” आ गई बेटा, बहुत इंतज़ार करवाती है अपनी मां को ,, सरला जी अपनी बेटी के लाड लडाते हुए बोलीं।
” अरे मां, अभी दो महीने पहले ही तो आई थी …. पता है मेरे आने के नाम से ही मेरी सासु मां का जी उठ जाता है। कहने लगती हैं कि तेरे बिना घर सूना सूना लगता है । ,, चहकते हुए मनिषा बोली
बेटी का खुश चेहरा देखकर सरला जी निहाल हुए जा रही थीं । आखिर बेटी को सुखी संपन्न ससुराल मिल जाए इससे बड़ा सुख मां बाप के लिए क्या होता है।
“माँ, ये देखो मेरा नया नेकलेस, मेरे जन्मदिन पर इन्होंने गिफ्ट किया है। कैसा लगा?,, मनिषा ने चहकते हुए अपनी माँ से पूछा।
“अरे वाह! ये तो बहुत सुन्दर है। दामाद बाबू की पसंद सच में बहुत अच्छी है। बहुत जच रहा है तुझपे।” सरला जी ने अपनी बेटी की बलैयां लेते हुए कहा।
“पता है माँ, बहुत खुले हाथ के हैं आपके दामाद । मैं मना करती हूँ फिर भी मेरे लिए कुछ न कुछ लाते ही रहते हैं। बिना गाड़ी के तो मुझे कहीं जाने ही नहीं देते। देखो ना, यहाँ आ रही थी तो कहने लगे सबके लिए कुछ न कुछ ले कर ही जाना। तभी तो आपके और भाभी के लिए साड़ी और भैया के लिए शर्ट लेकर आई हूँ। छोटू के लिए भी कुर्ता लाई हूँ, सब कुछ ब्रांडेड है।” इठलाते हुए मनिषा बोल रही थी ।
“तो अच्छा ही है ना, भगवान ऐसा दामाद सबको दे। कितना ख्याल रखते हैं सबका।” सरला जी तो धन्य हो गई थीं ऐसा दामाद पाकर।
माँ बेटी के बीच बातें चल ही रही थीं कि इतने में मनिषा की भाभी अनु चाय नाश्ता ले कर आ गई। ननद के गले पर नजर पड़ी तो वो भी बोल पड़ी,
“वाह दीदी! आपका नेकलेस तो बहुत सुन्दर है। ,,
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मनिषा कुछ बोलती उससे पहले ही सरला जी ने टोकते हुए कहा, “ये तो मनिषा ने पुराने नेकलेस को तुड़वा कर नया बनवाया है। तुम जाओ और खाने की तैयारी कर लो। मनिषा को भूख लगी होगी ।”
अनु के जाने के बाद मनिषा ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, आपने झूठ क्यों बोला? भाभी तो कितना प्यार करती हैं हम सबसे, कितनी अच्छी हैं वो ! ,,
“तुझे नहीं पता बेटा, अगर उसे पता चला कि दामाद बाबू तुझपर इतना खर्चा करते हैं तो कल को वो भी तेरे भैया से यही सब खर्चा करवाएगी। वैसे भी अपने मायके जाती है तो भतीजे-भतीजी के लिए कपड़े ले कर जाती है। फिर तेरी नकल करके और ज्यादा ले लेकर जाने लगेगी। मेरा बेटा तो बड़ा भोला है। कहीं इसकी बातों में आकर वो भी दामाद बाबू की तरह खर्चीला न बन जाए।” सरला जी ने दबे स्वर में बेटी को समझाते हुए कहा।
मनिषा अवाक सी अपनी माँ का मुंह देखती रह गई। जिस चीज़ के लिए सरला जी अपने दामाद की तारीफ कर रही थी। वही काम अगर बेटा करे तो वो गलत कैसे हो गया??
लेकिन वो अपनी मां से कैसे कहती कि आपको तो ऐसा दामाद मिल गया लेकिन भाभी की मां की किस्मत में ऐसा दामाद नहीं है…. ,,
प्रिय पाठकों, ऐसा अक्सर कई घरों में होता है। अपनी बेटी को सुखी देखकर सभी खुश होते हैं लेकिन बहु के लिए ये सोच थोड़ी बदल जाती है। अगर दामाद बेटी की हर फरमाइश पूरी करता है तो वो अच्छा पति कहलाता है, लेकिन ये बात बेटे पर लागू नहीं होती। पता नहीं क्यों?
#अप्रकाशित
#मौलिक
सविता गोयल