भेदभाव क्यों ? – नंदिनी 

आराधना के दो बेटे एक बेटी थी बेटी दूसरे नम्बर की थी । बड़े बेटे आकाश की नोकरी दूर बैंगलोर शहर में थी वो अपने परिवार के साथ वही रहता था बड़ी बहु नैना भी अच्छे अमीर परिवार की चुनी थी आराधना ने , दूसरे बेटे रोहित ने अपने पिता के जाने के बाद ज्वैलरी के शोरूम का काम संभाला हुआ था ,बेटी अंजली की शादी भी पास के शहर में नमन से हो गई थी।

छोटे बेटे रोहित की कॉलेज में एक दोस्त थी राखी मध्यमवर्गीय परिवार से थी , वह दोनों एक दूसरे को पसन्द करते थे ,परिवार में बताते इससे पहले ही रोहित के पिता हार्ट अटैक से चल बसे ओर रोहित को शॉप का कामकाज संभालना पड़ा ,जब कुछ महीने हो गए तो रोहित ने अपनी बहन अंजली को राखी के बारे में बताया और मां के सामने बात रखने की बात कही उसे डर था

कि मां मानेगीं नहीं । क्योंकि उनका परिवार ज्यादा अमीर नहीं था,अंजली पूरा साथ देती है भाई का ,स्टेटस ही सब कुछ नहीं होता और वो मिली हुई थी राखी से उसका स्वभाव बहुत पसन्द आया था उसे भी।

एक दिन जब अंजली आई हुई थी ,दोपहर के खाने के बाद रोहित राखी का जिक्र करता है माँ के सामने , इस पर आराधना बोलती है हमारा परिवार उनसे अलग है ,अच्छा लगेगा क्या हमारे रिश्तेदार क्या कहेंगे कहां शादी कर दी मैने ,कहां एक बहु इतने खानदानी अमीर परिवार से लाई ओर एक सादा से परिवार से जिनका एक खुद का घर तक नहीं ,

अंजली कहती है क्या मां आप भी जमाने की सोच रही हो ,वो सब दो दिन बोलेंगे ओर भूल भी जाएंगे, साथ रोहित को रहना है उसकी खुशी से बढ़कर है आपको स्टेटस ,ओर उनके कस्बे में उनका घर है इसलिए वो यहाँ किराए के घर में रहते हैं बेटा होशियर है पढ़ाई के बाद निकल जायेगा यहां घर इसलिए नही बनवाया, पर जैसे ही आराधना कहती है ,

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अंजली उन्हें चुप कर देती है पर वर कुछ नहीं अपने घर में भगवान का दिया सब कुछ है किसी ओर के दान दहेज की हमेँ जरूरत नहीं, सबसे जरूरी होता है इंसान का अच्छा होना ,ओर में मिली हूँ राखी से बहुत ही समझदार  ओर प्यारी है । जब मेरी शादी हुई थी और नमन के घर वालों ने कुछ भी डिमांड नहीं रखी थी तो पापा ओर आप कैसे फुले नहीं समा रहे थे कितना अच्छा परिवार मिला है ,तो जो बात से आपको खुशी मिली है वह आपको भी देने का मौका आया तो दीजिये , लेकिन शादी कहां अच्छे से कर पाएंगे अरे मम्मी बहुत ज्यादा दिखाबा करके शादी में फिजूल खर्च करने से क्या फायदा, पापा को जाए कम समय हुआ है बोल दीजियेगा इस कारण सादा तरीके से ही शादी कर रहे हैं , इतनी सारी दलीलें सुन कर आराधना तैयार हो जाती है परिवार से मिलने ।

अंजली कहती है बड़े भैया भाभी को समझाना अब आपका काम है वो भी ज्यादा हाई सोसाइटी करते हैं ,

आराधना  फोन लगाती है आकाश को सारी  बात बताती है, पहले तो बोलता है 

नैना ने अपनी बुआ को बोल रखा था रोहित के लिये अच्छा खासा दहेज भी देते , लेकिन आराधना के जोर देने पर तैयार हो जाता है,ठीक है अब आप देख आओ अगले महीने दीवाली पर आएंगे हम तब हम मिल कर आगे की बात कर लेंगे ।

मिलना तय होता है ,यहाँ से रोहित अंजली नमन ओर आराधना जाते हैं , राखी का घर भले छोटा पर करीने से  सजा संवरा था, एक छोटा भाई और मां पापा, पापा कॉलेज में प्रोफेसर थे।

अच्छे से आवभगत हुई  राखी आराधना को भी पसन्द आई ।जल्द ही घर आने का निमंत्रण देकर सब वापस घर आ गए । रोहित ने चेन की सांस ली और अंजली को बात संभालने के लिए ढेर सारा प्यार दिया धन्यवाद कहा ,पागल है अपने भाई की खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूं समझे , इतने में नमन बोलता हैं हाँ हाँ पर  मेरी खुशी के लिए भी कुछ कर दो ,एक कप चाय बना दो अभी बस ,सब हंसते हैं …




दीवाली पर आकाश का परिवार आता है, पिता की बरसी के बाद शादी का महूर्त निकलता है ।

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अच्छे से विवाह संपन्न होता है  राखी के पापा ने अपने से बढ़कर ही सब इंतजाम किए थे ,राखी के लिए गहने पहले से ही जोड़ रखे थे ,रिश्तेदारी में भी सब खुश थे हँसमुख राखी सब से घुल मिल गई थी दो दिन में ही ,पर नैना को उसकी तारीफ ज्यादा पसन्द नहीं आ रही थी वो खुद को ही हर बात में सबसे ऊपर जो देखना पसंद करती थी ।

शादी के सारे रस्मों रिवाज पूरे होते हैं रिश्तेदार चले जाते हैं ,आकाश का परिवार दो दिन ओर था, नमन ऑफिस के कारण चला जाता है अंजली अभी यहीं रुक जाती है, इस बीच राखी के घर से आये गिफ्ट्स देखे जाते हैं नैना अपनी साड़ी देख कर मुंह बना कर बोलती है  इस तरह की साड़ी में नहीँ पहनती मां आप यहीं रख लेना किसी के लेने देने में काम आ जाएगी इनके पेंट शर्ट पीस भी रख लेना ,बच्चों के कपड़े तो में घर मे पहना लूंगी , राखी का चेहरा उतर जाता है अंजली बाद में राखी को समझाती है आप भाभी की बातों को दिल पर मत लेना उनको तो आदत है इस तरह से दूसरों को नीचा दिखाने की।

राखी ओर रोहित भी दो दिन बाद घूमने निकल जाते हैं । आने के बाद सामान्य दिनचर्या शुरू हो जाती है ,राखी ने पूरा घर अच्छे से संभाल लिया था , मां का भी पूरा ख्याल रखती थी ,साथ ही खुद भी शौकीन थी किटी भी जाती ,अंजली कभी कुछ दिन रहने आती तो दोनों खूब मस्ती करते । कभी कभी आराधना राखी को कुछ चुभती बात बोल ही देती ,नैना के घर से ऐसा इंतजाम था सारे रिश्तेदार देखते रह गए थे इस पर अंजली उनको समझाती भी मां ऐसी चुभती बातों से दिल खराब होता है क्या फायदा किसी का दिल दुखाने से , रोहित खुश हेना ये देखो आप ओर कितना ख्याल रखती है राखी आपका , और देखा मैने कैसे आपने नैना भाभी को किंतनी महंगी साड़ियाँ शादी में दी थी और नैना को कम वाली ली आपके लिए तो दोनों बराबर हैं तो ये भेदभाव क्यों ?




वो तो अच्छा हुआ मैने कुछ शॉपिंग राखी की पसन्द की करा दी थी । आराधना सुन कर चुप रहती है

कुछ समय बाद सबने प्लान किया कि इस बार माँ का जन्मदिन साथ मिलकर मनाते हैं, उनको सरप्राइज देते हैं ,आकाश का परिवार भी एक दिन पहले आ जाता है ,अंजली भी उस दिन आ जाती है ।आराधना बहुत खुश थी, राखी ने पूरी व्यवस्था को अच्छे से संभाला हुआ था , विभिन्न तरह के नाश्ते से लेकर खाना ,दोपहर में नैना मां से कहती है क्या माँ आप कमजोर लग रही हो , फ्रूट बगैरहा नहीं खातीं क्या,ऐसा करती हूं फ्रूट वाले का नम्बर ले लेतीं हुँ ,में रोज उसको याद दिला दिया करूंगी फल दे जाया करेगा ओर ऑनलाइन पेमेंट कर दूंगी , और आपके पैरों में दर्द रहता है तो मालिश वाली लगवा लो में बात करूं किसी से ,अरे नहीं नैना इसकी जरूरत नहीं राखी मेरी पसन्द के सब फल मंगा देती है। ये देखो में आपके लिए 2 सिल्क साड़ी लाई हूँ ।इतने में राखी आती है मां में किटी जा रही हूं काम सारा हो गया है जल्द आ जाऊँगी , आगे तारीख सम्भव नहीं थी 3 सहेलियां बाहर जा रही तो आज जरूरी हो गया करना और मेरी ही किटी है तो जाना जरूरी है कह कर चली जाती है , नैना को तो मौका मिल गया अरे ऐसा कितना जरूरी था, घर मे सब लोग है इन्हें किटी में जाना है ये बात अंजली भी आते आते सुन लेती है ।

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नैना के जाने के बाद आराधना फल वाली बात अंजली को बताती है ओर उसकी लाई साड़ी भी, नैना पूछ रही थी राखी ख्याल रखती है कि नहीं आपका , अंजली चुपचाप सुनती है । इतने में आराधना अपने गहने का डिब्बा निकालती है । उसमें से तीन अंगूठी निकाल कर लो पसन्द कर लो मेरे बाद तो तुम सबका ही है,पर कुछ में अपने हाथों से देना चाहती हूं , ये बड़ी वाली नैना को सोचा है , अंजली ने कहा क्यों वो मीठी मीठी बनती हैं स्टेटस वाली हैं इसलिए, ऐसा क्यों कह रही हो , सच ही कह रहीं हूँ जो भेदभाव आप दोनों भाभी में करती हो समझ नहीं आता क्या मुझे ,हमेशा अच्छी चीज उनके लिए पहले निकाल देती हो, राखी जो दिल से आपकी हर एक बात का ख्याल रखती है उसकी कोई कीमत ही नहीं है , वास्तव में जो चीज आसानी से मिलती हेना इंसान को, उसकी कीमत कम ही हो जाती है उसकी नजरों में, नैना भाभी साल में दो बार आकर मीठे बोल बोल लेंगी महंगे गिफ्ट ले आयेंगीं उसकी कीमत ज्यादा है ,ओर राखी अगर आज गई है किटी तो सारे काम निपटाकर गई है जबकि मैने कहा भी में देख लुंगी, ऐसा करो मुझे ये अगूंठी नहीं चाहिए  ,बस मेरी एक बात मान लो नैना भाभी हमेशा आपको बोलती हैं चलो रहने तो इस बार आप जाओ मेरे लिए उनके पास ,बोल देना आज ही टिकट आपका भी करा लें ।




आखिर आराधना को अंजली की जिद के आगे झुकना पड़ता है , रात में खाने के बाद आकाश से अपना भी टिकिट साथ कराने बोल देती है,  नैना अचानक से कही इस बात पर चोंक जाती है पर चुप रहती है ओर नकली मुस्कान लाती है ।

दूसरे दिन अच्छे से जन्मदिन मनता है खाना पीना मस्ती और एक दिन ओर रुककर आकाश का परिवार बेंगलोर निकल जाता है माँ भी साथ थीं।

हाउस हेल्प रमा को बता दिया जाता है मां को फल खाना समय पर देना है । एक दो तीन दिन में नैना अपने में व्यस्त हो जाती है उसकी दो किटी थी , न तो वह बोलकर जाती कहाँ जा रही कब आएगी , एक रात को खाना लगा कर दिया रमा ने तो आराधना बोली साथ ही खा लेंगे ,आज लेट आएंगे सब आप खा लो , नैना जरा भी उसके पास न बैठती न बातें करती ।दो दिन के लिए रमा छुट्टी पर थी ,आकाश टूर पर गया था ,नैना बस दाल चावल बना कर अपनी फ्रेंड के साथ मूवी चली गई ,जबकि आराधना को पूरा खाना ही भाता था, कुछ दिनों में ही फल भी कभी होते कभी नहीं ,आराधना को अहसास होता है ऊपर पट्टी के प्यार का दिखाबा करती थी नैना ,बड़ा दिल दुखता है उसका ,जो राखी की सच्चाई को वो परख न पाई थी ,इतने दिनों में जो भेदभाव उसने राखी के साथ किया सब एक एक कर याद आने लगा था ।

दूसरे दिन ही वह आकाश को जाने का टिकिट करा दो बोलती है , नैना ऊपर पट्टी अरे अभी दिन ही किंतने हुए हैं जल्दी क्या है बोलती है, अब मेरा मन नही लग रहा यहाँ ,ठीक है जैसा आप कहो आकाश कहता है ।

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जिस दिन आराधना घर पहुँचती है अंजली भी मिलने आ जाती है, राखी उसके पसन्द का पूरा खाना और मीठा बना कर रखती है और ख़ुशख़बरी भी सुनाती है आप दादी बनने वाली हो आराधना खुशी से उसे गले लगा लेती है ,ओर कहती है बेटा जरूरी नहीं गलती छोटे करें , बड़ों से भी हो जाती है, मैने जो तुम्हारे साथ भेदभाव किया दिल दुखाया उसके लिए क्या तुम माफ कर सकती हो ,राखी कहती है केंसी बातें कर रही हो आप मां आप बड़ी है आपके हाथ आशीर्वाद के लिए बने हैं माफी के लिए नहीं । अंजली खुश होकर भीगी आंखों से ये सब देखकर मुस्कुराती है ,ओर बोलती है चलो मां आज राखी ने इतनी बडी खुशखबरी आपको दी है ,आपकी सबसे सुंदर वाली चेन अपने हाथों से पहनाओ हां हां चेन क्या आज तो नवलखा हार भी में अपनी प्यारी बहु पे बार दुं ,कहते हुए राखी कमरे में जाती हैं और चेन लाकर राखी को पहना देतीं हैं । रोहित भी यह सब देखकर बहुत खुश होता है।

अंजली भी बहुत खुश थी आखिर भेदभाव की दीवार को जो ढहा दिया था उसने  …..

नंदिनी 

स्वरचित

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