सुनंदा ने सुबह सुबह जैसे ही दरवाजा खोला …अचानक पैर किसी चीज से टकराया …नीचे देखा तो जमीन पर एक नारियल लाल सिंदूर,कुछ चावल के दाने, काला तिल लाल रंगव का कपड़ा और कुछ लाल फूल बिखरे थे…ये क्या है पड़ा है जमीन पर…लगता है किसी का पूजा का सामान जल्दी जल्दी में गिर गया है उसने सोचा और फिर नीचे झुककर जल्दी से सारा समान समेटने लग गई थी…तभी पड़ोस की शांता भाभी आ गईं…अरे नंदा छूना नहीं ये सब …दूर हो जाओ … जाओ जल्दी अपना हाथ साबुन से रगड़ के धो.. तुम्हें नहीं पता ये किसी ने कुछ टोना टोटका किया है तुम्हारे घर पर …आश्चर्यचकित रह गई थी सुनंदा टोना टोटका शब्द सुनकर… ओह ..!!यही होता है टोना टोटका मैने किताबों में बहुत पढ़ा है इसके बारे में…पर शांता भाभी आजकल भी ये किया जाता है क्या!!!
बड़े शहर की रहने वाली सुनंदा इस कस्बे में अभी एक ही महीने पहले आई है उसके पति राजन की कम्पनी ने किसी प्रोजेक्ट में दो वर्ष के लिए यहां भेजा है…।
पर भाभी ये जादू टोना किसने किया !!इससे क्या होगा …!!मेरे घर पर क्यों किया मेरी किसी से क्या दुश्मनी है!!इससे क्या कुछ बुरा प्रभाव पड़ेगा मेरे घर पर !!अचानक राजन की सुरक्षा को लेकर वो आशंकित हो उठी थी…!
मुझे लगता है तुमने अपनी जिस कामवाली प्रेमा को चोरी करते पकड़ा था और काम से निकाल दिया था …उसी का किया धरा है ये…शांता भाभी ने चिंतित होकर कहा ..सुनंदा मैने तुम्हे पहले ही सावधान किया था उसे काम से मत निकालो उसकी बहुत बेइज्जती हुई है तुम्हारे कारण …!
कॉलोनी में बहुत चर्चा का विषय है तुम्हें पता है प्रेमा मेड ग्रुप की लीडर है… चारों तरफ तुम्हारी बदनामी फैला रही है…!तुम ऐसा करो सुनंदा बात ज्यादा बिगड़े इसके पहले प्रेमा को इज्जत से अपने घर बुला कर माफी मांग लो मना लो उसे…. तुम कहो तो मैं उसे बुला लाऊंगी मैं उसका घर जानती हूं….शांता भाभी की आवाज में डर और चिंता दोनों थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
क्या वर पक्ष के लोगों को वधू पक्ष का अपमान करने का अधिकार है – गीतू महाजन
….पर भाभी उसने तो मेरी चांदी की पायल चुराई थी उसके पहले भी उसने मेरा एक नया पर्स और छाता गायब कर दिया था आए दिन घर के बर्तन गायब कर रही थी ….वो तो पायल उस दिन जाने की जल्दी में उसीकी साड़ी में उलझ कर गिर गई तब चोरी का पर्दाफाश हुआ… मैंने उसकी कोई बेइज्जती नहीं की थी बस काम पर आने से मना कर दिया था… हां पर वो काफी बड़बड़ा रही थी नाराज हो रही थी और मैं देख लूंगी आपको अब आप इस कॉलोनी में कैसे रहेंगी और किसी और काम वाली को कैसे अपने घर काम पर लगाएंगी ये भी कह रही थी….सुनंदा ने याद करते हुए कहा…। “…वाह ये भी अच्छी रही एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी…।”
पर उस दिन के बाद ऐसा कुछ उसके घर के दरवाजे पर नहीं मिला तो धीरे से सुनंदा उसे शांता भाभी के मन का मिथ्या भ्रम समझ कर भूल सी गई….और आने वाले नवरात्रि पर्व की तैयारी में जुट गई….सुनंदा बड़ी देवी भक्त थी … घट स्थापना जवारा बोना माता की चौकी सजाना बड़ी धूमधाम से मां का स्वागत करती थी पूरे नौ दिन व्रत रहती थी और अष्टमी के दिन कन्या भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करती थी …इस बार नई जगह नए लोग थे …ज्यादा मेहनत करनी थी…राजन तो अपने काम में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें इन सब बातों से कोई सरोकार ही नहीं रहता ना ही कोई सहयोग..!!
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह सुबह वो शांता भाभी के साथ मंदिर में पूजन करके घर वापिस आई तो अपने घर के ठीक सामने काफी भीड़ देख कर आशंकित हो गई तभी… आ गईं आ गईं….की आवाज सुन कर देखा तो सभी लोग उसी की ओर देख रहे थे…क्या हुआ ..!!सोच ही रही थी कि भीड़ के बीच का दृश्य देख कर घबरा सी गई…
…प्रेमा उसकी काम वाली जिसे उसने काम से निकाल दिया था वो जमीन पर बैठी थी…एकदम सुर्ख़ लाल साड़ी पहने थे बाल बिखेरे बैठे बैठे चारों ओर झूम रही थी…शांता भाभी ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा अरे इसे तो देवी जी आ गई हैं….कहते हुए वो प्रेमा के सामने जमीन पर दंडवत हो गई और जय माता जय माता बोलने लग गईं ….सभी महिलाएं हाथ जोड़े प्रेमा के पास जाकर उसके चरण स्पर्श करने लगीं…प्रेमा सबको झिड़क रही थी …शांता भाभी ने सुनंदा से भी प्रेमा के चरण स्पर्श करने को कहा पर सुनंदा उनके बार बार धमकाने पर भी प्रेमा के सामने नहीं जा पाई उसे बहुत अजीब लग रहा था ये सब..
इस कहानी को भी पढ़ें:
सुंदरता व्यवहार में होती है – संगीता त्रिपाठी
तेरा अमंगल निश्चित है….अचानक प्रेमा ने जोर से कहा तो सब सुनंदा की ओर देखने लगे और दबाव देने लगे कि मां आपसे नाराज हैं इनके पैर पकड़ के माफी मांग लो आपने इन पर चोरी का इल्जाम लगाया था और बेइज्जती करके घर से निकाल दिया था आज मौका है नहीं तो आपके साथ कुछ अनहोनी घटित हो जाएगी…नवरात्रि का समय है देवी को नाराज नहीं करिए ….!
नहीं मैं क्यों माफी मांगू ..गलती इसकी थी सुनंदा सबके बीच बहुत असहज और अपमानित महसूस कर रही थी..!इस प्रेमा से माफी मांगू हद है नाटक कर रही है बीच सड़क पर…. कैसे लोग हैं ये सब जो अंधे हो गए हैं
जल्दी माफी मांग नहीं तो अभी तेरा ये घर ध्वस्त कर दूंगी भस्म कर दूंगी जिससे बेइज्जती करके तूने मुझे निकाला था….प्रेमा खड़े होकर लाल लाल आंखों से सुनंदा की तरफ घूर कर गरजने लगी तो उपस्थित सारी भीड़ डर गई पर सुनंदा नहीं डरी वो सारी भीड़ चीर कर हिम्मत से आगे बढ़ी और प्रेमा के पास आ खड़ी हुई और शांत स्वर में ललकार कर बोली..” मेरा घर ध्वस्त करना तो दूर तुम उसे हिला भी नहीं सकतीं समझीं….ये सब ढोंग और पाखंड क्यों कर रही हो …अपने आप को सुधारो प्रेमा…..मैं तुमसे डरने वाली नहीं हूं….अच्छा अगर बहुत ताकत है तुम्हारे पास तो वो गिलास जो वहां रखा है घर के अंदर टेबल पर उसे जमीन पर गिरा कर बता दो …अगर गिलास गिर गया तो मैं मान जाऊंगी तुम्हारे अंदर कोई शक्ति है और माफी भी मांग लूंगी…”।
आत्मविश्वास से दमकती सुनंदा की बुलंद आवाज से सभी का ध्यान प्रेमा की ओर गया कि हां इतना सा काम तो ये अभी तत्काल कर देगी गिलास तो गिर ही जायेगा..! हां हां गिलास गिरा देंगी देवी तुम इनको नाराज नहीं करो…..भीड़ की बातें सुन प्रेमा समझ गई उसकी पोल खुलने वाली है पहले तो उसने खूब झूम झूम कर बात टालने की कोशिश की फिर गिलास की ओर देख कर खूब हाथ पैर भी घुमाए फिराए..पर गिलास तो हिला भी नहीं….।
अब तो भीड़ की आंखों से अंधभक्ति का परदा हटने लग गया था और ……प्रेमा अब नाटक बंद करो ….सुनंदा जी से माफी मांगो…..की मांग तेज हो गई थी ।प्रेमा की असलियत उजागर हो चली थी…. पोल खुलती देख वो दबे पांव भाग निकली थी।
असल में तो आज ही प्रेमा की बेइज्जती हुई थी पर आज भी सुनंदा ने उसकी कोई बेइज्जती नहीं की थी….वो खुद ही ऐसे कृत्य करती है..! सरे आम सुनंदा की इज्जत खाक में मिलाने की कुचाल से आज सरेआम उसकी की इज्जत नीलाम हो गई थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
एडजस्टमेंट – गीतांजलि गुप्ता
अचानक सुनंदा की इज्जत सबकी नज़रों में बढ़ गई थी सब उससे पूछने लग गए क्या आपको देवी से डर नहीं लगा !आपको कैसे पता इसके ऊपर देवी नहीं आई हैं….!!इसके ऊपर तो कई सालों से देवी आतीं हैं..!
अरे देवी माता किसी के ऊपर आती नहीं है !!क्या उनका तेज उनका भार हम मनुष्य संभाल पाएंगे..!!फिर मैं भी तो देवी भक्त हूं इस प्रेमा के ऊपर देवी माता आएंगी मेरे ऊपर क्यों नहीं आएंगी मैं भी इतना पूजन व्रत करती हूं..!!और मां अपने बच्चों का अमंगल क्यों करेंगी..!धर्म के नाम पर पाखंड है ये!!सरल स्वभाव भक्तों की अंध भक्ति का अंधा शोषण है ये..!
प्रेमा सबको ठगती है अपना झूठा वर्चस्व कायम करने के लिए …ऐसे ही भ्रम फैला कर कुछ लोग आज समाज को गुमराह कर रहे हैं….आवश्यकता है अपने भीतर की ईश्वरीय शक्ति को महसूस करने की और जागृत करने की तभी ऐसे चकव्यूह से निकलना संभव हो पाएगा।
#इज्जत
लतिका श्रीवास्तव