब मेरा भ्रम टूट गया है।तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी..।” कहते हुए नेहा ने अपना हाथ छुड़ाया और अपने आँसुओं को पोंछती हुई वह सुनसान सड़क पर बेतहाशा दौड़ती चली गई।

          नेहा जब नौवीं कक्षा में थी, तब उसकी दोस्ती प्रिया से हुई थी।दोनों साथ में ही लंच करतीं और क्लास में भी एक साथ ही बैठतीं थीं।नेहा अपने घर की हर बात प्रिया को शेयर करती और प्रिया भी उसे बताती कि आज मेरे चाचा आयें थें…माँ और दादी में बहस हो गई..वगैरह-वगैरह….।दसवीं कक्षा पास करने के बाद ग्यारहवीं में दोनों ने ही विज्ञान विषय लिया था।फिर दोनों ने बीएससी करने के लिये साइंस काॅलेज़ में एडमिशन लिया।

       नेहा को पढ़ाई के साथ-साथ गाना गाने और स्टेज पर नाटक करने में भी रुचि थी।एक दिन प्रिया के साथ एक हैंडसम लड़का देखकर नेहा ने पूछ लिया,” ये कौन है प्रिया और यहाँ कैसे…?”

” नेहा…ये मेरे विकास भैया है।तुझे बताया था ना मेरे ताऊजी का बड़ा बेटा हमारे यहाँ आने वाले हैं।इन्होंने इसी काॅलेज़ के थर्ड ईयर में एडमिशन लिया है।ये हमारे यहाँ ही रह रहें हैं..।” प्रिया बोली तब नेहा याद करते हुए बोली,” हाँ-हाँ…याद आया…तूने बताया था।”  उसने कनखियों से देखा कि विकास उसे बड़े प्यार-से निहार रहा था।

अब ये तीनों जहाँ भी जाते तो साथ ही जाते।विकास को भी नृत्य-नाटक करने का शौक था।इसलिये काॅलेज़ के एनुअल-डे के प्रोग्राम में नेहा के साथ-साथ विकास ने भी नाटक में भाग लिया।एक नाटक में तो दोनों ने प्रेमी-प्रेमिका का रोल भी प्ले किया।तभी से नेहा विकास की ओर विशेष आकृष्ट होने लगी थी।प्रिया ने भी उनकी नज़दीकियों को महसूस किया था।एक दिन मज़ाक में बोली, ” नेहा…तू मेरी भाभी बन जाये तो कितना अच्छा रहेगा..।”

  ” चल, हट पगली…।” कहकर नेहा शरमा गई थी।

       एक दिन नेहा ने प्रिया को बताया कि इस शनिवार को मम्मी-पापा दो दिनों के लिये शिमला जा रहें हैं।मैं तो अकेले बोर हो जाऊँगी।तब प्रिया बोली कि पास ही हमारा फ़ार्म हाउस है, हमलोग वहाँ संडे को लंच-पार्टी कर रहें हैं…तू भी आ जा। नेहा ने अपनी सहमति दे दी।

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      रविवार को नेहा अपनी गाड़ी से बारह बजे के करीब नेहा के बताये पते पर पहुँची।वह बहुत खुश थी कि पार्टी होगी…खूब मस्ती करेंगे लेकिन वहाँ पर केवल विकास को देखकर वह चौंक उठी।उसने प्रिया को फ़ोन किया तो उसने कहा,” टेंशन मत ले यार…मैं बस अभी आ ही रही हूँ।” विकास के साथ अकेले वह असहज हो रही थी।

उसने फिर से प्रिया को फ़ोन किया लेकिन इस बार स्वीच ऑफ़ आया तो वह थोड़ी घबरा गई।तब तक में विकास उसके करीब आ गया और उसके साथ बत्तमीज़ी करने लगा।वह गुस्से-से खड़ी हो गई और चटाक-से विकास के गाल पर थप्पड़ मारते हुए बोली,” तुम इतनी घटिया हरकत करोगे…ये मैंने नहीं सोचा था।और प्रिया…उसे तो मैं…।” कहकर वह बाहर निकल गई।पीछे से विकास आवाज़ लगाता रहा लेकिन वो बस…।दौड़ते हुए वह एक गाड़ी से टकरा गई।

     ” काका आप…।” अपने ड्राइवर काका को देखकर नेहा चकित थी।ड्राइवर ने उसे बताया कि फ़ार्म हाउस के चौकीदार ने मुझे पहले ही बता दिया था कि यहाँ केवल विकास बाबा ही हैं।तभी मेरा माथा ठनका था और मैं पास ही गाड़ी पार्क करके वहीं आसपास चक्कर लगा रहा था।तुम्हें बाहर निकलते देखा तो गाड़ी लेकर आ गया।तुम ठीक तो हो ना बिटिया…।

     ” काका…।” नेहा अपने ड्राइवर काका के गले लगकर रोने लगी और रोते-रोते उसने उन्हें विकास की असलियत बता दी।ड्राइवर काका ने उसे चुप कराया, पानी पिलाया और कहा कि यह एक सबक है बिटिया…, भविष्य में किसी पर भी आँख मूँदकर विश्वास कभी मत करना।चलो…अब घर वापस चलते हैं।

      अगले दिन काॅलेज़ में नेहा को देखकर प्रिया ने आवाज़ लगाई लेकिन नेहा ने अनसुना कर दिया।प्रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली,” साॅरी यार…वो विकास भैया तुझसे अकेले में मिलना चाहते थें, लेकिन ये सब…।चल जाने दे…हम दोनों तो फ्रेंड्स हैं…।”

    ” फ्रेंड्स!…।” कहते हुए नेहा ने अपना हाथ छुड़ाया और प्रिया के गाल पर एक थप्पड़ रसीदते हुए ऊँचे स्वर में बोली,” तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी….मैंने तुम्हें क्या समझा और तू क्या निकली।अरे…तू तो फ्रेंड्स के नाम पर एक धब्बा है….।” कहकर वह तेज कदमों से चलती हुई अपने क्लासरूम में चली गई।

                                    विभा गुप्ता

                                      स्वरचित 

# तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी

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