मम्मी! फ्रिज में मैं कल केक देखा था, आज नहीं है किसने खाया? तिथि ने कहा
मुझे क्या पता? मैं कौन सा केक खाती हूं? पूछ तेरी भाभी से, पूरे दिन घर पर वही रहती है, खाया होगा तभी, कमला जी ने कहा
तिथि: भाभी! कल मैंने केक का एक पीस देखा था फ्रिज में, आपने खाया?
आरती: नहीं तिथि, वह तो अक्षय का हिस्सा था, तो शायद उसी ने खाया होगा,
तिथि: भैया ने खाया या आपने? भैया इतने लालची नहीं है उनका हिस्सा भी होगा तो भी जब तक उनके हाथ में कुछ थमाया ना जाए वह नहीं खाते, फ्रिज से निकाल कर खाने का तो सवाल ही नहीं उठता, यह काम आपके अलावा कोई और नहीं कर सकता। आरती: तिथि मैंने कहा ना मैंने नहीं खाया, घर में और भी तो लोग हैं उनसे जाकर क्यों नहीं पूछती?
तभी कमला जी पीछे से आकर कहती है, क्योंकि और कोई तुम्हारे जैसा चटोरा नहीं है,
आरती: मम्मी जी! इस घर में आए हुए मुझे 5 साल हो गए हैं पर आज तक आप लोगों का रवैया मेरे लिए नहीं बदला। हर बार कभी मुझे चटोरी कहा, कभी कंगाल, बात-बात पर ताना दिया। मेरी क्या गलती है? मैं क्या खुद अपनी मर्जी से इस घर में आई थी? आप सब की रजामंदी थी इस शादी को लेकर, फिर ऐसा सुलूक क्यों?
कमला जी: क्योंकि यह शादी भले ही सबकी रजामंदी से हुई हो, पर मैं बिलकुल राजी नहीं थी, रजत की शादी के लिए ना जाने कितने ही सपने देखे थे मैंने, पर उसे पसंद आई तुम, कंगाल खानदान से, हम ठहरे खाते पीते घर के लोग, हम ऐसी ओछी हरकतें नहीं करते, मुझे तो पक्का पता है केक तुम्हारे ही पेट में गई होगी।
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अगले दिन कमला जी का छोटा बेटा अक्षय चिल्लाता हुआ अपने कमरे से निकलता है, भाभी, भाभी, मेरी यह शर्ट प्रेस क्यों नहीं की?
आरती: पर अक्षय! तुमने कब कहा था?
अक्षय: कहना क्या है? इस घर के काम कौन करता है? तो आपको पता होना चाहिए ना कब किसके कौन से काम करने हैं? दिनभर आप करती ही क्या हो? सिर्फ चटोरापन?
अक्षय के इस बात से आरती को काफी गुस्सा आया और उसने मन ही मन सोचा कि केक की बात यहां तक भी पहुंच गई? मैंने तो कुछ भी नहीं किया और इन्होंने मुझे मुजरिम भी साबित कर दिया, ठीक है अब मैं असल में मुजरिम बन कर दिखाऊंगी, बहुत सह लिया, अब इनको भाभी का असली मतलब समझाऊंगी।
अगले दिन आरती अपना बैग लेकर बाहर गई और सबसे कहा मैं दो हफ्तों के लिए मायके जा रही हूं। मेरी मम्मी की तबीयत खराब है, सो किसी को भी कोई चीज चाहिए होगी तो इस चटोरी को आवाज ना लगाए।
कमला जी: मायके? पर किसने तुम्हें इजाजत दी?
आरती: मैंने इजाजत मांगी ही नहीं, मैं तो बता रही हूं, यह कहकर वह चली गई।
तिथि: देखा मम्मी? इसकी हिम्मत?
कमला जी: आने दे फिर दिखाती हूं, यह सोच रही है इसके बिना हम मर जाएंगे, अरे इसे नहीं पता कि यह अकड़ इस पर ही भारी पड़ेगी
अगले दिन सभी को अपना काम खुद करना पड़ रहा था और सभी एक दूसरे पर चीख चिल्ला रहे थे। पूरे दिन घर में महाभारत मची हुई थी, फ्रिज से मीठा खाते हुए कमला जी पकड़ी गई और उन्होंने यह भी कबूला के उस दिन केक उन्हीं ने खाया था। किसी को समय पर ना खाना मिलता और ना ही
उनके काम समय पर होते। क्योंकि यहां काम एक दूसरे पर डाले जा रहे थे, थक हार कर एक कामवाली को रखा गया, जिसे खाना बनाना, कपड़े धोना, घर की साफ सफाई का जिम्मा दिया गया, पर उसको एक काम ज्यादा कोई बोल देता, तो वह और पैसे मांगने लगती, जहां सभी परेशान थे, रजत अपना काम खुद करता, चुपचाप समय से ऑफिस चला जाता और वह घर पर खाना भी नहीं मांगता, तो सबको बड़ा अजीब लगा
एक दिन कमला जी ने रजत से पूछा, वह और वहां अक्षय और तिथि भी मौजूद थे, बेटा! बहू से तेरी बात होती है होगी ना? कब आने को कह रही है? बस तेरे लिए ही पूछ रही थी, तू घर पर खाना भी नहीं खाता, देख कैसी हालत हो गई है तेरी?
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रजत: मम्मी! वह अब कभी नहीं आएगी, उसने कहा है कि अगर मैं उसको अलग रखूं तो वह इस शादी में रहेगी, वरना नहीं और मुझे यह मंजूर नहीं, उसका कहना है कि यहां आप लोग उसे परेशान करते हैं, पर मुझे पता है वह झूठ बोल रही है।
कमला जी पूरी तरह सहम जाती है, पर वह अपने मुंह से कैसे कहे की आरती बिल्कुल सच बोल रही है? पर जो वह कुछ ना बोले तो, फिर या तो रजत आरती अलग रहने चले जाएंगे या उनकी शादी टूट जाएगी। वह इसी असमंजस में थी के क्या बोल क्या नहीं? तभी तिथि बोल उठती है, भैया,
भाभी बिल्कुल सही बोल रही है यहां फ्रिज में से सारे सामान मम्मी निकाल कर खाती रही और हम उन्हें चटोरी बोल-बोलकर ताना देते रहे, कोई भी काम हो बस भाभी को हुकुम चला दिया, ऊपर से उनको शुक्रिया कहने की जगह उल्टा उनको गरीब होने का ताना दिया, तब तक अक्षय भी बोल पड़ता है, वह हम सब का काम भाभी होने के नाते कर रही थी और हमने उन्हें नौकरानी ही समझ लिया, पर अब उनके न होने से उनकी अहमियत का पता चल रहा है।
कमला जी: बेटा तू यह मत समझ, हम काम से बचने के लिए उसको याद कर रहे हैं, बल्कि मैंने तो तय किया है घर के कामों के लिए जैसे अभी मीणा को रखा है, वह आगे भी रहेगी, बस इस घर की देखभाल करने वाली को ले आ। हम उसके पैरों में गिरकर माफी मांग लेंगे।
तिथि: हां भैया! काम तो अभी हो रहे हैं, पर घर में न जाने अजीब सी अशांति फैली हुई है, जो भाभी के रहते कभी नहीं हुई और आगे से हम अपना काम खुद करेंगे, आप बस ले आओ भाभी को।
सबकी इस बात के बाद, रजत तुरंत अपना फोन निकाल कर कहता है, तुम अब आ सकती हो यहां, चटोरा भी पकड़ा गया और सबने अपनी ट्रेनिंग भी ले ली, अब आकर अपनी गृहस्ती संभालो, कमला जी: यह सब क्या है रजत? तुम पहले से ही मिले थे?
रजत: हां और यह आइडिया भी मेरा था, क्योंकि मैं जानता हूं अपने परिवार को, बिना डेमो समझाना मुश्किल है उनको, फिर वहां मौजूद सभी हंसने लगे…
तो बताइए हर घर की भाभियां, आप लोग आरती की जगह होती तो क्या करती?
धन्यवाद
रोनिता कुंडु
#भाभी