बेटियों को बोलने दीजिए…!- लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कितनी ज्यादा मार्केटिंग करनी है सुरभि हड़बड़ा रही थी.. अभी तो रिंकू चिंकी की बर्थडे ड्रेसेज भी लेनी है और चिल्ड्रंस वियर शॉप काफी दूर है लेकिन खरीदना तो उसी दुकान से पड़ेगा बच्चे छोटे भले हैं लेकिन कपड़े पहनने के बहुत नखरे हैं दोनों के …लड़के हों या लड़कियां आजकल कपड़े के मामले में कितने चूसी रहते हैं उस दिन मैंने कहा भी कि रिंकू की नई जींस है चिंकी तुझे फिट आ जायेगी तू पहन लेना रिंकू के लिए नई ला दूंगी

आखिर बढ़ता हुआ लड़का है लेकिन क्या मजाल जो चिंकी ने हाथ भी लगाया “हुंह भैया की मैं क्यों पहनूगी मम्मा आप मेड को दे देना मेरे लिए भी नई ला देना…!कितना बोलती हो चिंकी तुम लड़कियों को इतनी बेबाकी से बोलना शोभा नहीं देता बेटा….अपनी बेटी के इस तरह नाक चढ़ाकर बोलने से मैं नाराज हो गई थी।आखिर लड़की है थोड़ा सहनशील होना चाहिए लड़कियों को अपनी ज़िंदगी में कितना कुछ सहन करना पड़ता है त्याग करना पड़ता है …..चिंकी का इस तरह तड़ाक से खुद के लिए बोलना सुरभि को अंदर तक चिंतित और क्रोधित कर गया था।

बर्थडे तो भैया का है पर सारी फरमाइश चिंकी की पूरी करनी है सब कुछ भैया की बराबरी का ही चाहिए उसे यहां तक कि जितने दोस्त और गिफ्ट्स भैया के रहेंगे उतनी ही चिंकी की भी सहेलियां और गिफ्ट्स करने हैं….अभी बचपना है फिर सुधर जाएगी यही सोच कर तो ये तीनों थैले भर कर सामान खरीदा है अब तो उठाते ही नहीं बन रहा है श्रीमान जी को तो समय ही नहीं और अगर समय हो भी तो मार्केटिंग करने के नाम से ऑफिस के हजारों काम याद आने लगते हैं..वैसे भी इन्हें कोई इंटरेस्ट ही नहीं है खरीददारी करने या करवाने में तो मजा भी नहीं आता ….!
चलना है मैडम …??.सामने ओला ऑटो रुका पूछ रहा था हां हां चलो भैया कहते वह बैठ गई ….दुकान पहुंचते और ड्रेस खरीदते अंधेरा सा हो गया था ।
इस बार ओला बुक ही नही हो रहा था मोबाइल की बैटरी लो हो गई थी शायद इसलिए… सो उसने एक ऑटो रोक लिया था
उसका घर आनंद कॉलोनी में था जो शहर से काफी दूर नई बनी थी रास्ता थोड़ा सुनसान था अंधेरा हो चला था घर में सभी ने टोका था रास्ता सही नही है अंधेरा होने के पहले ही लौट आना लेकिन शॉपिंग करने में समय का पता भी कहां चलता है…..
रास्ते में अचानक ऑटो रुक गया “मैडम कुछ गडबड है मैं अभी ठीक कर देता हूं …ऑटो ड्राइवर दरवाजा खोलकर उतर गया ..सूनी जगह पर रुकने से अनहोनी की आशंका से अब तो सुरभि के दिल की धड़कनें तेज हो गईं….जल्दी से मोबाइल निकाला तो बैटरी अलविदा कह चुकी थी

सुबह जल्दीबाजी में चार्ज करना भूल गई थी..तभी देखा एक और ऑटो वहीं आकर रुक गया था..शायद दोनो ड्राइवर परिचित थे काफी बात चीत होने लगी सुरभि ने अपने सभी थैले जोर से पकड़ लिए भगवान को याद करने लगी…ड्राइवर की हर हरकत उसे संदिग्ध प्रतीत हो रही थी लेकिन बोलने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी उसके चेहरे से उसका डर झलक रहा था जिसे ड्राइवर भी समझ रहे थे और आपस में खुसुर फुसुर कर रहे थे

उसकी और उसके सामान की तरफ इशारा करते हुए… सुरभि का दिल कर रहा था ऑटो से उतर कर भाग खड़ी हो पर कितनी दूर तक भाग पाएगी….तभी उसका ड्राइवर सुरभि के पास आया और अजब रहस्यमई मुस्कुराहट के साथ बोला ” मेडम ये ऑटो में भारी गड़बड़ है सुधर नहीं पाएगा ये मेरा साथी है इसके ऑटो में आपका सामान लाइए रख देता हूं इसीमे आप जाइए .”…कह कर उसने सुरभि को बाहर आने के लिए कह बिना सुरभि की सहमति या इच्छा जाने उसके सामान की ओर हाथ बढ़ाया..सुरभि ने अपना सामान जोर से पकड़ लिया ..डर के मारे उसकी बोलती बंद ही हो गई थी..
अचानक एक कार उनके पास आकर झटके से रूकी… एक महिला जो खुद कार चला रही थी
क्या बात है महिला ने पूछा सुरभि के गले में आवाज जैसे घुट ही गई थी।
नहीं कोई बात नहीं है मेडम आप जाइए मेरा ऑटो खराब हो गया है लेकिन मेरी सवारी है मैं इन्हें दूसरे ऑटो से घर भिजवा रहा हूं ये अब मेरी जिम्मेदारी हैं आप चिंता ना करें अपना काम करें…!ड्राइवर ने तत्काल उन्हें टालते हुए कहा लेकिन तब तक वह महिला कार से उतर कर ऑटो के पास आ चुकी थी और सुरभि को देखते ही
अरे सीमा तुम!! मैं तो अभी तुम्हारे ही घर गई थी पता चला की मार्केट गई हो तो वापिस लौट रही थी चलो मुलाकात हो गई तुम्हे खुशखबरी देनी थी तुम्हारे भतीजे आकाश को इंस्पेक्टर की नौकरी मिली है और उसने तुम्हे खास तौर पर बुलाया है लो उससे बात कर लो….बिना रुके बोलते हुए उसने अपना मोबाइल निकाला और हां हां बेटा सीमा मौसी को बता दिया मैने …तुम्हारे पुलिस इंस्पेक्टर बनने से वह बहुत खुश हैं तुम्हे बधाई दे रही हैं लो बात कर लो….बहुत ही सामान्य और सहज रूप से महिला ने बात करते हुए आंखों से आश्वासन का इशारा करते हुए सुरभि को मोबाइल पकड़ा दिया … जैसे खास परिचित हो!!सीमा!!!कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है ये महिला मैं तो इसे जानती भी नहीं सुरभि सोच ही रही थी कि उस अंजान महिला ने सुरभि को अपना मोबाइल देते हुए आंख से कुछ इशारा करते हुए कहा लो सीमा आकाश से बात कर लो चलो तब तक मैं तुम्हारा सामान रखती हूं अपनी कार में
लाइए भैया आप लोग बिलकुल परेशान मत होइए मैं इसे अपने साथ ले जाऊंगी आपका कितना किराया हुआ बता दीजिए बहुत ही सामान्य रूप से कहते हुए हुए उसने सीमा का पूरा सामान ड्राइवरों के हाथो से लेते हुए अपनी कार में रख लिया और मोबाइल पकड़े अकबकाई सी खड़ी सुरभि को ठेलकर कार में बिठा लिया
……तिनके का सहारा पाती सुरभि अब सब कुछ समझ गई थी मोबाइल कानो से लगा बोलने लगी
हां हां आकाश बेटा बहुत बधाई तुमको मैं अभी पहुंच रही हूं बताओ क्या गिफ्ट लोगे मौसी से…..!
जब तक कोई ड्राइवर कुछ कहता समझता महिला ने कार स्टार्ट कर ली थी और वे वहां से रवाना हो गए थे..!काल्पनिक आकाश से काल्पनिक बातें करते सुरभि को अपनी वाचाल बेटी चिंकी याद आ रही थी..” बेटियो को बोलना आना चाहिए खुद के लिए भी..”” बचपन से ही।

अब मैं उसे अपनी बात कहने से नहीं रोकूंगी ना डाटूंगी बल्कि इसी तरह शांत और सहजता से बाते करते हुए कठिन परिस्थिति का सामना करना सिखाऊंगी…मन ही मन सोचती सुरभि इस घोर संकट में तिनके का सहारा बन कर आ पहुंची अंजान बुद्धिमती महिला का शुक्रिया करते नही थक रही थी और वह महिला “शुक्र है आपने मेरी बात समझ ली वरना आपका चेहरा देख कर तो मुझे अपनी बातों की पोल खुलने की पूरी संभावना दिख रही थी….सीमा जी …”!!”वैसे आपका असली नाम है क्या ..??थर्मस से पानी निकाल कर सुरभि को देते हुए उस महिला ने हंसकर कहा तो सुरभि भी अपनी उड़ी हुई शक्ल मिरर में देख कर …..जी आप सीमा ही बोलिए ना अच्छा लगता है..!”कहकर हंस पड़ी थी।
#तिनके का सहारा#

लतिका श्रीवास्तव

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