भाभी तो महाकंजूस हैं – स्वाति जैन Moral Stories in Hindi

मम्मी , यह क्या अब तक उठी नहीं आपकी बहू ?? आप रसोई में क्यों काम कर रही हो ?? उठने दो महारानी को करेगी सारा काम !! उसका घर हैं यह हमारा नहीं और आपने उसको कुछ ज्यादा ही सर पर चढ़ा रखा हैं , गुस्से में कनिका अपनी मां राजुल जी से बोली !!

राजुल जी बोली – बेटा , थोड़े दिनों के लिए तो मैं गांव से आई हुं फिर वापस गांव चली जाने वाली हुं , तुम्हारे भाई भाभी को ही संभालनी हैं उनकी गृहस्थी !! थोड़े दिन के लिए आकर भी क्या बार बार टोक टोक करना !! कभी कुछ कहना होता हैं तो फोन पर ही कह देती हुं !!

कनिका बोली मम्मी !! तो मुझे भी कौन सा शौक हैं यहां बार बार आने का , तुम आती हो तब मैं भी तुमसे मिलने आ जाती हुं और साल में एक दो बार मुंबई शापिंग के लिए आना ही पड़ता हैं मुझे तो इनके घर ही आ जाती हुं !!

थोड़ी देर में कनिका की भाभी पुनम अपने कमरे  से बाहर आकर बोली – आज रात सर बहुत भारी हो गया था इसलिए उठने में देर हो गई !! मम्मी जी आप बैठिए , मैं कर लेती हुं रसोई का काम !!

कनिका धीरे धीरे मां से कान में बुदबुदा रही थी मगर राजुल जी ने कनिका को चुप रहने का इशारा किया !!

राजुल जी ज्यादातर गांव में ही रहती थी !! बहुत कम वह बेटे बहू के पास शहर आती थी !! दरहसल उनका मन धार्मिक कामों में लग गया था इसलिए गांव में रहकर वे  पुजा- पाठ , जाप , ध्यान किया करती थी !! बेटी कनिका भी गर्मी की छुट्टियो में ज्यादातर गांव में अपनी मां के पास ही छुट्टिया बिताने चली जाया करती थी !! कनिका साल में दो तीन बार मुंबई शांपिंग करने के लिए आती तब भाई भाभी के घर तीन चार दिन रहकर जाती !! 

भाई रमेश मुंबई में एक प्राईवेट नौकरी करता था और तीन कमरो के एक किराए के मकान में रहता था !!

हर साल रमेश और पुनम मां से मिलने गांव चले जाया करते थे क्योंकि मां ज्यादा शहर नहीं आती थी !!

इस बार कनिका और राजुल जी मुंबई के लालबाग के राजा गणपति जी के दर्शन के लिए आए हुए थे और लगभग पंद्रह बीस दिन रुकने का इरादा भी किया हुआ था उनहोंने !! उनके आने से पहले ही रमेश और पुनम ने सारे इंतजाम अच्छे से कर लिए थे !! घर का राशन भरना , लाईट – पानी की व्यवस्था , घूमने के लिए टैक्सी बुक करना सारी व्यवस्था कर दी थी क्योंकि वह लोग नहीं चाहते थे कि मां – बहन मिलकर वापस कोई हंगामा करें !!

उन्हें याद था वह दिन जब पिछली बार कनिका से उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा था कि लाईट बंद कर देना इस बात पर कनिका ने कितना हंगामा मचा दिया था !!

कनिका ने कभी अपने भाई भाभी की हालत समझने की कोशिश ही नहीं की थी कि कैसे भाई अपनी प्राईवेट नौकरी के चलते मुंबई जैसे शहर में घर का किराया , बच्चे की पढ़ाई और राशन का सामान मैनेज करता होगा !! वह तो बस मुंबई आती , आराम से रहती , अपने बच्चों के लिए रोज उनका मनपसंद खाना बनवाती जिस वजह से राशन भी जल्दी जल्दी खत्म हो जाता !!

कनिका के राज में कहीं नल चल रहा होता और पानी बिना मतलब वेस्ट हो रहा होता तो कहीं लाईट बिना मतलब के जल रही होती जिस वजह से उनके आने के बाद नल बिल और लाईट बिल दुगुना आता मगर कनिका को इन सब बातों की कहां फिक्र थी , भले उसके चले जाने के बाद उसके भाई भाभी को सब कुछ मैनेज करने में एक दो महिने ओर लग जाए क्योंकि रमेश की एक सीमित पगार थी जिसमें पुनम समझदारी से घर चलाती मगर कनिका उनके घर आकर उनका पुरा हिसाब किताब बिगाड़ कर चली जाती और उस पर भी अपनी मां से कनिका हमेशा कहती – भाभी ने तो मुझे एक साड़ी भी नहीं दी , कम से कम मेरे बच्चों को लिफाफे कर देती !! अब ससुराल में क्या इज्जत रह जाएगी मेरी ?? भाभी तो बहुत कंजुस हैं , मेरे बच्चों को उनका मनपसंद खाना तक नहीं खिला पाई और भी बहुत कुछ नमक मिर्च लगाकर बताती !!

मां तो आखिर मां ठहरी , बेटी की हर बात सही मानकर राजुल जी बेटे बहू को फोन पर डांट फटकार लगाती और कहती एक ही तो ननद हैं तुम्हारी , कौन सी सौ ननद हैं जिनके लिए तुम्हे करना हैं और इतने पैसे बचाकर क्या ताजमहल बनवाओगी ?? अरे !! बेटियों को तो भर भरकर दिया जाता हैं इसी से तो बेटियों की दुआएं मिलती हैं और इन्हीं दुआओं से तो भाई की तरक्की होती हैं !!

तुम्हारी मां ने नहीं सिखाया क्या यह सब तुम्हें ?? या तुम्हारी भाभी भी तुम्हारे संग यहीं करती हैं जो तुम मेरी बेटी संग इतना बुरा व्यवहार करती हो !!

राजुल जी वैसे तो बहुत अच्छी थी मगर बेटी के भड़काने पर जैसे उनमें मां काली प्रवेश कर जाती क्योंकि उसके बाद राजुल जी का एक अलग चेहरा ही सामने आता जिससे बेटे बहू भी थरथर कांप जाते !!

पुनम राजुल जी को सच्चाई बताना चाहती थी मगर फिर यह सोचकर चुप रह जाती कि बेटी के आगे बहू की हर बात वैसे भी झूठी ही साबित होगी !! कनिका दीदी जो बोलेंगी वहीं मम्मी जी को सच लगेगा वे भला मेरी बात पर क्यों विश्वास करेगी ??

सास – बहू , ननद – भौजाई में हमेशा गलतफहमियो की खिचडी ही पकती रही जो कभी दूर नहीं हुई !!

राजुल जी तो सिर्फ यह चाहती थी कि उनकी बेटी की खातिरदारी अच्छे से हो जो कि उनके बेटे बहू ठीक से नहीं करते !!

ननद को लगता था कि भाभी बहुत कंजुस हैं और भाभी वह तो बेचारी आसमान छूती मंहगाई से परेशान थी फिर भी उससे जो बन पाता करने की कोशिश करती !!

वह परेशान थी अपने हालातों से मगर सभी के सामने अपना दुखड़ा रोने का भी क्या फायदा ??

फिर भी पुनम ने इस बार सारी तैयारियों से इन लोगों का स्वागत किया था मगर कनिका हर बार की तरह इस बार भी कुछ ना कुछ बोले जा रही थी !!

एक दो बार तो राजुल जी ने कनिका को चुप रहने का ईशारा भी किया था मगर कनिका कहा सुनने वाली थी !! 

पुनम ने रसोई में सभी के लिए गार्मागर्म खाना बनाया और सभी को खाना परोसने लगी !! खाना देखकर कनिका तुरंत बोली यह क्या भाभी ?! खाने में सिर्फ रोटी , दाल और सब्जी !! चावल क्यूं नहीं बनाए ?? पुलाव की तो उम्मीद आपसे कभी कर ही नही सकते , कम से कम चावल ही बना देती और यह क्या हलवा ?? हलवा आजकल कौन खाता हैं ?? बाजार से अच्छे वाली मिठाई मंगवा देती !! हां मगर उसमें तो आपका पैसा खर्च हो जाता ना इसलिए नहीं मंगवाई होगी !!

मेरा नहीं तो कम से कम अपनी सास का ही लिहाज कर देती , वह तो कितना कम यहां आती हैं !!

फिर कनिका अपनी मां से बोली देखा मां मैं कहती थी ना भाभी कैसे खातिरदारी करती है अपने ससुराल वालों की ?? आपने भी देख लिया होगा अब तो !!

राजुल जी तब कुछ नहीं बोली और सब लोग खाना खाकर आराम करने चले गए !!

 पुनम ने रसोई की सफाई की और दोपहर की चाय बनाने लगी !! सभी ने चाय पी उतने में कनिका के बच्चे आकर बोले – मामी हमें चॉकलेट शेक पीना हैं !!.

पुनम ने उनके लिए चॉकलेट शेक बनाया तो बच्चे बोले इसमें चॉकलेट सीरप तो हैं ही नहीं , इसमें तो बॉर्नविटा हैं , हमें नहीं पीना ऐसा चॉकलेट सीरप कहकर बाजार से चॉकलेट सीरप मंगवाने की जिद करने लगे !!

पुनम ने जल्दी से बाजार से चॉकलेट शेक मंगवा लिया !! इस तरह अब बच्चे भी रोजाना बाजार से कुछ ना कुछ मंगवाने लगे !!

आज सुबह भी उनके कहने से बाहर से सभी के लिए समोसे और कचौडियां मंगवाई थी जबकि नाश्ता रसोई में बन चुका था मगर वह नाश्ता किसी ने नहीं किया !!

 दोपहर के खाने में बच्चों की फरमाईश पर ही पुनम ने सभी के लिए छोले की सब्जी और पुरियां बनाई थी !!

डायनिंग टेबल पर जब सभी लोग खाना खाने बैठे तो पुनम बोली – भाभी इतना तेल वाला आईटम मैं नहीं खाती , मेरे लिए रोटियां सेंक कर ले आईए !!

पुनम टेबल पर से उठकर जा ही रही थी कि राजुल जी जोर से बोली बहू तुम कही नहीं जाओगी , आज जो लंच में बना हैं वहीं सभी को खाना पड़ेगा !!

राजुल जी की कड़कती आवाज सुनकर सभी लोगो ने चुपचाप खाना खा लिया , फिर सभी लोग खाना खाकर जाने लगे तो राजुल जी बोली रुको कनिका !! तुम यही बैठो , मुझे तुमसे कुछ बात करनी है !!

कनिका बोली मम्मी क्या काम हैं आपको ?? एक तो कितनी गर्मी हैं यहा , मुझसे तो सहन ही नहीं होती और उपर से यहां हॉल में सिर्फ कुलर की व्यवस्था हैं मुझे ए.सी वाले कमरे में जाकर लेटना है !!

राजुल जी बोली – बेटा तु भी तो हमारी तरह मध्यम वर्गीय परिवार में ही पली बढ़ी हैं !! हां अब तू हमसे ऊंचे खानदान में ब्याह दी गई हैं इसलिए तू तेरी भाभी को इतना कुछ सुनाती हैं और हर वक्त नीचा दिखाती हैं और वह बेचारी तो एक शब्द मुंह से गलत नहीं बोलती !!

मैं अब तक यहीं समझती आई थी कि पुनम सच में तेरा और बच्चों का ख्याल नहीं रखती होगी मगर इस बार मेरी आंखों ने जो देखा वह गलत नहीं था !! अगर तुम हमेशा यहां आकर यहीं करती आई हो तो तुमने बहुत गलत किया हैं बेटा और मुझे भी मेरे व्यवहार के लिए बहू से माफी मांगनी है कि मैंने तेरी बातों में आकर उसे इतना गलत समझा !!

वह तो बेचारी तुझे कभी पलटकर भी जवाब नहीं दे पा रही हैं क्योंकि यह उसके संस्कारो में नहीं हैं ब्लकि उसकी जगह अगर मेरी ननद ने मेरे साथ ऐसा किया होता तो मैं उसे खुब सुनाती और अगली बार कभी मेरे घर में घुसने तक ना देती !!

मम्मी , आपने देखा नहीं भाभी कैसे दाल – चावल लाकर पटक देती है , मेरे बच्चों की फरमाइशें तक पूरी नहीं करती , दरअसल  वह तो चाहती है कि मैं यहां कभी आऊं ही नहीं तभी तो मेरे और मेरे बच्चों के साथ ऐसा परायों वाला व्यवहार करती है , तुम्हें तो सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा है फिर भी तुम ऐसी बातें कर रही हो और उल्टा मुझ पर ही इल्जाम लगा रही हो !!

राजुल जी बोली कनिका , मेरी बहू गलत कैसे हैं तुम ही बताओ !!

गेहूं , चावल , घी , तेल , शक्कर सभी का दाम आसमान छू रहा हैं , इसमें तुम हो कि बने हुए खाने के बाद भी तुम्हें कुछ ओर खाना होता हैं !! बच्चे भी बना बनाया खाना छोड़कर बाहर का नाश्ता और खाना ज्यादा पसंद करते हैं , यहां तक कि खाने पीने की कितनी चीजों का नुकसान करते हैं , तुम्हें बच्चों को समझाना चाहिए मगर तुम्हें तो सिर्फ अपनी भाभी में कमियां नजर आ रही हैं !! कनिका हम लोग पहले से ही किफायत में घर चलाते आए हैं , मगर तुम तो जैसे हमारे साथ पली बढ़ी ही नहीं तुम ऐसी बातें करने लगी हो !!

भाई भाभी ने ए .सी वाला कमरा तुमको दे दिया मगर मैंने देखा तुम दिन रात ए. सी ऑन रखती हो !!

बाथरूम का गीजर भी पूरा दिन ऑन रहता है !! नल ऐसे ही खुले पड़े रहते हैं पानी हमेशा बाथरूम में फैला हुआ रहता है !!

साबुन शैंपू की बोतल लुढ़की हुई पड़ी रहती है और यहां तक कि रोज वाशिंग मशीन में कपड़े लगाती हो जबकि तुम कुछ काम भी नहीं करती तो तुम्हारे कपड़े भी इतने मैले नहीं रहते !! तुम चाहती तो हाथ से भी अपने कपड़े धो सकती हो मगर अपने अकेली के लिए तुम वाशिंग मशीन चलाती हो !! लाईट बिल , नल बिल की तुमको कोई परवाह ही नही हैं !!

तुम अपने भी घर में इसी तरह लापरवाही से रहती हो या यहां आकर ही यह सब करती हो !!

तुम हमेशा शापिंग करने आती हो और भाई भाभी के घर रुककर घूमना – फिरना खाना – पीना करती हो !! सोचो तुम्हारी कितनी बचत होती हैं क्योंकि अगर भाई भाभी का घर यहां नहीं होता तो तुमको होटल में रुकना पड़ता तो सोचो तुम्हे खाने पीने रहने घूमने हर चीज का किराया देना पड़ता !! तब तुम्हारा कितना खर्चा होता और इतना खर्चा करके तुम अगले पांच साल कहीं घूमने फिरने का नाम तक नहीं लेती समझी !!

यहां अपने भाई भाभी की परेशानी समझने के बजाय तुम इन पर इल्जाम पर इल्जाम लगाए जा रही हो !!

जहां तक मैंने देखा तुम्हारे भाई भाभी ने तुम्हारी खतिरदारी में कोई कमी नहीं रखी और अब मैं समझ चुकी हुं कि वे लोग हर बार तुम्हारी इसी तरह से खातिरदारी करते होंगे मगर तुम ही अपने पैसों के घमंड में चूर होकर हमेशा उन्हें नीचा दिखाती आई हो !!

अब से तुम्हें अपने भाई भाभी के घर आने की कोई जरूरत नहीं हैं तुम सिर्फ मेरे पास गांव ही आया करो !!

 

 मां ने आज बेटी को आईना दिखा दिया था !!

सच , बेटी पैसों के रुतबे में अपने भाई भाभी की परेशानी तो समझती नहीं थी उल्टा हमेशा उन्हें कोसती रहती !! उनकी कुछ मदद तो करती नही थी उल्टा उनका महिने का रसोई का , पानी बिल और लाईट बिल का सारा बजट बिगाड़ देती थी !!

माफ करना मम्मी !! मैं सिर्फ अपने आराम और अपने खाने पीने का ध्यान रखती रही और यहां अपना अधिकार समझ कर सब कुछ फैलाती रही !!

आप सच कह रही हैं मेरे जैसी ननदें ही रिश्ते खराब करने का काम करती हैं !!

 

आगे से मैं इस बात का पूरा ध्यान रखूंगी कि मुझसे कोई गलती ना हो कनिका आंखो में आंसू लिए बोली !!

पुनम भी यह सब सुन चुकी थी !!

कनिका बोली माफ करिएगा भाभी !! मैंने आप सभी को बहुत परेशान किया हैं !! अब से मैं यहां नहीं आऊंगी !!

पुनम बोली दीदी !! यह कैसी बातें कर रही हैं आप ?? आप तो हमारे घर की रौनक हैं !!

हम तो यहां अकेले रहते हैं , आपके और बच्चों के आने से घर चहक उठता हैं !!

आप ऐसे ही हमेशा यहां आया करिएगा !!

हम लोग हमेशा कोशिश करते हैं कि आप यहां से खुश होकर जाए और आज आपको यह बात समझ आ गई , मुझे इस बात की खुशी हैं !!

आप अगर नहीं आएंगी तो मैं ननद भाभी के खट्टे मीठे रिश्तों का अनुभव कैसे कर पाऊंगी ?? पुनम ने मजाकिया अंदाज में कहा तो सभी लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए और सभी साथ में खिलखिलाकर हंस पड़े !!

बस दीदी , इतना ध्यान रखिएगा कि यह रिश्तों की डोरी कभी टूटे ना क्योंकि यह डोरी टूटने के बाद बहुत मश्किलों बाद जुड़ती हैं  पुनम आंखों में आंसू लिए बोली !!

कनिका बोली भाभी मैं हमेशा ध्यान रखूंगी कि अब यह रिश्ते की डोरी कभी नहीं टूटेगी !!

 

दोस्तों , कुछ लड़कियां जो मध्यमवर्गीय परिवार में ही पली बढ़ी हो अगर उसे पैसेवाला ससुराल मिल जाए तो वह अपने ही मायके वालों को नीचा दिखाने लगती हैं मगर उनकी यह सोच यह मानसिकता कितनी गलत हैं यह आपने इस कहानी में देखा ही होगा !!

हमें कभी भी अपने पैसों के घमंड में चूर होकर सामने वाले को नीचा नहीं दिखाना चाहिए !!

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा तथा ऐसे ही अन्य कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो अवश्य करिएगा !!

धन्यवाद !!

स्वाति जैन 

#रिश्तों की डोर टूटे ना

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