रुचि सावले रंग की बहुत समझदार लड़की थी। अपने साथ काम करने वाले रमन से उसको प्यार हो गया था । रमन बहुत ही गोरा और सुंदर था। रमन, और उसके परिवार वाले ,रुचि की पोस्ट और पैसों को देख उन दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए। दोनो की शादी अच्छे से हो गई।
शादी के बाद रमन की मां बात बात पे , सबके सामने बोल ही देती अरे ,हमारे घर में सब सुंदर सुंदर है लेकिन बहुरानी ने तो हमारे घर पे “बट्टा लगा “दिया है, देखो अब इसके बच्चे किस रंग के होते है?
बच्चों पे बात आते ही रुचि के सब्र का बांध टूट गया , और जोर से चिल्ला पड़ी, बस करिए मां जी
भगवान करे मेरा बच्चा मेरे जैसा ही हो , आप के बच्चे जैसा ना हो क्यों की मै सावले रंग के बच्चे के साथ तो रह लूंगी।लेकिन शराबी जुआरी के साथ नहीं रह पाऊंगी। मुझपे” बट्टा लगाने “से कुछ नहीं होगा, आप अपने बेटे को देखे की वो क्या कर रहा है। हमको तो भगवान ने सावला बना के भेजा है । मुझे कोई दुख नहीं है की मै सावले रंग की हूँ।
इतना बोल अपने कमरे में चली गई ।
सास , लोगो का भी अजीब हाल है , अपने बेटे का शराबी जुआरी होना भी गलत नहीं लगता , और बहुओं का रूप रंग तक बहुत सुंदर ही चाहिए ।
रंजीता पाण्डेय