ओम प्रकाश दूल्हा के रूप में सज धज कर तैयार हुआ था ।उसने पदमिनी के पास भी दुल्हन के रूप में सजने के लिए कपड़े और गहने भेजवा दिए थे लेकिन उसने दुल्हन बनने से इंकार कर दिया।
उसे ओम से सख्त घृणा हो रही थी।प्यार का दिखावा करता है और अंदर से कितना गिरा हुआ आदमी है।वो समाज, मानवता ही नही बल्कि देश का भी दुश्मन था।आतंकियों का साथ देना देशद्रोह ही तो था ।ऐसे अपराधी से विवाह करना तो दूर वो सोच भी नही सकती थी ।ओम शादी की तैयारी भी कर रहा था और देश विदेश के नामी गिरामी और खूंखार अपराधियो से मिलकर देश में खिलाफ योजना भी बना रहा था।
जब पदमिनी दुल्हन के रूप में तैयार नहीं हुई तो ओम ने कुछ अपराधी महिलाओं को उसके पास भेजा ताकि वो उसे जोर जबरदस्ती से तैयार कर सके।फिर जब वो तैयार नही हुई तब
अंत में उसने आकर उसे धमकाते हुए कहा _ तुम्हारे हा या ना से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।अभी प्यार से समझा रहा हूं मान जाओ वर्ना मुझे जोर जबरदस्ती करना पड़ेगा ।जल्दी करो देरी हो रही है।
मेरी बात मानने के अलावा तुम्हारे पास कोई चारा भी नहीं है।उसने बेशर्मी से हंसते हुए कहा।उसका इस तरह हंसना पद्मिनी को बहुत बुरा लग रहा था ।उसने नफरत से कहा _ तुम्हे अंदाजा भी नहीं है मेरा अपहरण करके तुमने कितनी बड़ी गलती किया है।
जिस शादी का सपना तुम देख रहे हो आज तुम्हारी बर्बादी हो जाएगी ।मेरी वजह से तुम्हारी ये पाप की लंका जलकर राख हो जायेगी
उसकी बात सुनकर ओम ढिंठाई से हंसा।जागते हुए सपना मत देखो । यहां मेरी मर्जी के बिना कोई परिंदा भी पर नही मार सकता।ओम की बात अभी खत्म भी नही हुई थी की तभी बाहर जोरदार धमाका हुआ ।इसके बाद लगातार गोलियों की बौछार होने लगी ।किसी की समझ में कुछ नही आया।ओम ने चिल्लाकर अपने लोगो को पोजीसन लेकर जवाबी कार्रवाई करने को कहा।
जबकि एक खुद हक्का बक्का था।आखिर इस तरह अचानक हमला किसने कर दिया। वहा उपस्थित सैकड़ों गुंडों ने अपने हथियार लेकर अपनी अपनी पोजीसन ले लिया और हमला का जवाब देने लगे लेकिन हमला इतना जोरदार और इतना ज्यादा था कि कोई उसका मुकाबला करने में सक्षम नहीं हो पा रहा था।कुछ ही देर में कई अपराधी बुरी तरह घायल हो गए ।कितने मारे गए।
लपक झपकते ही सैकड़ों पुलिस के जवान और अधिकारी विधायक के साथ अंदर आ गए ।
साथ में आनंद ,नरेंद्र और कॉलेज के कई साथी भी थे।
एसपी ने घायल और मारे गए अपराधियों को गिरफ्तार कर एंबुलेंस में ले जाने का आदेश दिया। वहा सैकड़ों की संख्या में लाखो रुपए के इनामी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अपराधी पकड़े गए।
काफी तादात में गोला बारूद बंदूक और गैरकानूनी हथियार बरामद किए गए।लेकिन ओमप्रकाश का कही पता नही चला ।पता नही वो कैसे और किस खुफिया रास्ता से पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा।
आनंद ने पद्मिनी को अपने सरक्षण में लिया।उसको पाकर उसने बहुत बड़ी राहत की सांस लिया ।वो उससे खुशी से लिपट कर रो पड़ा।
उसके मुंह से निकला मुझे माफ नर देना यार ।मेरी लापररवाही की वजह से तुम्हारा ये हाल हुआ है ।
अपने आपको दोष मत दो आनंद ।यह नियति है यह तो होना ही था।तभी तो इतने लोग पकड़े गए।इतने बड़े रहस्यों से पर्दा उठ पाया ।
ओम ने मेरा अपहरण नही किया बल्कि उसने खुद अपनी बर्बादी को बुला लिया था।
पदमिनी ने पुलिस को ओम के षडयंत्रो के बारे में बताया और कहा जिला प्रशासन को डैम की निगरानी बढ़ा देनी चाहिए।डीसी साहब के दौरे का रूट चेंज कर देना चाहिए।
चुनाव में कोई धांधली न हों पाए इसके लिए संवेदन शील बूथों पर खास सुरक्षा देनी होगी।क्योंकि ओम नक्सलियों और अंतकियो से मिला हुआ है ।वो उनके लिए काम करता है।वो सबसे खतरनाक है ।।
उसने यह भी कहा _ मेरे मिलने की खबर प्रेस में दे सकते है लेकिन अपहरण के कारण में जरजस्ती विवाह करना दिया जाय वरना अपराधी सजग हो जायेंगे और पकड़ में नहीं आयेंगे।
उस दिन पदमिनी की वजह से पुलिस को बहुत बड़ी सफलता मिली थी ।उसकी भविष्यवाणी की वजह से प्रशासन ने बड़ी दुर्घटनाओं को समय रहते रोक लिया था।
उसकी मां और पिता उसे पाकर बहुत खुश हुए ।उसकी मां ने उसे अपने हृदय से लगा लिया और दोनो एक दूसरे के गले लगकर रोने लगी ।
आनंद अब भी अफसोस कर रहा था।उसने पद्मिनी से बात कर लिया होता तो उसके साथ ऐसी घटना नही घटी होती।
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भविष्य दर्शन (भाग-28) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड