अब धीरे धीरे पदमिनी अपने भविष्यवाणी को लेकर काफी चर्चा में आ चुकी थी।उसका सभी सम्मान करने लगे थे।आनंद उसका सबसे अच्छा दोस्त था।वो हर मौके पर उसका साथ देता आ रहा था।धीरे धीरे उसके घर में सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलने लगा था।उसके पिया अक्षय लाल दास एक कंपनी में विधायक जी की पैरवी से चपरासी की नौकरी करने लगे थे।जिससे घर में पैसे की किल्लत कम होने लगी थी।उसके माता पिता को अपनी बेटी पर नाज होता था।पदमिनी जितनी सुंदर थी उतनी ही गुणवती भी थी ।मगर पढ़ाई लिखाई में पहले जैसे ही कमजोर थी।
इस कमजोरी से पद्मिनी बहुत ही आहत थी।
वो इस कमी को दूर करना चाहती थी ताकि परिक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सके।
एक दिन शाम को उसने संध्या आरती पूजन करने के बाद ध्यान मुद्रा में बैठ गई और ध्यान साधना करने लगी ।उसने जैसे ही ध्यान लगाया उसे एक दिव्य प्रकाश दिखा ।धीरे धीरे वो उस प्रकाश में नहा गई ।उसे खुद का आभास खत्म होने लगा ।उसका शरीर बिलकुल हल्का महसूस होने लगा।
उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो अब असमान में विचरण कर रही हो।उसे झिंगुरो की आवाज,फिर घंटा घड़ियाल शंख आदि की आवाज सुनाई देने लगी थी ।उसे बहुत ही आनंद और शांति महसूस होने लगी थी।असमान में विचरण करती हुई अब वो अपने आश्रम में पहुंच गई और अपने गुरु से संपर्क किया।उसने अपने गुरु को प्रणाम किया और कहा गुरुदेव आपके आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से बहुत सारी शक्तियां प्राप्त हुई हैं लेकिन मैं पढ़ने में कमजोर क्यों हूं ।
गुरु ने कहा_ बेटी यह तुम्हारी भूल है।तुम अब वो नही हो जो पहले थी ।तुम्हारी स्मरण शक्ति और कुशाग्रता बढ़ चुकी हो ।तुम ध्यान साधना से अपने मन को केंद्रित कर अपने मस्तिष्क में स्मरण शक्ति को जगाओ । फिर देखना एक बार जो भी पढ़ोगी, लिखोगी,सुनोगी या देखोगी वो हमेशा के लिए तुम्हारे मस्तिष्क मैं सदा के लिए अंकित हो जायेगा।
तुम पर ईश्वरीय कृपा है तभी तो तुममें पहले से भविष्य में होने वाली घटनाएं दिख जाती हैं।
तुम एक असाधारण, प्रतिभावान और दिव्य शक्तियों से ओत प्रोत हो । तुम्हारा जन्म जन कल्याण और राष्ट्र सेवा के लिए हुआ है।
अपनी साधना को बढ़ाते जाओ तुम्हे बहुत शीघ्र ही दिव्य आत्माओं का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जायेगा।सभी देवी देवताओं का दर्शन और उनकी कृपा प्राप्त हो सकती है।
तुम्हे जब भी जरूरत पड़े तुम मुझे याद कर सकती हो ।मैं हर समय तुम्हारा मार्ग दर्शन करने के लिए तैयार रहूंगा।
गुरु की बात सुनकर पद्मिनी को बड़ी राहत महसूस हुई और खुशी भी हुई की अब वो अपनी कमजोरी को दूर कर सकती है।
गुरु को पुनः प्रणाम कर फिर ध्यान में डूबती चली गई।तभी उसे लगा वो हिमालय के दिव्य क्षेत्र में पहुंच गई है। वहा उसे दिव्य ऋषि मुनियों और की दिव्य आत्माओं का दर्शन हुआ ।उसने सबको प्रणाम किया। उन दिव्य आत्माओं ने उसका स्वागत किया ।उसे कई दिव्य ज्ञान प्रदान किए और आशीर्वाद दिए।
सबने एक स्वर में कहा _ बेटी तुम्हे आगे बहुत बड़े बड़े काम करना है।हम सब तुम्हारे साथ है। जन कल्याण,राष्ट्र निर्माण और इसकी सुरक्षा में हमारा सहयोग हमेशा तुम्हे मिलेगा।कोई भी मुशीबत आने पर तुम्हे घबड़ाना नही है।चाहे वो देवी देवता हो या ऋषि मुनि या संत महात्मा मनुष्य योनि में सबको संघर्ष करना पड़ता है तभी सफलता मिलती है।
पदमिनी सबकी बातो को बड़े ध्यान से देखने रही थी ।तभी उसकी नजर एक सुंदर स्त्री पर पड़ी जो उज्ज्वल सफेद वस्त्र पहन कर ध्यान मुद्रा में बैठी हुई थीं।ध्यान से देखने पर वो चौंक गई ।उस तो उसी का हु बहु रूप है।
उसने सवाल के रूप में उन दिव्य आत्माओं की ओर देखा।
एक ने कहा _ तुम्हारा सवाल सही है ।यह तुम ही हो बेटी ।तुम्हे कई जरूरी काम करने के लिए मानव जन्म लेने के लिए भेजा गया है तुम्हारा काम समाप्त होते ही तुम्हे फिर इस दिव्य क्षेत्र में आ जाना है।तब तक तुम्हारा यह दिव्य शरीर इसी ध्यान मुद्रा में रहेगा।
बड़े कार्यों को सिद्ध करने के लिए समय समय पर यहा की दिव्य आत्माओं को भारतवर्ष में मानव रूप में ईश्वर की आज्ञा पर मानव रूप में जन्म लेना पड़ता है।उसी तरह तुम भी एक दिव्य आत्मा हो ।तुम्हे विशेष कार्य हेतु नारी के रूप में जन्म लेना पड़ा है।
और एक बात तुम्हारी सहायता हेतु एक दिव्य आत्मा और जन्म ले चुकी है।लेकिन वो दिव्य शक्तियों का प्रयोग नहीं करेगा केवल सामान्य मानव के रूप में तुम्हारा साथ देता रहेगा।
पदमिनी उस दिव्य आत्मा की वाणी को बड़े शांत और गंभीरता से सुन रही थी।
उसने उस दिव्यात्मा से कौतूहल वस प्रश्न किया _ हे दिव्यात्मां मेरा साथ देनेवाली कौन सी दिव्यात्मां है क्या मैं उसके बारे मे जान सकती हूं।
बिलकुल वही तो तुम्हारा जीवन साथी भी होगा ।लेकिन इतना आसान नहीं होगा उससे विवाह करना ।बहुत सारी बाधाये आएगी लेकिन अंततः होगी।
उससे तुम्हे चार संताने होगी जो बहुत ही प्रतिभावान और अपने कार्य क्षेत्र में महान होंगे ।उनको सारी दुनिया जानेगी और मानेगी।
पदमिनी को उसकी हर बात पर विस्मय होता जा रहा था।आज उसे अपने जीवन के रहस्यों से पर्दा उठता जा रहा था।
तभी उस दिव्यात्मा ने उसे एक तरफ दिखाते हुए कहा _ देखो उस वृक्ष के नीचे सुंदर दिव्य पुरुष को ध्यान मुद्रा में और पहचानो ।
पदमिनी ने कौतूहल वस बड़ी शीघ्रता से उधर देखा ।उस दिव्य आत्मा पर उसकी नजर पड़ते ही उसकी आंखे आश्चर्य से खुली रह गई ।
उसके मुख से निकल गया _ अरे यह तो मेरा दोस्त और कॉलेज का सहपाठी आनंद है ।
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भविष्य दर्शन (भाग-19) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड