” हैलो माँ , मैं कुछ दिनों के लिए वहाँ आ रही हूँ । ,, प्रिया ने फोन पर अपनी माँ नीता जी से कहा।
” ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा…. लेकिन तूं तो बोल रही थी इस बार तुमलोग कहीं बाहर घूमने जा रहे हो !! ,,
” अरे माँ, रहने दो मेरी किस्मत में कहाँ घूमना लिखा है .. आपके दामाद को तो कभी काम से छुट्टी हीं नहीं मिलती । ऊपर से मेरी ननदें हर छुट्टियों में आ धमकती हैं… सारा दिन उनके आगे- पीछे घूमते रहो । वो आएं इससे पहले मैं ही वहां आ जाती हूँ…..। ,,
” लेकिन बेटा वो….. ,, कहते कहते नीता जी रह गईं।
” वो.. क्या माँ … आपको मेरा वहां आना अच्छा नहीं लगता क्या …!! ,,
” अरे नहीं नहीं बेटा.. तेरा मन है तो आ जा । मैं तेरा इंतजार करूँगी । ,, कहकर नीता जी ने फोन रख दिया ।
दूसरे दिन हीं प्रिया अपने दोनों बच्चों के साथ अपने मायके आ गई। नीता जी ने प्रिया को गले लगाया और बच्चों को प्यार किया फिर। … प्रिया बैठी तो नीता जी रसोई से पानी लेकर आई ।
” अरे माँ, आप पानी क्यों ला रही हो ! … भाभी नहीं है क्या?? ,, प्रिया ने आश्चर्य से पूछा।
” बेटा …. वो तेरी भाभी सुबह ही अपने मायके गई है । ,, नीता जी ने बताया।
” ये क्या माँ, आपने उन्हें बताया नहीं कि मैं आने वाली हूँ??इस तरह भला कोई मायके जाता है क्या ? क्या मेरी इस घर में अब जरा भी कद्र नहीं रही जो मेरे आने की खबर सुनकर भी भाभी अपने मायके चली गई!! ,, प्रिया ने रूंवासा होते हुए कहा।
” भाभी नहीं तो क्या हुआ.. .. तेरी माँ तो है यहाँ । तूं इतनी परेशान क्यों हो रही है ।वैसे भी बेटा तेरी भाभी तो तेरे आने की खबर से पहले ही अपने मायके जाने वाली थी। उसने तो अपनी पैकिंग भी कर रखी थी। ,,
” लेकिन माँ , आप उन्हें रोक भी तो सकती थीं ना !! भाभी के साथ चीकू भी चला गया है.. अब रिंकू और टीना किसके साथ खेलेंगे?? और यहाँ आकर भी थोड़ा आराम नहीं मिलेगा तो क्या फायदा यहाँ आने का। ,, प्रिया झुंझलाते हुए बोली।
” लेकिन बेटा मैं उसे किस हक से रोकती… जब मैं अपनी पैदा की हुई बेटी को ही परिवार के साथ सामंजस्य बैठाना नहीं सिखा पाई तो उस पराए घर से आई बच्ची को क्या सिखाती!! ,, नीता जी निराशा भरे स्वर में बोलीं
” ये आप क्या बोल रही हैं माँ !!!,, प्रिया आश्चर्य से अपनी माँ का मुंह ताकने लगी ।
” और नहीं तो क्या बेटा,…. जब तुझे पता होते हुए कि तेरी ननद आ रही है.. तूं अपने मायके चली आई तो फिर वो भला अपनी ननद के लिए क्यों रूकती …. !! ,, नीता जी बोलीं
प्रिया की गर्दन शर्म से नीचे झुक गई । वो कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन मन ही मन अपने किये पर बहुत लज्जित थी ।
अगले दिन सुबह उठते ही प्रिया के फोन की घंटी बजी, ” दीदी… , आपने बताया क्यों नहीं कि आज आप आने वाली हैं !! मम्मी जी ने भी मुझे कुछ नहीं बताया नहीं तो मैं कल यहाँ नहीं आती..। वो तो आपके भईया ने फोन पर बताया कि प्रिया दीदी आई हैं । … मैं कल ही मम्मी को बोलकर वापस आ जाती हूँ… । ,, प्रिया की भाभी कनक ने कहा।
” नहीं नहीं भाभी, कोई बात नहीं.. वो तो मेरा हीं अचानक से आने प्रोग्राम बन गया। अब आप गई हैं तो आराम से कुछ दिन अपने मायके में बिताईये । .. वैसे भी मैं तो कल ही वापस जा रही हूँ क्योंकि मेरी ननदें भी आने वाली हैं। .. आपके साथ रहने के लिए मैं फिर कभी आ जाऊंगी । ,, प्रिया बोली।
पास खड़ी नीता जी उनकी सारी बातें सुन कर मुस्कुरा रही थीं ।.. देर से ही सही लेकिन उनकी बेटी को अपनी गलती का एहसास तो हुआ … ।
प्रिया में आज गजब की ऊर्जा भर गई थी । उसने फटाफट माँ के साथ मिलकर घर के काम निपटाए और फिर मार्केट जाकर अपनी ननदों और उनके बच्चों के लिए कुछ उपहार लेकर आईं ।
“माँ, मैं कल वापस जा रही हूँ । मेरी ननदें मेरा इंतजार कर रही होंगी … वैसे भी मेरी सास के जाने के बाद भाई- भाभी से ही तो उनका मायका है । पहले तो हक जताकर मुझसे बिना पूछे- बताए भी मेरी ननदें आ जाती थीं …. लेकिन अब तो मेरे बिना उनका मायका भी सूना है । ,,
” हाँ बेटा जरूर जा…… बस एक बात हमेशा याद रखना मेरी बच्ची कि जिन रिश्तों के बंधन को हम तोड़ना चाहते हैं उसी बंधन में हम खुद भी बंधे होते हैं हर औरत कभी ननद होती है तो कभी भाभी… कभी बहु होती है तो कभी वो सास भी बनती है ….. । ,, नीता जी ने प्रिया का सर पुचकारा और प्रिया विदा होक।र वापस अपने ससुराल की ओर चल पड़ी ।
सविता गोयल