बनारस के राजा सुकेतु के घर एक सुंदर सी कन्या का जन्म हुआ। कुछ दिनों बाद राजा ने अपनी पुत्री का जन्मकुंडली बनवाने के लिए एक ज्योतिषचार्य को बुलवाया। ज्योतिष ने जन्मकुंडली बनाने के बाद राजा को बताया की आपकी पुत्री के विवाह के 3 साल बाद आपके दामाद किम मृत्यु हो जाएगी। लेकिन ये बात राजा ने रानी को नहीं बताया की रानी अभी से शोकाकुल हो जाएगी।
धीरे धीरे समय बिता और राजा की लड़की विवाह के योग्य हो गई। राजा के परिवार में केवल पत्नी दीपिका देवी और उसकी पुत्री थी। जैसे जैसे राजा की पुत्री बड़ी होने लगी, रानी को उसके विवाह की चिंता होने लगी। वो बार बार राजा को ये बात याद दिलाती थी कि वो जल्दी से जल्दी पुत्री के हाथ पीले कर दें। राजा को भी अपनी ज़िम्मेवारी का पूरा एहसास था मगर एक भविष्य की घटना जो उन्हें घुन्न की तरह खाए जा रही थी, उसे वो पत्नी से कहते हुए बहुत घबरा रहे थे। आखिर पत्नी के बहुत आग्रह करने पर वो बोले –
“रानी, तुम क्या समझती हो कि मुझे इस बात का फ़िक्र नहीं है। हमारी बेटी के कुंडली मे लिखा है की विवाहोपरांत 3 साल के बाद हमारी बेटी विधवा हो जाएगी।
राजा की ये बातें सुनकर रानी बोली, “हे नाथ अगर इस के भाग्य में यही लिखा है तो इसका कोई उपाय भी तो होगा।”
“उपाय तो अवश्य है परंतु ग्रह इतने बलवान हैं कि कोई भी उपाय काम नहीं करेगा।” ऐसा कहकर राजा दुखी होकर रो पड़ा।
रानी बहुत सहनशील औरत थी। उसने उम्मीद नहीं छोड़ा और राजा से आग्रह किया कि जो भी उपाय है हम उसे करेंगे। आप बस वर तलाश में लग जाओ। माता पिता ने एक योग्य वर ढूँढ कर मकर संक्रांति के दिन शादी का मुहूर्त निकाला।
सब ग्रहों का अध्य्यन करके राजा ने एक चाँदी का कटोरा लिया और उसके बीच में एक बहुत छोटा सा सुराख कर के पानी में तैरने के लिए छोड़ दिया और बोले, “ग्रहों के अनुसार जब ये कटोरा पानी से भर कर डूब जाएगा वही फेरों का मुहूर्त होगा और बुरी घड़ी टल जाएगी।”
उधर कलावती अपने पूरे साज शृंगार से सुसज्जित थी। सोने चाँदी और मोतियों के आभूषण उस पर बहुत अच्छे लग रहे थे। उस ने भी चाँदी के लोटे की बात सुनी और उसे देखने को उत्सुकित हो गई। पिता की आज्ञा लेकर अपनी सहेलियों सहित वो नीचे आई और जहाँ लोटा तैर रहा था वहाँ सिर झुका कर सुराख में से पानी को आता देखने लगी और थोड़ी देर बाद वापिस चली गई।
उसे क्या मालूम था कि जब वो झाँक कर कटोरे में देख रही थी तो उस के सिर के आभूषण का एक मोती कटोरे में गिर गया है और कटोरे के उस छोटे से सुराख को बन्द कर दिया है। इधर सारे लोग लोटा डूबने की इंतज़ार में थे कि कब लोटा डूबे और कब शादी की रस्म शुरू हो।
राजा के हिसाब से लोटे को डूबने में कोई दो घण्टे लगने चाहिये थे मगर जब इस बात को तीन घण्टे हो गए और लोटा फिर भी नहीं डूबा तो सब ने वहाँ जाकर लोटे का निरिक्षण किया और जो पाया उसे देख कर चकित हो गए। हालाँकि शादी का महूरत निकल चुका था।
राजा की लड़की सुखपूर्वक अपना जीवन बिताया। मित्रो इसलिए आप भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान मे जिये। कल क्या होगा कोई नहीं जानता। इस दुनिया मे कोई किसी का भाग्य नहीं बता सकता।