पढ़ी लिखी इंजीनियर बहू आरती आयी थी, घर मे, सासु पूजा देवी, ठहरी गांव की दसवीं किसी तरह पास करी हुई। जब से शादी तय हुई, मन ही मन बहुत परेशान थी, अभी तो घर मे सिर्फ बेटा अक्षय और उसके बाबूजी ही अनादर करते थे।
कुछ बात चल रही हो और अगर पूछ लें तो जवाब मिलता था, “तुम्हारे मतलब की बात नही है, जाओ देखो किचन में बहुत काम पड़ा है।”
दो महीने में धूमधाम से शादी भी हो गयी, पूरा परिवार निहाल हो गया, कितनी प्यारी है, गोल सा चेहरा चांद का टुकड़ा ही है। पूजा थोड़ी दूरी बनाकर ही रहती थी, कहीं कोई गलती न निकाल दे, पर धीरे धीरे लगा स्वभाव तो बहुत प्यारा है। आने के एक महीने बाद ही उसने सबको समझा कर कुक भी लगवाया, पूजा का काम कुछ कम हुआ।
पड़ोसन भाभी आयी थी और बोली, पूजा सम्हलकर रहना, आजकल की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं, पूरा साम्राज्य खुद ही चलाना चाहती हैं।”
“अरे, नही, बहुत अच्छी है।”
पर उसके जाते ही, मन मे गलतफहमी पैदा होने लगी। बहू की हर छोटी बड़ी बात का एनालिसिस करने लगी।
बहू ने एक दिन कहा, “आइये मैं आपको साड़ी पहनने का दूसरा ढंग बताऊं, मेरी सहेलियों के सामने आप सीधे पल्ले की न पहना करो।”
उस समय पूजा चुप रही, पर दिनभर ये बात उसे खलती रही, जबकि आरती ने प्यार से ही कहा था।
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एक दिन बातो बातो में आरती ने पूछ लिया, मम्मी आपका जन्मदिन कब आता है।
उसने कहा, कभी मनाया नही, पर मेरे बाबूजी कहते थे, गाँधीजी और मेरा जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है।
पहली अक्टूबर की रात से ही आरती ने बढ़िया व्यंजन बनवाये, अक्षय से केक मंगवाया, रात को बारह बजे पूजा जी के बेड रूम नॉक किया, जब मम्मी, पापा बाहर आये तो सबने हैप्पी बर्थडे बोलते हुए गाना शुरू कर दिया। सबलोगों ने मिलकर केक काटा और आरती ने एक लाल डिब्बा पकड़ाया, मम्मी अभी खोलिए। प्यारी सी गोल्ड रिंग देखकर पूजा अवाक रह गयी और आरती को गले लगाया। मेरे जीवन मे तुम पूजा की आरती ही बन कर आई हो, आजतक किसी ने मुझे हैप्पी बर्थडे नही बोला, घर मे किसी ने पूछने की जरूरत नही समझी कि मेरा जन्मदिन कब होता है। अब मैं तुमपर पूरा भरोसा कर सकती हूं।
#भरोसा
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़