भूल – गरिमा जैन

मेरी एक छोटी सी भूल ने कैसे मेरी जिंदगी तबाह बर्बाद कर दी। काश  मैंने वह भूल  ना की होती। काश वो दिन फिर से लौट आता और मेरे हाथ से वह गलती ना हुई होती।

बात आज से 5 साल पहले की है। 31 मार्च 2016 ।मैं एक संयुक्त परिवार में रहती थी। मेरी मां बहुत ही सीधी-सादी, कम बोलने वाली, सब कुछ सह लेने वाली थी और मेरी चाची और ताई बहुत बड़बोली। बात बात पर उन्हें ताने देती ।हम दो बहने थी कई बार तो हमें भाई ना होने का भी ताना सुनना पड़ता ।

मेरा जी चाहता  उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाऊं पर मां मुझे चुप करा देती । कहती बड़ों से कभी बहस नहीं करनी है। मैंने एक दिन तय किया कि किसी ना किसी तरह इस चाची और ताई को रुला कर रहूंगी ।ताई मां से उम्र में काफी बड़ी थी ,उनके बच्चों का विवाह भी हो चुका था, हालांकि चाची के बच्चे अभी छोटे थे।

31 मार्च के अगले दिन यानी 1 अप्रैल जिस दिन हम किसी को बेवकूफ बना सकते हैं, हंसी मजाक में मैंने कई लोगों को बेवकूफ बनाया था और घर का माहौल खुशनुमा किया था लेकिन इस बार मैंने कुछ बड़ा करने की सोची ।कुछ बहुत बड़ा ।कुछ ऐसा जिससे चाची और ताई दोनों खून के आंसू रोए जैसे वह मेरी मां को रुलाया करती थी।

इस चीज की तैयारी मैंने एक हफ्ते पहले से ही शुरू कर दी थी। चाची के नाम एक बेनाम चिट्ठी भेजी थी जिसने मैंने उनकी मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो जाने की बात की थी, हालांकि चाची फोन करके तुरंत अपनी मां का हालचाल ले सकती थी

पर कुछ पल के लिए तो वह परेशान हो ही जाएंगी और हुआ भी ऐसा ही जैसे ही 1 अप्रैल को उन्हें व चिट्ठी मिली वह हड़बड़ा कर रोने लगी ।जल्दी-जल्दी में अपना सामान भरने लगी ।उनकी हालत देखकर मुझे मन ही मन बड़ी हंसी आ रही थी पर तभी चाचा ने कहा अरे लगता है किसने तुम्हारे साथ मजाक किया है

पहले फोन करके अपनी मां का हाल चाल तो पूछ लो! तब चाची ने फोन मिलाया। उनकी मां बिल्कुल ठीक थी  पर वह आधा घंटा तो चाची परेशान हुई उसे मेरे दिल को बड़ी संतुष्टि मिली थी ।



अब ताई की बारी थी  उनके साथ तो मेरा और भी कुछ बड़ा करने को दिल चाह रहा था ।ताऊ जी बड़े अच्छे व्यवहार के थे ।सबसे हंस बोलकर बातें करते थे ।खास कर बच्चों से उनका बड़ा लगाव था लेकिन कहते हैं ना आटे के साथ घुन भी पिसता आता है तो मुझे तो ताई पर निशाना लगाना था इसके लिए सहारा मैंने ताऊ का लिया।

मैंने अपने कंप्यूटर पर ताऊ और पड़ोस की एक आंटी की फोटो मिलाकर एक नई तस्वीर बना दी जिसमें वह दोनों ऐसे खड़े लग रहे हैं जैसे पति-पत्नी खड़े हो ।मुझे यह सब करने में बड़ा आनंद आ रहा था ।ताई की आदत थी कि वह हमेशा ताऊजी पर शक करती थी। कई बार तो उनकी इस बात पर बहस भी हो चुकी थी,

लड़ाई भी हो चुकी थी। उनके इस तरह के व्यवहार से ताई खिन्न रहती उन्हें हमेशा लगता कि वह दूसरी औरतों से सहज बोल कर बात क्यों करते हैं ?बस इनकी इसी कमजोरी को मैंने पकड़ कर अपनी ढाल बना ली और तीन चार बड़ी अच्छी सी तस्वीरें  एक एप्लीकेशन से बनाकर एक लिफाफे में करके उनकी मेज पर रख दी। तब तक ताऊजी दुकान जा चुके थे।

थोड़ी देर में घर में हाहाकार मच गया ।ताई की चीखने चिल्लाने की बड़ी जोर जोर से आवाज आने लगी। ना जाने वह फोन पर किस पर चिल्ला रही थी ।मैं तो सब कुछ समझ गई मुझे मन ही मन बड़ी खुशी मिल रही थी ।इसी तरह तो वह मां को रुलाया करती थी। तभी अचानक से सब बड़े परेशान हो गए और नीचे की तरफ भागे।

मैं भी गई मैंने देखा ताई बिल्कुल बेसुध जमीन पर पड़ी है। ना हिल रही है ना ढुल रही है ।मां परेशान हो गई, तुरंत पापाऔर चाचा सब दुकान से आए ,डॉ बुलाया गया। डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया ।

मैं घबरा गई मैं उन्हें कभी भी ऐसा नुकसान पहुंचाना नहीं चाहती थी। यह तो सिर्फ एक छोटा सा मजाक था। सबने वह तस्वीरें देखी । कोई कुछ समझ नहीं पाया ।ताऊ जी तो बिल्कुल आवाक खड़े वह तस्वीरें देखते रहे ।मैंने कुछ भी नहीं कहा लेकिन आत्मग्लानि से मैं मरी जा रही थी। मुझे बार-बार ऐसा लग रहा था

कि उनकी हत्या का पाप मेरे सर लगेगा। खेल-खेल में ना जाने मुझसे कैसे इतनी बड़ी गलती हो गई। ताई जी का बी .पी .बहुत हाई  रहता था। डॉक्टर ने कहा अचानक ऐसे में उनके दिमाग की नस फट गई और उनकी मृत्यु हो गई ।

इस बात को कुछ महीने बीत चले, सब लोग यह बातें धीमे धीमे भूलने लगे लेकिन मैं रात में चैन से सो नहीं पाती थी। रात में मुझे ताई सपने में आती थी और कहती थी तूने जैसा मेरे साथ किया है मैं भी तेरे साथ बिल्कुल वैसा करूंगी ।देखना तेरी मां कैसे तड़प तड़प के मर जाएगी। उसकी भी दिमाग की नस फटेगी, वह भी तेरे कारण।

मैं बोखला जाती थी पिछले 5 वर्षों से मैं रात को सो नहीं पाई ।मुझे मां की बहुत चिंता रहती है ।जिस मां के लिए मैंने उन्हें इस हद तक डरा दिया था क्या वह वह भी उन्हीं की मौत मरेगी ।मैं अक्सर मां का बी. पी.नापती  रहती हूं। उनकी चेकअप कराती रहती हूं ।

ऐसे में मुझे कई बार ताई की छवि दिखाई देती है वह  मुझ पर हंसती हुई दिखाई देती है। कई बार लोग कहते हैं कि मैं अपना मानसिक संतुलन खो दी जा रही हूं पर मैं क्या करूं वह चुपके से आती है अब मेरे कान में फुसफुसाकर कर चली जाती है

तेरी मां भी ऐसे ही मरेगी देख लेना..

समाप्त

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