अर्चना का परिवार भरा-पूरा था,,चार भाई और तीन बहनें,,पिताजी सरकारी नौकरी में थे,,कोई चीज की कमी नहीं,,
एक दिन अचानक पिताजी को हार्ट अटैक आया और हॉस्पिटल ले जाने से पहले ही उन्होंने दुनियां को अलविदा कह दिया,,यह परिवार के लिए बहुत बड़ा वज्रपात था,,
सारे भाई बहन पढ़ रहे थे,,सब एक से बढ़ कर एक होशियार,,केवल सबसे बड़े भाई साहब ने IIT कर के एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर अभी-अभी नौकरी जॉइन की थी,,
उनसे छोटे भाई अजय PMT की तैयारी कर रहे थे,,अब घर का खर्च और पढ़ाई की व्यवस्था कैसे हो,,यह एक बड़ा सवाल था पर दोनों भाइयों ने कभी भी किसी को यह अहसास नहीं होने दिया कि किसी तरह की कोई परेशानी है,,
अब तक अजय और एक बहन का PMT में सिलेक्शन हो गया था,,बड़े भाई पैसा भेजते और अजय परिवार की व्यवस्था करते ,,उन्होंने सब कुछ इतनी अच्छी तरह से संभाला कि किसी को पिता की कमी का एहसास ही नहीं होने दिया,,
सैलरी कब आती और कहाँ चली जाती,पता ही नहीं चलता,,सभी की पढ़ाई का खर्च बहुत ज्यादा था,,
किस को कपड़ों की जरूरत है,,किस को किताबों की,,सब पर उनकी नज़र रहती,,साथ में अपनी डॉक्टर की पढ़ाई और पार्ट टाइम जॉब भी करते रहे,,
उन्होंने अपने जीवन में किसी को झांकने की इजाजत कभी नहीं दी,,बहुत अनुशासित जीवन था उनका,,उसी अनुशासन में भाई-बहनों को भी समेट कर रखा,,उसका परिणाम भी सुखद रहा,,
एक बहन डॉक्टर है,,दूसरी Msc कर के अच्छे स्कूल में टीचर है,,बाकी दो भाई भी उच्च पदों पर जॉब कर रहे हैं,,सभी उनका बहुत सम्मान करते हैं और उनकी बात पत्थर की लकीर होती है,,
उनके फैसले सख्त जरुर होते हैं पर उनके दूरगामी परिणाम बहुत अच्छे होते हैं,,
ईश्वर की मेहरबानी से पत्नी भी उन्हें ऐसी मिली,,जिन्होंने पति के हर काम को अपना समझा,,
सारे भाई बहनों के विवाह बहुत अच्छे घरों में किये,,आज भी किसी बहन की ससुराल में कोई उत्सव हो तो दोनों पति-पत्नी हजार काम छोड़ कर वहां उपस्थित होते हैं,,
शायद पिता के राज्य में बच्चों को कोई कमी रह भी जाती,,लेकिन धन्य हैं वो भाई जिन्होंने अपने सौ खर्चों में कटौती कर के कर्तव्य निभाया,,पर माथे पर शिकन तक नहीं आने दी,,
भले ही उस समय उनकी उम्र कम थी लेकिन उन्होंने अपने पारिवारिक मामलों में कभी किसी को हस्तक्षेप नहीं करने दिया और अपने आत्मसम्मान की रक्षा भी की,,
उनके सत्कर्मों का फल भी ईश्वर ने उन्हें दिया,,उनका बेटा और बहू अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनियों में बहुत ऊंचे पद पर कार्यरत हैं,,
बेटी भी विदेश में MS कर रही है,,सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चे भी माता पिता की तरह ही संस्कारी हैं,,बहू तो साक्षात लक्ष्मी और सरस्वती का रूप है,,बहुत धार्मिक विचारों की स्वामिनी है ,,प्रतिदिन भगवतगीता का पाठ करती है,,
जीवन में हम दूसरों को जो देते हैं,वही लौट कर हमारे पास आता है,,उनका जीवन इसका साक्षात् उदाहरण है,,कर्म करते रहिये,फल स्वमेव ही मिल जायेगा,,
#आत्मसम्मान
कमलेश राणा
ग्वालियर