सुबह सुबह पाँच बजे दरवाज़े की घंटी बजते ही रचिता आँखें मलते हुए उठी और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गई साथ ही साथ बुदबुदाती भी जा रही थी इतनी सुबह सुबह कौन आ सकता है….?
दरवाज़ा खोलते ही देखती है सामने पड़ोस में काम करने वाला लखना परेशान सा खड़ा है
“दीदी जी जल्दी घर चलिए देखिए ना मैडम कुछ बोल ही नहीं रही है ।”ये सुनते ही रचिता घबरा गई
“ तुमने डॉक्टर को फ़ोन किया?” रचिता ने पूछा
“ हाँ दीदी जी वो भी आने वाले होंगे पर आप जल्दी से चलिए मेरा दिल बहुत घबरा रहा है कहीं मैडम…।” कहते कहते लखना रोने लगा
“ रोना बंद करो और चुप हो कर घर जाओ …मैं किशोर को उठा कर उसे भी साथ लेकर आती हूँ ।” कहती हुई रचिता घर के अंदर की ओर भागी
दोनों जब मिसेज़ मल्होत्रा के घर पहुँचे तो देखते हैं पहले से ही बाहर कुछ लोग इकट्ठे हो रखे थे और साथ ही किसी ने पुलिस को भी फ़ोन कर बुला लिया था ।
रचिता और किशोर को देखते ही पुलिस उनके पास आई और पूछने लगी,”आप लोग ही इनके पड़ोस में रहते हैं….सुना है मिसेज़ मल्होत्रा से आप लोगों के रिश्ते अच्छे थे…और ज़रूरत के समय आप लोग हमेशा उनके साथ ही रहते थे…..अच्छा ये बताइए इनके बच्चे कहाँ रहते हैं… लखना ने बताया है कि वो दस बारह साल से आए ही नहीं है…. उन्होंने अपनी तरफ़ से माँ कीं ज़िम्मेदारी लखना और एक लड़की क्या नाम है उसका (अपने सिर पर ज़ोर देते हुए सोचने की कोशिश करने लगे)हाँ मीनू उन्हें सौंपकर वो लोग जो यहाँ से गए फिर यहाँ कभी आए ही नहीं है …बस अकाउंट में पैसे भेज दिया करते हैं… कभी कभार उनके बेटे का एक दोस्त कनिष्क मिसेज़ मल्होत्रा का हाल चाल जानने आता रहता है कल भी वो आया था तब मिसेज़ मल्होत्रा एकदम ठीक थी फिर अचानक ये सब हो गया….वैसे डॉक्टर उनकी जाँच कर रहे हैं तभी कुछ पता चलेगा…क्या मिसेज़ मल्होत्रा बीमार रहती थी?”
“ जी ऐसा तो बिलकुल भी नहीं था…. वो अच्छी सेहत की महिला थी अपने सारे काम वो खुद करना पसंद करती थी .. लॉन की सफ़ाई करवाती तो हमपर ग़ुस्सा भी करती थी कि तुम्हारे लॉन के पेड़ों के पत्ते इधर आ जाते सफ़ाई किया करो नहीं तो किसी दिन उन पेड़ों को कटवा दूँगी जो मेरे अहाते में आते हैं… वो थोड़ी सख़्त रहती थी पर दिल से बहुत मासूम ,कल शाम में भी हमने बातें की थीफिर रात भर में ये क्या हो गया हमें समझ ही नहीं आ रहा ये सब कैसे हो गया?” रचिता भी परेशान होती हुई बोली
तभी कमरे से डॉक्टर बाहर आए और पुलिस से बोले ,”हमने उनकी जाँच कर ली है…..प्रारंभिक जाँच से ऐसा लग रहा है कि दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई है…. क्योंकि आसपास किसी संघर्ष के कोई निशान नहीं मिल रहे हैं….पर एक बात आश्चर्य में डाल रही है कि मृत्यु से पहले उन्हें थोड़ी उल्टी भी हुई है और यही हमें ताज्जुब की बात लग रही है…..वैसे हम ऑटोप्सी के बाद ही कुछ कह सकते हैं…इनके परिवार में से किसी को बुला लीजिए कुछ पेपर पर उनके साइन चाहिए होंगे ताकि हम ऑटोप्सी की प्रक्रिया कर सकें।”
लखना ने मिसेज़ मल्होत्रा के बेटों को माँ के मरने की जानकारी दे दी थी ,वो लोग उसी वक्त आने के लिए निकल पड़े थे ।
तभी लखना ने डॉक्टर के पास आकर पूछा,” डॉक्टर साहब मैडम को क्या हो गया… वो तो एकदम स्वस्थ थी कभी कोई दवाई तक नहीं ली अपने सेहत का पूरा ध्यान रखती थी ।”
“ तुम उनके बेटे हो?” डॉक्टर ने पूछा
“ जी नहीं साहब मैं तो यहाँ देखभाल के लिए रहता हूँ इनका ड्राइवर और घर बाहर की ज़रूरत का सारा काम मैं ही देखता हूँ ।” लखना ने कहा
“ अच्छा फिर तुम्हारी मैडम के बच्चे किधर है उन्हें खबर दे दो ।” कह कर डॉक्टर पुलिस की ओर देखते हुए ऑटोप्सी का क्या करना है पूछने लगे
रचिता और किशोर ने पुलिस से जाकर पूछा,” क्या इनके बच्चे आ रहे हैं.. इनका दाह संस्कार ये सब तो उनके आने के बाद ही होगा तब तक हम अपने घर जाते हैं ।”
पुलिस की इजाज़त मिलते वो दोनों अपने घर चले गए
पुलिस पूरे घर की बारीकी से जाँच कर रही थी तभी मिसेज़ मल्होत्रा के कमरे में बिस्तर के किनारे रखे टेबल पर दूध का गिलास रखा हुआ दिखा उसमें थोड़ा दूध बाकी था जिसे एक पैकेट में रख कर पुलिस ने फ़ॉरेंसिंक जाँच के लिए भेज दिया ।
घर के बाहर जाकर देखा तो पूरी चारदीवारी में तीन गेट बने हुए थे एक मुख्य गेट और दो छोटे गेट जिसमें एक गेट रचिता के घर से लगा था दूसरा पीछे की ओर पतले रास्ते की ओर खुलता था ।
पुलिस मिसेज़ मल्होत्रा के बेटों के आने तक उनकी बॉडी को डॉक्टर के कहेनुसार मोर्चरी ( मुर्दाघर) में रखने भेज दिया ।
“ यहाँ तुम्हारे अलावा और कौन कौन रहता है?” पुलिस ने लखना से पूछा
“ साहब एक लड़की और रहती है ,मीनू ,वो तो बहुत पुरानी है मुझे तो अभी ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ है यहाँ आए पर पता चला है कि वो हमेशा इधर ही रहती है और एक लड़की खाना बनाने आती है और चली जाती है ।” लखना ने कहा
“ वो लड़की किधर है जो यहाँ रहती है नज़र क्यों नहीं आ रही है?” पुलिस ने पूछा
“ साहब कल दोपहर को वो मैडम से छुट्टी लेकर गई थी कह रही थी उसके घर में किसी की शादी है सुबह आ जाएगी पर अभी तक आई नहीं है … और दूसरी तो दस बजे बाद आती हैं वो आने वाली होगी ।” लखना ने कहा
पुलिस उसकी बात सुन कर हा हूँ कर रही थी तभी उन्हें कनिष्क का ध्यान आया…,” ये बताओ वो कनिष्क हमेशा यहाँ आता रहता था… तुम्हारी मैडम के साथ अच्छे से बात करता था? उसे खबर कर दी तुमने?”
“ साहब मैडम तो उन्हें अपना बेटा ही मानती थी और प्यार से बात भी करती थी पर इधर कुछ दिनों से उनका आना जाना ज़्यादा हो रहा था… उन्हें खबर करना भूल ही गया … आप कहे तो अभी खबर कर दूँ?” लखना ने पूछा
“ हाँ हाँ बिलकुल ।”
रात तक मिसेज़ मल्होत्रा के बेटे भी घर आ गए थे और साथ ही कनिष्क भी आ गया था सबके चेहरे पर परेशानी और दुख साफ़ दिख रहा था ।
पुलिस ने मिसेज़ मल्होत्रा के कमरे में किसी को भी जाने से मना कर रखा था ।
“ पुनीत जी आपकी माँ की मौत यूँ तो हार्ट अटैक से हुई है फिर भी डॉक्टर का कहना है उन्हें शक है कि ये सामान्य मौत हुई है इसके लिए ऑटोप्सी करने के लिए आपके साइन की ज़रूरत पड़ेगी … आप दोनों भाई आपसी सहमति से विचार कर हमें बता दें ।”पुलिस ने कहा
“डॉक्टर जब नेचुरल डेथ है तो मुझे नहीं लगता ऑटोप्सी की ज़रूरत है मॉम को कोई क्यों ही मारना चाहेगा… हम दोनों भाई जब भारत से बाहर रहने की सोचें थे तब मॉम ने कभी हमें मना नहीं किया वो यहाँ अपनी मर्ज़ी और ख़ुशी से रह रही थी।” बड़े बेटे पुनीत ने कहा
“ नहीं भैया मुझे तो शक हो रहा है मॉम को किसी ने मार दिया हो हम तो यहाँ रहते नहीं थे पता नहीं किसी की नज़र हमारी प्रॉपर्टी पर हो ।” प्रसून अपने बड़े भाई के दोस्त कनिष्क से शुरू से ही खार खाता था और वो उसको घूरते बोला
ख़ैर दोनों भाइयों ने सहमति से अपनी मॉम की ऑटोप्सी की रज़ामंदी दे दी ।
इधर ना तो मीनू उस पूरे दिन आई ना ही खाना बनाने वाली रेखा।
उन दोनों का ग़ायब होना पुलिस को उनपर शक करवा रहा था पर किस बुनियाद पर वो वैसा करेंगी ये समझ नहीं पा रहे थे ।
ऑटोप्सी की रिपोर्ट भी आ गई थी और जो कुछ भी रिपोर्ट में था उसे सुन कर सब शॉक्ड थे।
“मि. शर्मा मिसेज़ मल्होत्रा की मृत्यु ज़रूर हार्ट अटैक से हुई है पर वो नेचुरल डेथ नहीं थी इन्हें कुछ ऐसा दिया गया जिससे मृत्यु तो हो पर वो हार्ट अटैक जैसा लगे इनके शरीर में एकोनाइट की मात्रा मिली है जो किसी खाने की चीज में मिलाकर दी गई थी।” डॉक्टर ने पुलिस से कहा कहा
तभी मि. शर्मा को याद आया एक गिलास जाँच के लिए भिजवाया था, उन्होंने तुरंत वहाँ फ़ोन कर पता किया तो उसमें भी इसकी पुष्टि हो गई, अब ये पता करना बाकी था ये सब किया तो किसने?
मि. शर्मा ने अपनी टीम को घर के हर सदस्य पर नज़र रखने और पूछताछ करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी… साथ ही साथ रेखा और मीनू को भी खोज कर सामने लाने को कहा ।
बेटों से भी पूछताछ जारी थी किसी पर शक है तो बताओ… या कोई उन्हें मारना चाहेगा तो क्या वजह हो सकती है.. उन्हें कोई भी कारण नज़र नहीं आ रहा था ।
“ अच्छा आप लोग ये बताइए आपके पड़ोसी तो ऐसा नहीं कर सकते?” अचानक से मि. शर्मा ने पुनीत और प्रसून से पूछा
“ पता नहीं मि. शर्मा.. पर मॉम कहती रहती थी कि वो किशोर कहता रहता है कभी आपको अपनी ये प्रॉपर्टी बेचने का ख़्याल आए तो हमें पहला मौक़ा दीजिएगा क्योंकि ये दो प्लॉट साथ साथ ही है तो हमारे पास एक बड़ा प्लॉट हो जाएगा … पर मॉम को मारने की बात ये गले से नहीं उतर रही क्योंकि मॉम के साथ उनका व्यवहार हमेशा पारिवारिक ही रहा है पर ज़मीन जायदाद को लेकर कुछ कहना मुश्किल भी है आप खुद ही अपने स्तर पर पता करें… हमारी मॉम तो अब चली गई।” कहते हुए पुनीत की आँखों में आँसू आ गए थे
तभी कुछ लेडी पुलिस रेखा और मीनू को पकड़ कर ले आई ।
“ साहब ये दोनों भागती फिर रही थी किसी तरह पकड़ में आई है ।”
“ तुम लोग किधर ग़ायब थी सच सच बताओ किसने मिसेज़ मल्होत्रा को मारने की साज़िश रची?” मि. शर्मा कड़क लहजे में पूछे
“ साहब मैं तो उस दिन शादी में गई हुई थी.. और आंटी तो मुझे बहुत प्यार करती थी मैं भला उन्हें क्यों मारूँगी, मेरे माता-पिता यहाँ काम करते थे तबसे ये सब मुझे जानते हैं.. क्यों भैया आप लोग कुछ तो बोलिए?” मीनू पुनीत और प्रसून की ओर देखते हुए बोली
“ हाँ मि. शर्मा हम जब भी मॉम से विडियो कॉल पर बात करते थे वो मीनू की तारीफ़ करती रहती थी, ये ऐसा क्यों करेंगी… रेखा तुम मॉम के लिए खाना बनाती थी ना तुमने तो मॉम को..?” पुनीत रेखा की ओर मुख़ातिब हो कर बोला
“ साहब मेरी तबियत ख़राब हो गई थी इसलिए नहीं आ रही थी फिर मैडम की खबर सुन हिम्मत ही नहीं हुई आने की….साहब मैं तो आठ बजे खाना बनाकर चली जाती हूँ….उस दिन मैडम ने कहा था कनिष्क साहब आने वाले हैं उनके लिए भी खाना बनाकर रख देना हम बाद में खा लेंगे और जाने से पहले दूध भी रख जाना मैं सोने से पहले पी कर सोऊँगी …..वो क्या है ना साहब जी …मैडम को रात को दूध पीकर सोने की आदत है वैसे तो हर रात मीनू उनके साथ होती है तो वही दूध देती हैं पर उस दिन मीनू नहीं थी तो उन्होंने मुझे कहा था, साहब मैंने किसी में कुछ भी नहीं मिलाया अगर कुछ मिलाया होता तो कनिष्क साहब को भी कुछ हो जाता।” कंपकंपाती आवाज़ में रेखा ने कहा
सबको रेखा की बात सच लग रही थी फिर सबकी नजर लखना पर गई ..
“ लखना तुम तो घर में ही रहते हो… सच सच बताओ कही तुमने ही तो …?” कड़क और सख़्त आवाज़ में मि. शर्मा ने पूछा
“ साहब मैडम की जान लेकर मुझे क्या ही मिलता… कल कनिष्क साहब आए थे मैडम के साथ उनकी बहुत देर तक बातचीत हो रही थी दोनों कुछ पेपर को लेकर बातें कर रहे थे …आप उनसे कुछ क्यों नहीं पूछते सबसे आख़िरी में मैडम से तो वही मिल कर गए थे।” लखना ने धीरे-धीरे कहा
सब कनिष्क की ओर देखने लगे..
“ पुनीत यार तू भी मुझ पर शक कर रहा है मैं तो तेरे ही काम से आँटी से मिलने आया करता था…वो तैयार भी हो गई थी ।” कनिष्क ने कहा
“ ये क्या कह रहा है भैया आपका क्या काम ?” प्रसून आश्चर्य से पूछा
“ प्रसून मुझे पैसों की सख़्त ज़रूरत थी.. मैं मॉम से कह रहा था ये घर वो बेच कर कहीं दूसरी जगह अपने रहने के लिए व्यवस्था कर घर खोज ले नहीं तो मेरे पास रहने आ जाए पर वो तैयार नहीं हो रही थी इसलिए मैंने कनिष्क से कह रखा था मॉम को मनाता रहे और अगर वो उधर ही कहीं अच्छी सोसायटी में उनके रहने की व्यवस्था कर सके तो करके घर बिकवा कर पैसे भेज दे पर कनिष्क मॉम को क्यों मारेगा… नहीं नहीं वो ऐसा नहीं कर सकता !” पुनीत ने कहा
“ अच्छा तो यहाँ प्रॉपर्टी और पैसे की बात आ गई तभी उन्हें मार दिया गया… पर क्यों.. वैसे घर के काग़ज़ात किसके पास है?” मि. शर्मा ने पूछा
“ वो तो मॉम खुद अपने पास रखती थी अपने लॉकर में ।” पुनीत ने कहा
“ यार पुनीत याद आया आँटी बार बार यही कह रही थी कि मैं जानती हूँ मेरे बच्चे मेरे पास कभी लौट कर नहीं आएँगे इसलिए मैंने वसीयत किसी और के नाम लिखवा दिया है पर अब अगर इसे बेचना होगा तो मुझे वसीयत बदलनी पड़ेगी .. किसका नाम दिया वो तो कभी बताया ही नहीं … दो चार दिन में वो वकील को बुला कर वसीयत में बदलाव कर के घर बेचने को राजी हो गई थी।” कनिष्क ने कहा
सब इसी गुत्थी को सुलझाने में व्यस्त थे कि आख़िर ये किसने किया होगा और मिसेज़ मल्होत्रा ने वसीयत में किसका नाम दिया होगा ?
“ जिस वकील से मॉम ने ये करवाया होगा वो हमारे पुराने जानकर है उनसे पता चल सकता है ।” प्रसून ने कहा
वकील को फ़ोन करके बुलाया गया
“ अंकल मॉम ने आपसे कोई वसीयत बनवाया था और किसका नाम दिया था आप बता सकते हैं?” पुनीत ने वकील साहब से पूछा
“ बेटा हम तो आपके पुराने वकील है.. मैडम ने कहा था ये बात किसी से मत कहिएगा पर जब वो ही नहीं रही तो अब किसके लिए और किसी से क्यों छिपाना… उन्होंने अपने मरने के बाद ये घर मीनू के नाम करने की बात कही थी…तब मैंने कहा भी आप उस लड़की को ये सब क्यों देना चाहती है तब उन्होंने कहा मेरे बेटे अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हैं और भगवान की दया से उन्हें कोई कमी नहीं है पर ये मीनू इसके माता-पिता ने अपनी पूरी ज़िन्दगी इस घर में गुजार दी थी और अपनी बेटी को मेरी ज़िम्मेदारी दे कर चल बसे ऐसे में मैंने उसे अपनी बेटी मानते हुए उसे ये घर देने का सोचा है ताकि मेरे ना रहने पर उसके सिर से छत ना छिने, अब आप ही बताइए मैं क्या बोलता मैंने उनकी इच्छानुसार पेपर तैयार कर दिए थे पर एक दिन उनका फ़ोन आया था कह रही थी कि वो पेपर में कुछ बदलाव करना चाहती है पर अभी रूककर दो दिन बाद आने को कहा था उसके पहले ही वो सबको छोड़ कर चली गई ।” वकील ने कहा
मिसेज़ मल्होत्रा मीनू को घर देना चाहती थी अपने मरने के बाद ये बात मीनू को भी एक दिन बातों बातों में उन्होंने बता दिया था ।
ये सुन कर सब मीनू की ओर देखने लगे ।
उधर दूर कोने में मीनू में चिंतित सी खड़ी थी तभी उसके फोन की घंटी बजी वो जल्दी से फोन ऑन कर बोली,”तुमने तो कहा था किसी को कुछ पता नहीं चलेगा पर यहाँ तो पुलिस तक बात पहुँच गई है अब क्या होगा ।”मि. शर्मा उसके चेहरे के हाव-भाव देख कर उसके पास जैसे ही आए वो घबरा गई और फोन उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया
फ़ोन उठाने को वो झुकती उसके पहले ही मि. शर्मा ने उसका फ़ोन लेकर अपने कान पर लगा लिया और मीनू को घूरते हुए चुप रहने को बोले।
“ अरे मैंने कितना कहा था तुमसे थोड़ा सा ही डोज देना होता है…बहुत ही थोड़ा…उससे पता भी नहीं चलता पर तुमने पता नहीं सारा का सारा क्यों दे दिया ।” उधर से किसी लड़के की आवाज़ सुनाई दी
मि. शर्मा ने फ़ोन काटा और एक लेडी कांस्टेबल के साथ मीनू को अलग लेकर गए ।
“ ये सब क्या चल रहा है सच सच बताओ… तुमने ही मिसेज़ मल्होत्रा को मारा है पर क्यों…वो तो तुम्हें बेटी मानती थी फिर उनके साथ तुम्हें ऐसा करने की ज़रूरत क्यों पड़ी और ये सब तुमने कब और कैसे किया… तुम तो उस दिन छुट्टी लेकर गई हुई थी ?” मि. शर्मा ने कड़क आवाज़ में पूछा
मीनू आवाज़ सुनकर रोने लगी और सब सच सच बता दिया।
मीनू ने जो भी कहा वो सुन कर मि. शर्मा उसे कस्टडी में ले लिए साथ ही उस लड़के को पकड़ने भेजे जिसकी मदद से मीनू ने ये सब किया था ।
मीनू ने कहा,” साहब मैडम बहुत अच्छी थी मुझे बहुत प्यार भी करती थी वो अपना घर भी मुझे देने को तैयार थी पर कुछ दिनों से कनिष्क साहब आकर मैडम से घर बेचने की बात कर रहे थे पहले तो मैडम मना करती रही फिर अचानक से राजी हो गई…घर मेरे हाथ से जाने वाला था ये बात जब मैं अपने मंगेतर को बताई जो जड़ी बूटियों का काम करता है उसने ही मुझे कहा था ये दे देना उससे उनकी मृत्यु हार्ट अटैक होने से हुई है ऐसा लगेगा और हम पकड़े भी नहीं जाएँगे और घर हमें ही मिल जाएगा क्योंकि उनके मरने के बाद मेरा ही होने वाला था उसने मुझे एक दवा दी थी जिसे मैं एक दिन पहले बहुत थोड़ा सी मात्रा में चेक करने को उनके दूध में मिलाकर दे दी थी पर उससे कुछ नहीं हुआ तब मुझे डर लगा कहीं मैडम घर की वसीयत बदल ना दे…क्योंकि उन्होंने वो काग़ज़ात भी एक दिन वकील को उठा कर दे दिया था तभी हमने ये प्लानिंग की कि कुछ ऐसा करें कि वो हार्ट अटैक सामान्य सा प्रतीत हो और हम पकड़े भी नहीं जाए और वो घर मुझे ही मिल जाए .. पर बदक़िस्मती से हम पकड़े गए।” रोते रोते मीनू ने ये बात कही
“ पर तुमने ये सब कब किया तुम तो उस दिन छुट्टी पर थी?” मि. शर्मा ने पूछा
“ साहब उस दिन छुट्टी लेकर मैं उस दवा की और ज़्यादा मात्रा लेने मंगेतर के पास गई थी…. मुझे पता था कनिष्क साहब आने वाले हैं इसलिए मैं पीछे वाले पतले रास्ते से अंदर आ कर साहब के जाने का इंतज़ार करने लगी वो जब जाने लगे तो रसोई में बने वॉशिंग एरिया से मैं अंदर आ गई और मैडम की गिलास में दवा डालकर चुपके से निकल गई…पता था वो अब बचेंगी नहीं… उनकी मृत्यु हो जाने के बाद ये घर मुझे ही मिल जाता पर पकड़ी जाऊँगी ये नहीं सोचा था ।” मीनू रोते रोते पुनित और प्रसून से गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी माँगने लगी
“ तुम्हें जरा भी शरम नहीं आई जिस माँ ने तुम्हें बेटी जैसा माना तुम्हें उसे मारने से पहले जरा भी झिझक नहीं हुआ ?” ग़ुस्से में पुनीत और प्रसून ने धिक्कारते हुए मीनू से कहा
“ इसे आप पकड़ कर ले जाइए और जो सज़ा दे सकते है दिजीए…. सच कहते हैं लोग कभी भी ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए…. इनके लिए कितना भी कर लो कभी अपने नहीं हो सकते।” प्रसून ने कहा
पुलिस ने मीनू को जेल में डाल दिया साथ ही साथ पुलिस ने उसके मंगेतर को भी पकड़ कर जेल में डाल दिया।
दोस्तों आजकल बहुत पैरेंट्स या सिंगल पैरेंट बच्चों के विदेश चले जाने या अपने ही देश में महानगरों में खुद को ढाल नहीं पाने की स्थिति में अपने घर या अपने शहर में ही रहना पसंद करते हैं इसके लिए वो उनकी देखभाल के लिए भरोसेमंद सहायकों को रख देते हैं पर कई बार कुछ लालच में आकर इस तरह की घटना को अंजाम दे देते है।
मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
रश्मि जी ये कहानी महानगर की नहीं हर घर की कहानी है बच्चे एक बार नोकरी करने या व्यापार के लिए घर से बाहर निकल गए तो फिर वापिस नहीं आते हैं
पैसे की जरूरत ने ऐसा माहौल बना दिया है
कहानी पढ़ कर अपने विचार व्यक्त करने के लिए हार्दिक आभार 😔🙏