भविष्य दर्शन (भाग-22) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

पदमिनी और चंचल को किसी दूसरे सरकारी अस्पताल में विधायक जी ने भर्ती करवा दिया था। उन दोनो के पेट में किडनी निकालने के लिए उस प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर ने ऑपरेशन कर दिया था ।यह तो गनीमत थी की समय पर सिविल सर्जन पूरे दल बल के साथ पहुंच गए थे वरना दोनो के जान का खतरा हो सकता था।

अस्पताल में दोनो के माता पिता,आनंद,नरेंद्र ,रेखा और उनके कॉलेज के दोस्त भी पहुंच गए थे।अखबार से खबर पढ़के कॉलेज के प्रिंसिपल भी पहुंच गए।

आनंद ने पदमिनी और चंचल से पूछा कैसी हो तुम  दोनों ।

पदमिनी ने कहा _ जहा ऑपरेशन हुआ है वहा बहुत दर्द हो रहा है ।चंचल ने भी वही बताया।विधायक ने कहा” _ सचमुच तुमलोग तेज तर्रार ही नही बहादुर और निडर भी हो।तुम दोनो की जान भी जा सकती थी।लेकिन हजारों लोगों की जान बचाने के लिए तुम सबने बहुत बड़ा खतरा उठाया ।सिविल सर्जन ने मुझे फोन पर बताया कि राज्य सरकार ने इस घटना को बड़ी गंभीरता से लिया है।

राज्य सरकार ने हमारे क्षेत्र ही नही पूरे राज्य के सभी प्राइवेट अस्पतालों को यह निर्देश दिया है की वे प्रत्येक माह ऑपरेशन किए जाने वाले मरीजों की जानकारी सरकार को दे की किस मरीज की किस बीमारी की वजह से ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद मरीज की क्या स्थिति है।इतना ही नहीं अभी सभी अस्पतालों में सभी जिलों में सिविल सर्जन की

निगरानी में छापामार दस्ता तैयार करने का आदेश दिया गया है जिसके तहत किसी भी अस्पताल की कभी भी मेडिकल टीम उसके इलाज के सिस्टम की जांच कर सकती है।उनके द्वारा मरीजों से लिए जा रहे फीस पर भी निगरानी रखी जाएगी।उनकी बात सुनकर सब लोग बहुत खुश हुए।

पदमिनी ने कहा _ यह तो बहुत अच्छा हुआ ।इससे अब किसी भी मरीज के अंग निकालकर तस्करी नही की जा सकेगी ।

हम सबका प्रयास सफल रहा।

और अब पकड़े जाने पर दोषी डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा चलेगा और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी ।उस अस्पताल का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।

विधायक ने आगे कहा।

यह सब आपका भी प्रयास रहा है विधायक जी तभी तो सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।

बिलकुल पदमिनी ने कहा।

उसकी मां और पिता जी बहुत दुखी थे।प्रिंसिपल ने कहा _ मुझे अपने कॉलेज के छात्रों पर नाज है ।

सब लोगो के चले जाने पर आनंद ने पदमिनी से दुखी होकर  कहा_ तुम्हारी हालत देख कर मेरी तो जान ही चली गई थी।

ऑपरेशन थियेटर से गायब हो जाने पर  मैं बुरी तरह घवड़ा गया था भगवान का शुक्र है दूसरे  खुफिया ऑपरेशन थियेटर का खुफिया रास्ता मुझे जल्दी मिल गया वरना उन कसाइयों ने तुम्हारी किडनी निकाल ही लिए रहते ।

तुम जो मेरे साथ हो भला मुझे क्या हो सकता है।पद्मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

ऐसे हालात में भी तुम्हे मजाक सूझ रहा है।आनंद ने गंभीर होकर कहा।

जब सांप के बिल में हाथ डालोगे तो कुछ तो होगा ही न इसलिए टेंशन मत लो मैं ठीक हूं।

आनंद ने उसे फल फूल दिया और डॉक्टर से मिलकर पद्मिनी और चंचल का ख्याल रखने को बोल कॉलेज चला गया।

रात में पद्मिनी की मां उसके साथ ही रुक गई थी ।खाना खाकर वो गहरी नींद में सो गई थी ।पदमिनी ने जाग रही थी।वो आगे भविष्य के बारे में सोच रही थी ।तभी एक तेज प्रकाश पुंज फैला.।उसकी आंखे चौंधिया गई।

तभी थोड़ी ही देर में उसके सामने एक दिव्य आत्मा प्रकट हुई ।यह दिव्यात्मा वही थी जिसे उसने ध्यान के क्रम में हिमालय की दिव्य घाटियो में देखा था आए और उनसे बात चित की थी।उस दिव्य आत्मा ने कहा _ मैं तुम्हारा दर्द दूर करने आया हूं ।तुमने बहुत अच्छा कार्य किया है । हम सब बहुत प्रसन्न है ।इतना कहकर अपने हाथ को आशीर्वाद की मुद्रा में किया। हाथ से एक दिव्य प्रकाश निकला और जहा ऑपरेशन हुआ था वहा पर पड़ने लगा।थोड़ी ही देर में वहा न घाव था न कोई दर्द ।पद्मिनी ने बहुत राहत महसूस की।

अब तुम कल अपने घर जा सकती हो क्योंकि अब तुम्हे दूसरे अभियान पर कार्य करना है।अब मैं चलता हूं।जब भी जरूरत होगी मैं स्वयं आजाऊंगा या  जब भी तुम मुझे याद करोगी मैं उपस्थित हो जाऊंगा। इतना कहकर वो दिव्य आत्मा अदृश्य हो गई।अब वहा पहले जैसा सन्नाटा और अस्पताल के वार्ड की धीमी रोशनी जल रही थी ।

उसने देखा उसकी मां अब भी सो रही थी।

अब सोने का प्रयास करने लगी ।जैसे ही उसकी आंख ने झपकी लिया उसने एक बड़ा ही भयानक और डरावना दृश्य देखा ।उसने भय से अपनी आंखे खोल दिया।

यह कैसा दृश्य था।एक साथ दस लड़कियों को कौन और क्यों आग में जला रहा था।तभी उसे वही दृश्य दुबारा दिखा।इस बार उसे एक गर्ल्स हॉस्टल का नाम और पता दिखा।अरे यह तो उसके अस्पताल के पास ही में है।उसने अपनी घड़ी में समय देखा ।रात के दो बज रहे थे।

उसके समझ में नही आ रहा था वो क्या करे ।उसने दृश्य में रात का सवा दो बजे का समय देखा था ।इसका मतलब है अब से पन्द्रह मिनट बाद यह भयानक घटना घटने वाली है।

इतनी रात को वो अकेले क्या कर सकती है ।अगर मैं उन लड़कियों को बचाने के लिए जाती हूं और किसी ने देख लिया तो बहुत दिक्कत हो सकती है।

जो भी होगा देखा जायेगा।मुझे उन दस लड़कियों को बचाने के लिए जाना ही पड़ेगा।यह सोचकर वो अपने बेड पर उठकर बैठ गई।उसने अपने वार्ड में चारो तरफ देखा सभी मरीज सो रहे थे।जिसका ऑपरेशन हुआ था उसको ब्लड चढ़ रहा था।किसी को ग्लूकोज की सेलाईन चढ़ रही थी।

थोड़ी दूर पर दो नर्स और दो वार्ड बॉय अपने टेबल पर बैठे बैठे सो रहे थे।

उसने अपनी सॉल  को अपने चहेरे को ढंकते हुए ओढ़ लिया और अपने बेड पर से धीरे से उतरकर बाहर की तरफ जाने लगी।

वार्ड का गेट खुला हुआ था।आगे बढ़ने पर वो गैलरी पार करती हुई आउट डोर पेसेंट गैलरी में आ गई जहा रोज काफी संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं ।।

वो मेन गेट की तरफ बढ़ी ।संयोग से सुरक्षा गार्ड मैने गेट के दरवाजा को भिड़का कर सो रहा था।पदमिनी दबे पांव दरवाजा को खोलकर गेट से बाहर निकल गई।गार्ड बेसुध सोता रहा।

बाहर निकल कर वो लपकते हुए उस गर्ल्स हॉस्टल की तरफ तेज चाल से चलने लगी लगभग दौड़ते हुए।

रात का सन्नाटा सांय सांय कर रहा था ।चारो तरफ घोर सन्नाटा था  ।कही कोई आहट नही सुनाई दे रही थी।उसे थोड़ा भय भी लग रहा था।लेकिन दस लड़कियों की जिंदगी का सवाल था ।कुछ ही पलों में वो लपकती हुई उस हॉस्टल के गेट तक पहुंच गई।।

लेकिन उसे एहसास भी नहीं था कोई देव पाव उसका पीछा कर रहा था और फोन पर किसी से बात भी कर रहा था।

गेट पर पहुंचते ही पद्मिनी के रोएं खड़े होने लगे।उसे अजीब सा भय और सिहरन होने लगी। वहा मौत सा सन्नाटा पसरा हुआ था।उसे समझ में नही आ रहा था उसे अचानक इतना भय और बेचैनी क्यों होने लगी थी ।

तभी उसे कई लड़कियों के जोर जोर से चीखने चिल्लाने की आवाज अंदर से सुनाई देने लगी।

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भविष्य दर्शन (भाग-23) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक _  श्याम कुंवर भारती

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