भविष्य दर्शन (भाग-9) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

पदमिनी की मां ने उसे आश्रम भेजने से साफ मना कर दिया।लेकिन उसके पिता ने कहा_ हम सब का सौभाग्य है कि पदमिनी हमारी बेरू है।उसे ऐसी शक्ति मिली है।आज उसकी  भविष्यवाणी की वजह से विधायक जी के द्वारा हमारे परिवार को कई योजनाओं का लाभ मिलने जा रहा है।

मुझे कंपनी में पन्द्रह हज़ार रुपए की नौकरी मिलने जा रही है।

अगर वो आश्रम जाकर  और भी अध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त कर लेगी तो सोचो और कितने लोगो का कल्याण कर पाएगी ।इसलिए उसे जाने दो ।पदमिनी के पिता के समझाने से किसी तरह तैयार हो गई।

कॉलेज में पदमिनी ने प्रिंसिपल से कहा _ सर मेरे घर से आश्रम जाने की अनुमति तो मिल गई है लेकिन मेरी एक महीने की पढ़ाई का क्या होगा।

दूसरी बात की मैं अकेले वहा नही जाऊंगी।मेरे साथ आनंद जायेगा तभी जा पाऊंगी।

प्रिंसिपल ने कहा _ तुम अपनी पढ़ाई की चिंता मत करो।तुम आश्रम जाकर अपना समय बता देना ।जिस समय तुम्हे फुर्सत होगी मैं उसी समय एक दो घंटे का ऑनलाइन क्लास करवा दूंगा।

आनंद अगर जाना चाहे तो तुम इसे अपने साथ ले जा सकती हो।कुछ साधना ये भी सीख लेगा।ऑनलाइन क्लास इसका भी हो जायेगा।

आनंद ने कहा _ सर मेरी बड़ी बहन की डिलिवरी होने वाली है मुझे उसके घर जाना पड़ेगा।डिलिवरी के बाद ही मैं कही जा पाऊंगा।

ठीक है जब तुम कहोगे तभी मैं चलूंगी। तुम पहले अपनी दीदी का ख्याल रखो ।पदमिनी ने कहा।

ठीक है जैसा उचित लगे तुमलोग तय कर मुझे बता देना मै उसी हिसाब से आश्रम में बात कर लूंगा।प्रिंसिपल ने कहा।

तभी _ मैं देख रही हूं कई मालगाड़ियों में भारतीय सेना की तोपे और जवान जा रहे हैं। पिओके (पाक अधिकृत कश्मीर ) में तिरंगा झंडा लहरा रहा है

।कही तुम हिंदुस्तान और पाकिस्तान में युद्ध की संभावना

तो नही ब्यक्त कर रही हो।

पता नही लेकिन मुझे दोनो देशों के बीच युद्ध होता हुआ नही दिख रहा है।पदमिनी ने गंभीर होकर कहा।

आनंद ने संभावना व्यक्त करते हुए कहा।

किसी तरह पदमिनी आनंद को साथ लेकर आश्रम चली गई।वहा उसे कुंडलिनी जागरण की योग साधना का अभ्यास करवाया जाने लगा। वहा उसे बड़े कड़े नियम का पालन करना पड़ता था।सुबह चार बजे जगाना पड़ता था उसके बाद अन्य क्रियाएं शुरू हो जाती थी।उसे अल्पाहार दिया जाता था ।

मिर्च मसाले और तली हुई चीजें बंद कर दी गई थी।

साथ में होने के कारण आनंद भी उसके साथ योग क्रियाएं करता था लेकिन उसका मन नहीं लगता था।

लेकिन पदमिनी को सभी योग क्रियाओं में बड़ा ही आनंद आता था।

कुछ ही दिनों में उसके रूप रंग में काफी निखार आने लगा था।उसके चेहरे पर एक आश्चर्य चकित करने वाली चमक , दिव्यता और गंभीरता नजर आने लगी थी।

धीरे धीरे पदमिनी ने कई अध्यात्मिक शक्तियां सिद्ध कर ली।योग गुरु को इसकी क्षमता पर आश्चर्य हो रहा था ।क्योंकि आजतक किसी ने भी इतनी जल्दी और लगन से सफलता प्राप्त नही किया था।

आनंद उसके हर मामले में सहयोग देता रहता था।आश्रम का ही ओमप्रकाश नाम के योग साधक की रुचि पदमिनी में काफी बढ़ गई थी।वो हमेशा उसके आस पास रहने की कोशिश करता था। जो आनंद को बिलकुल पसंद नहीं था।लेकिन पदमिनी को इसका एहसास ही नही था।वो लगातार अपनी साधना में लीन रहती थी।

एक दिन ओमप्रकाश उसके कमरे में चला गया किसी काम के बहाने से ।जिस आनंद ने देख लिया।उसे बहुत बुरा लगा।वो तुरंत पदमिनी के कमरे में गया और ओम को डांटते हुए कहा_ तुमको जो भी काम हो पदमिनी से मुझसे बात किया करो ।तुम्हे सीधे इसके पास आने की जरूरत नही है ।अगर दुबारा इसके पास बेमतलब का आने की कोशिश किया तो मैं लिहाज भूल जाऊंगा अब जाओ यहां से।

पदमिनी कुछ समझ पाती इससे पहले आनंद ने ओम की बांह पकड़ कर उसे उसके कमरे से बाहर कर दिया।

तुमने उसे इस तरह क्यों बाहर कर दिया ।बेचारा को बुरा लगा होगा।पदमिनी ने गंभीर होकर कहा।

वो कुछ ज्यादा ही तुम्हारे आस पास बीना मतलब का मंडराता रहता है।इसलिए ऐसा किया है।

पता नही मुझे तो पता ही नही चलता है।मैं तो अपनी साधना में लीन रहती हूं।

साधना के अंतिम दोनो में योग गुरु ने कहा _ साधना से प्राप्त सिद्धियोंको गुरु के अलावा किसी को नही बताना और न दिखावा करना है।इसे चमत्कार या जादू टोना के रूप में प्रदर्शित नही करना है।यह एक योग विद्या है जिसे ऋषि मुनि और देवता भी कठिन तप से प्राप्त कर लोक कल्याण में प्रयोग करते हैं।

उसी तरह तुम्हे भी इस सिद्धि का प्रयोग समाज और राष्ट्र कल्याण में करना है। कुछ दिनों में तुम्हारी परीक्षा लेकर बिदा कर दिया जायेगा।

एक दिन ओम ने पदमिनी को अकेले पाकर उसका हाथ पकड़ लिया और कहा_ मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं ।तुमसे बहुत प्यार करता हूं।क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो।

पदमिनी ने सहज भाव से पूछा _ मैं कौन हूं ।क्या हड्डी मांस का समूह, जीवात्मा,ज्योति या ईश्वर का अंश या नाशवान शरीर जिससे तुम प्यार करते हो।बोलो किससे प्यार करते हो।

पदमिनी के सवाल सुनकर ओम चकरा गया।उसके मुंह से कोई जवाब नही निकला ।

तुम मुझसे नही मेरे सुंदर शरीर के आकर्षण से प्यार करते हो जो एक साधक के लिए सही नहीं है।तुम्हे अपनी साधना से प्यार करना चाहिए ताकि तुम्हे कुछ ज्ञान प्राप्त हो सके।

मैं तुम्हे कुछ नही दे सकती । मैं भी एक साधक हूं ।

तभी आनंद वहा आ गया और ओम को पदमिनी का हाथ पकड़ा हुआ देखकर खुद को काबू में नहीं रख सका और कई थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।उसके होंठ फट गए और उससे खून बहने लगा।

पदमिनी हैरत से आनंद को देखती रह गई।

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भविष्य दर्शन (भाग-10) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो, झारखंड

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