Moral Stories in Hindi
निधि और सोमेश चाय नाश्ता कर ही रहे थे तभी फोन आता है निधि फोन उठाती है और देखकर खुश हो जाती है क्योंकि फोन उसकी रुचि भाभी का था l रक्षाबंधन आने वाला था l
फोन उठा कर निधि बोलती है भाभी सब ठीक है सुबह-सुबह कैसी मेरी याद आ गई l
रुचि बोलती है कि निधि पर सुरक्षा बंधन है मैं चाहती हूं कि तुम आज ही आ जाओ l 2 दिन दोनों साथ रह लेंगे फिर मैं भी राखी बांधने जाऊंगी l
निधि बोली की भाभी इस बार मेरी ननंद नहीं आ रही है उनके बच्चों की इतनी छुट्टियां नहीं है घर पर मां जी अकेली है आप तो जानती हैं कि उन्हें डायबीटीज और निधि ने सुबह जल्दी उठकर निधि ने सुबह जल्दी उठकर बीपी की समस्या है l सोमेश ऑफिस चले जाते हैं l इसलिए भाभी मैं परसों जल्दी ही राखी बांधने आ जाऊंगी l रूचि बोली कि तुम्हें तो पता है तुम्हारे भैया तुमसे राखी बंधवा कर ही कुछ खाते पीते हैं इसलिए तुम जल्दी आना l निधि बोली ठीक है भाभी अब मैं फोन रखती हूं l
फिर निधि सोमेश से बोली कि आप मेरे साथ चलेंगे l सोमेश बोला कि मेरा मन नहीं है तुम्हें छोड़ दूंगा मैं मां के पास रहूंगा l फिर निधि अपने काम में व्यस्त हो गई l
रक्षाबंधन के दिन निधि ने सुबह जल्दी उठकर खाना बनाया मां बेटे को चाय नाश्ता दिया और अपनी सास की दवाई टेबल पर लगाकर रख दी और सोमेश को समझा दिया कौन सी दवाई कब देनी है l फिर खुद तैयार हुई और बैग में राखी का सामान रखा l
फिर निधि सोमेश से बोली कि मुझे भैया के घर छोड़ दो l सोमेश बोला कि घर से थोड़ी दूर ही छोड़ दूंगा वहां से तुम चले जाना क्योंकि मेरा मन ठीक नहीं है इसलिए अभी वहां नहीं जाना चाहता l
निधि बोली जैसी आपकी इच्छा लेकिन सब ठीक हो जाएगा आप चिंता क्यों करते हैं l
सोमेश निधि को छोड़कर घर वापस आ गया और अपनी मां की सेवा में लग गया l
निधि अपने मायके पहुंच कर डोर बेल बजती है उसकी भाभी रुचि दरवाजा खोलती है और देखकर खुश हो जाती है निधि को गले से लगा लेती है l निधि का भाई रजत भी बहुत खुश होता है और कहता है कि निधि तुम आ गई मुझे भूख लगती आ रही है l निधि अपने भाई के पास बैठ जाती है रजत निधि के सिर पर हाथ रखकर प्यार करता है l
तभी रुचि रसोई में पानी लेने चली जाती है और खाने की तैयारी भी करती जाती है l
थोड़ी देर में रुचि निधि से बोली की निधि में खाने की तैयारी कर रही हूं तब तक तुम राखी की थाली तैयार कर लो बहाने से रुचि निधि को किचन में बुलाती है l
फिर रूचि बोली की निधि तुमने आज के दिन आर्टिफिशियल ज्वेलरी क्यों पहनी है तुम हर रक्षाबंधन पर मां जी के दिए हुए कंगन और नेकलेस पहनकर ही अपने भैया को राखी बांधती थी इस बार ऐसा क्या हुआ l
निधि बोली कि वह भाभी गहने लॉकर में रखे थे घर में काम ज्यादा हो गया था तो मैं बैंक से नहीं निकल पाई और गहनों का मुझे शौक तो है तो मैं पहन कर आई हूं l
रूचि बोली निधि तुमने हमें बिल्कुल पराया कर दिया सोमेश जी की नौकरी छूट गई है यह बात तुमने हमें नहीं बताई कहीं तुमने वह कंगन, इतना कहकर रुचि चुप हो गई l
निधि की आंखों में आंसू आ गए और वह बोली की भाभी मैं आप लोगों को परेशान नहीं करना चाहती थी l
रूचि बोली की निधि तुमने हम लोगों को बिल्कुल पराया समझा हम तुम्हारे भैया भाभी हैं कोई परेशानी थी तो हमें बताना चाहिए थी l वह तो मेरी बुआ की बेटी इस कंपनी में नौकरी करती है उसने मुझे बताया की कंपनी घाटे में चल रही है तो कुछ लोग नौकरी से निकल गए हैं उन में सोमेश जी भी शामिल है l वह सोमेश जी को जानती थी इसलिए उसने मुझे फोन पर बताया l मुझे बहुत दुख हुआ l निधि तुम इस घर की बेटी हो और तुम्हारी हर परेशानी में साथ देना और मदद करना हमारा फर्ज बनता है l
निधि रोते हुए कहती है की भाभी मुझे माफ कर दो l
रुचि निधि को गले से लगती है और अलमारी से अपने गहने निकालकर निधि को पहना देती है l वह कहती है कि इन्हें पहन लो यह भी तुम्हारी मां के हैं l मां जी ने एक तरह के दो सेट बनवाए थे एक तुम्हें दे दिया और एक मेरे पास है l तुम्हारा नियम है कि मां के खाने पहनकर तुम भैया को राखी बांधती हो वह भी पूरा हो गया l तुम रजत की बहन हो इसलिए इस घर और जेवर पर तुम्हारा भी बराबर का हक बनता है l
तभी रजत बाहर से आवाज लगता है की निधि रक्षाबंधन हो जाए मुझे भूख लग रही है l
निधि कहती है कि आई भैया थाली तैयार कर रही हूं l और थाली लेकर आती है और मिठाई खिलाकर अपने भैया को राखी बांधती है रजत पैसे देकर अपनी बहन के पैर छूता है l फिर निधि रुचि को भी राखी बांधती है रुचि निधि को ₹50000 देती है l
निधि बोली भाभी में इतने पैसे नहीं होंगे रक्षाबंधन का कोई मोल नहीं होता l आप मुझे जो देती रही हो वही दो l
रुचि कहती है कि पैसे तो सुबह लेने पड़ेंगे मैं बड़ी हूं मेरा कहा मानो l
पैसे देखकर रजत बोला की रुचि तुमने मुझसे पैसे नहीं लिए तो इतने पैसे तुम्हारे पास कहां से आए l
रुचि ने कहा कि मेरी एक एफडी भी थी यह उसी के पैसे हैं l वैसे रजत हमारी निधि अब बड़ी हो गई है और समझदार भी हां वह हम लोगों को कुछ बताना जरूरी नहीं समझती अपनी परेशानी खुद ही झेलती रहती है l
रजत बोला ऐसा क्या हुआ जो निधि ने हमें नहीं बताया तुम ऐसे क्यों बोल रही हो l
रूचि बोली की सोमेश जी की नौकरी गए हुए 3 महीने हो गए हैं इन्होंने हमें बताना जरूरी नहीं समझा l
रजत बोल l क्यों निधि l
निधि की आंखों से आंसू बहने लगे बोली मुझे माफ कर दो भैया l
रूचि बोली कि त्योहार के दिन रोते नहीं है और निधि को गले से लगा लिया l वह बोली कि मैं अपनी सहेली से सोमेश जी की नौकरी की बात कर ली है l उसके पापा एक कंपनी में जनरल मैनेजर है l दो-तीन दिन में उनका फोन आएगा मैं तुम्हें बता दूंगी तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा l
निधि रहती है कि लोग कहते हैं की मां बाप के बाद भैया भाभी से लड़की का मायका होता है यह सही है l परंतु मायका तो असलियत में भाभी से होता है l भाभी ना चाहे तो नंद कभी मायके ना आए l और मेरे जैसी भाभी सभी लड़कियों को मिले तो उन्हें मां-बाप की कभी याद ही ना आए l फिर खुशी खुशी बेझिझक अपने मायके में आती रहे l मुझे अपनी भाभी पर गर्व है l
मेरे भैया भाभी मेरे मां-बाप से बढ़कर हैं l
तभी रजत बोला चलो अब माहौल चेंज करो बहुत भूख लग रही है सबके लिए खाना लगाओ l सभी हंसते हुए डाइनिंग टेबल पर पहुंच जाते हैं l
बिंदेश्वरी त्यागी
स्वरचित
अ प्रकाशित