भटकन – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

गरीब घर में भले ही जन्म लिया था पूजा ने पर सौंदर्य,आवाज और व्यवहार कुशलता में उससे अमीर कोई

दूसरा न था।रूप की खान थी वो, गाती भी बहुत मधुर थी, सुनने वाले सम्मोहित हो जाते और व्यवहार कुशल

ऐसी जो मिलता उसका मुरीद बन जाता।

उसकी सखियां उसे छेड़ती अक्सर…जो भी तुझसे शादी करेगा, उसकी लॉटरी लग जाएगी, ऐसी पत्नी हो तो

अंधेरे घर में रोशनी खुद ही हो जाएगी।

पूजा मुस्करा के रह जाती, उसके मन में हजारों सपने पल रहे थे कि क्या सच्ची में मुझे कोई राजकुमार ब्याह

करके ले जाएगा।अपने घर में खाने पीने की भी किल्लत देखती तो सहम जाती, यहां के हालात तो ऐसे हैं कि

कोई राजकुमार तो क्या,साधारण आदमी भी मुझे शादी कर न ले जाए।वो उदास हो जाती लेकिन सहेलियों

के उकसाने से फिर से हसीन सपनों में खो जाती।

पूजा के कॉलेज में ही एक लड़का था श्याम…पढ़ने लिखने में अव्वल, सीधा सादा,कम बोलने वाला,वो चुप

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चाप पूजा को प्यार करता और अपना हमसफर बनाना चाहता था लेकिन पूजा का दिल अटका था रुपेश

में..रूपेश जो बहुत अमीर था, बड़ी सी शानदार गाड़ी में कॉलेज आता, हर समय कुछ चमचे उसके आगे पीछे

चलते क्योंकि वो उसके फेंके हुए पैसों पर पलते थे।

हालांकि रूपेश को पूजा में ज्यादा रुचि नहीं थी, उसके लिए लड़कियों की कमी नहीं थी लेकिन एक बार

दोस्तों में शर्त लगी कि पूजा आसानी से काबू में नहीं आ सकती और इस बात को रुपेश ने इज्जत का विषय

बना लिया,उसने दोस्तों को आश्वासन दिया कि वो इस लड़की को वश में करके दिखाएगा।

जब रुपेश ने झूठे प्यार का जाल पूजा के सामने फेंका वो आसानी से उसमें फंस गई मानो वो इसका इंतजार

ही कर रही थी।उसके पैर आजकल जमीन पर नहीं पड़ते।श्याम बेचैन हो गया…पूजा उसकी न हो, कोई बात

नहीं लेकिन रूपेश उसके साथ खेल कर रहा है वो जानता था, उसने पूजा को समझाना चाहा पर पूजा के कान

पर जूं न रेंगी।

सॉरी श्याम! तुम मुझे चाहते हो और मैं तुम्हें नहीं मिली इसलिए तुम अब चिढ़ रहे हो, लेकिन सॉरी! तुम्हारी

कोई चाल सफल नहीं होगी। वो बोली।

तुम मुझे गलत समझ रहे हो पूजा! श्याम आहत होता बोला…

रुपेश बहुत धनवान है और ये धन संपत्ति न अच्छे अच्छों का दिमाग खराब कर देती है, वो तुम्हें इस्तेमाल

करके छोड़ देगा…एक शर्त के तहत वो तुमसे प्यार का नाटक कर रहा है,तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी,

प्लीज ऐसा मत करो।

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पर रूपेश के प्यार में अंधी हो चुकी पूजा पूरी तरह से भटक चुकी थी,उसने श्याम की बात नहीं सुनी और रुपेश

के साथ सारा सारा वक्त गुजारने लगी।

कुछ दिन रुपेश उसके साथ मौज मस्ती करता रहा, जब एक बार पूजा ने उससे अपने दोनों के भविष्य के बारे

में पूछा वो हंसने लगा…पागल हुई हो क्या? शादी और तुमसे? मेरा स्टेटस जानती हो?

तो क्या वो सब झूठ था जो पिछले कई महीनों से हमारे बीच चल रहा था..? पूजा कांप गई, सारा मोहल्ला,

उसके दोस्त जानते थे कि उन दोनो के बीच क्या चल रहा है लेकिन अब उसे कौन अपनाएगा?

रुपेश चला गया था पूजा को ठेंगा दिखाकर और वो किंकर्तव्यविमूढ़ होकर अपनी भटकन से उबरने के

प्रयास कर रही थी। उसकी सारी सुंदरता, होशियारी उसके बचकाने निर्णय की भेंट चढ़ चुकी थी और उसकी

जिंदगी में अब अंधेरों के सिवा कुछ न बचा था।

समाप्त

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

#ये धन संपत्ति न अच्छे अच्छों का दिमाग खराब कर देती है

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