भूल – देवश्री गोयल : Moral Stories in Hindi

मंदिरकी सीढ़ी चढ़ते समय नीलिमा की आंख भरी हुई थी….!

और वो बुदबुदाते हुए जा रही थी “मेरी सारी गलती माफ कर दीजिए भगवन बस एक बार और मेरी गोद भर दीजिये…!

पता नहीं आज उसका मन क्यों बहुत ही अकुला रहा था…!उसे उसका अतीत जो बेहद काला था …वो याद आ रहा था..!

नीलिमा थी तो मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की थी पर  आजाद ख्याल लडक़ी थी…!माता पिता के टोकने पर उग्र हो उठती थी…तिस पर उसे नौकरी मिल गयी तो सोने में सुहागा हो गया …

बर्बादी के सारे रास्ते उसने अख्तियार किये …दिन रात अनाप-शनाप व्यक्तियों से मिलना…आदि। एक पुरुष जो पहले ही विवाहित था ,उससे  कुछ ज्यादा ही नजदीकी बढ़ा लिया था नीलिमा ने..नतीजतन कुछ ही दिनों में उसे पता चला कि वो मां बनने वाली है ..घर में कोहराम मच गया…पता चलते ही ..मां ने लोक लाज का हवाला दिया… किन्तु नीलिमा तो किसी और ही दुनिया में विचरण कर रही थी …!  मां से उसने बड़ी बेशर्मी से कह दिया …”मैं इसे गिरा दूँगी माँ..!” “बच्चा पालने की मेरी अभी उम्र अभी नही है

और मैं ये सब झंझट पाल भी नहीं सकती…!” मां अपनी बेटी की हरकतों से बेजार हुई जा रही थी… नीलिमा  डॉक्टर के पास गई तो पता चला कि अब समय ज्यादा हो गया है एबॉर्शन से जान को खतरा है.. नीलिमा एकदम परेशान  हो उठी ..क्योंकि वो मां बनना नहीं चाहती थी.. उसका फिगर खराब होने का डर था…पर अब इस मुसीबत को तो दुनिया में लाना ही था …अब क्या करूँ…?.वह सोचते हुए अस्पताल से बाहर आई तो देखा उसकी बचपन की सहेली रीना भी वहींअपना इलाज कराने आयी थी …थोड़ी के बातचीत में नीलिमा ने तय कर लिया कि अब उसे क्या करना है… ??

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नीलिमा ने रीना को अपने विश्वास में ले लिया …!और एक अंधेरी रात में रीना मां बन गयी …और नीलिमा को निजात मिल गयी अपनी बेशर्मी से….!जो हो.. कुछ साल तक के भटकन के बाद नीलिमा ने घर बसाने की सोची ….और  बसाया भी…!!

10/12 साल तक नीलिमा ने

कभी पीछे मुड़ कर नही देखा.कभी उसे अपने बच्चे की याद तक नहीं आई न ही उसने रीना से मुलाकात की …लेकिन अब वो भी मां बनने का सपना देखने लगी थी….किन्तु नियति शायद कुछ और ही मंजूर था…!

आज मंदिर में बैठ कर वो पश्चाताप से भरी मायूस सी बैठी थी… कि उसने अचानक रीना को देखा….!उसकी गोद में एक प्यारी- सी बच्ची थी ..! एक  11/12 साल का लड़का  एक छोटे बच्चे का हाथ पकड़ कर चल रहा था …और उसका दूसरा हाथ रीना के हाथ में था … मातृत्व की गरिमा से लबरेज रीना का रुप  देख नीलिमा अचंभित हो गयी…!

उसकी नजर उस 12 साल के बच्चे पर अटक गई …! वो समझ गयी ये उसी का बेटा था …!उसका मातृत्व जाग उठा….! हे! भगवान ये मैंने क्या किया? काश! मैने अपना बच्चा न दिया होता तो आज मैं ही इसकी मां होती ….और उसके गाल आंसुओं से तर होने लगे… वो एक बार अपने बच्चे को गले से लगाने के उद्देश्य से उसकी ओर बढ़ने लगी …जैसे ही निलिमा ने बच्चे का हाथ पकड़ा बच्चा जोर से डर कर  चिल्लाते हुए  रीना से लिपट गया “”मां देखो ये औरत।मुझे अपनी ओर खींच रही है.. रीना भी चौंक पड़ी..! नीलिमा को देख कर अचंभित हो गयी…इतने सालों में नीलिमा अजीब सी दिखने लगी थी…!

रीना को नीलिमा की शक्ल देखते ही समझ आ गया था …कि अब वो बदल गयी है। पर उसके हाव भाव से  रीना थोड़ी विचलित भी हुई …नीलिमा की आंखों में एक सूनापन था …. परन्तु प्रत्यक्ष में उसकी भरी हुई मांग देख कर मुस्कुरा कर कहा …अरे नीलिमा कैसी हो तुम ?

शादी कर ली क्या…?बच्चे कितने हैं?  जीजाजी क्या करते हैं? फिर पलट कर अपने बेटे से बोली “डरो नहीं बेटा इनका बेटा भी तुम्हारे जितना बड़ा है …और तुम्हारे जैसा ही दिखता है …इसलिए ये आंटी तुम्हें प्यार करना छाती हैं..!.मासूम सा वो बालक अपनी मां के सीने में अब भी चिपका हुआ था …!और उसे घूर रहा था..”कान्हा… मेरा राजा बेटा डरते नहीं”… रीना बोली।” आप एक काम करो पापा के पास जाओ छोटू के साथ जाकर  मैं आती हूं.!”

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और वो फिर रीना उससे बोली…”नीलू तूने तो उस रात मेरी दुनिया ही बदल थी …तुझे तो पता है न ..शादी के बाद डॉक्टर ने साफ बता दिया था कि मैं कभी मां नही बन सकती…!पर कान्हा को गोद लेना मेरे लिए बहुत शुभ रहा हैं …देख मुझे ईश्वर ने  बाद में  दो बच्चे और दिए ….”बहन अब मैं तीन- तीन  बच्चों की मां हूं… मेरा कान्हा तो मेरी जान है …मैं इतनी खुश हूं कि बता नहीं सकती…!”

और भी बहुत कुछ वो कह रही थी पर नीलिमा को सुनाई नहीं दे रहा था .!वो सोच रही थी

“मैंने जिसे जवानी के उन्माद में गवां दिया जिसकी कदर नही की आज वो किसी की आंखों का तारा है  …!”  “मेरा भला उस पर क्या हक?”

और नीलिमा भरी आंखों से अपने बेटे को निहारती हुई चली गई ….रोते हुए…अपनी भूल,नादानी और किस्मत के खेल को भोगते रहने के लिए….

    देवश्री गोयल जगदलपुर

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