भ्रूण हत्या – प्रीती सक्सेना

मैं  डॉक्टर शोभा अपने शहर की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ हूं,, सुबह से शाम हो जाती है,, सारा दिन महिलाओं और उनके नन्हें नन्हें, बच्चों में ही निकल जाता है,,

कितना अधिक कष्ट सहकर,, जन्म देती है एक मां,, मैं बच्चों का जन्म तो करवाती हूं,,, पर उस दर्द का अनुभव मुझे नहीं है,,, कारण,, मैं अविवाहित हूं।

 

काम की व्यस्तता इतनी ज्यादा बढ गई है कि, विवाह के बारे में सोचने का भी मेरे पास समय नहीं,, डरती हूं,, अगर पति को उचित समय न दे पाई तो?? ससुराल में बहू की जिम्मेदारी भली भांति न उठा पाई तो,,, दिमाग़ में एक खलबली सी मच जाती है और मैं किसी नतीजे पर पहुंच नहीं पाती।

 

इधर कुछ दिनों से मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं,, अक्सर मुझे एक स्वप्न आधी रात को दिखाता है,, उसके बाद मैं चाहकर भी सो नहीं पाती।

 

      आज भी वही स्वप्न,,, वही रोती हुई नन्हीं बच्चियां एक औरत से लिपटती हुईं,,,, औरत की आंखो से खून के आंसू बहते हुए,,,, रोज की तरह, आज़ भी नींद आंखों से दूर हो गई,, सोच सोचकर दिमाग की नसें दर्द से फटने लगीं,, क्यों यही स्वप्न, बार बार मुझे दिखाई देता है? 

 

       रोज की तरह हॉस्पिटल आई,, उतरा हुआ चेहरा देखकर,, साथी डॉक्टर्स,, पूछने लगे, क्या बताती उन्हें,, मज़ाक ही बनता न मेरा? 

 

     दिन भर तो पेशेंट्स में गुजर गया,, रात का आगमन मेरे लिए,, भय और चिंता लेकर आता है,, अब लगता है, विवाह न करने का निर्णय,, शायद मैने गलत लिया,, वरना इस तरह एकाकीपन, न होता मेरी जिंदगी में।

 

         सुबह मनो चिकित्सक के पास पहुंची,, सारी बातें विस्तार से बताई,, उन्होंने सम्मोहन के द्वारा मुझे एक अलग ही खूबसूरत दुनिया में पहुंचा  दिया,,, वहां देवी सद्रश्य एक माता से ढेरों कन्याएं लिपटी हुई हैं,, वो यहां से वहां उड़ रही हैं, भाग रहीं हैं, देखकर ही लग रहा है,, बहुत खुश है । धीरे धीरे मैं अपने होश खोने लगी,, दूर से किसी की आवाज,, मेरे कानों में आ रही थी,,, क्यों परेशान हो,, क्यों बेचैन रहती हो??

 

     मैं बोलने लगी,, लोगों ने लिंग परीक्षण करवाकर,,, लाखों कन्या भ्रूण हत्याएं करवाई,,

रोज न जाने कितने कन्या भ्रूण,, फिकवा  दिए जाते थे,, असहनीय होता था मुझे ये सब देखना,, पर डॉक्टर होने के नाते,, मेरी मजबूरी थी जो,, न चाहते हुये भी मैं ये सब करती गई।

मेरे कानों में इन बच्चियों के रोने की आवाजें आती थीं,, पर इन्हें, खिलखिलाते हुए देख अब मैं निश्चिंत हूं।

 

    थोडी देर बाद मैं पूर्ण रूप से होश में थी,,, मुझे मेरे सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए,, अब शायद मैं चैन की नींद सो पाऊंगी

 

प्रीती सक्सेना,, इंदौर

मौलिक

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!