*ठकुराई* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ठाकुर बलबीर सिंह जी के साथ समस्या ये थी कि उनकी जमीदारी तो चली गयी थी,पर ठकुराई को उन्होंने अपने जेहन से जाने नही दिया था।जमीदारी वाला रुतबा वे रखना चाहते थे।समय परिवर्तन की आहट को सुनने की चेष्टा तक नही कर पा रहे थे।वे यह भी समझने को तैयार नही थे कि आधुनिक बयार … Read more

मां बाप की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है! – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सीखा कहा हो ? जल्दी करो मंदिर जाना है ,लेट हो जायेगा | हा कर तो रही हो शिखर ,सुबह बहुत काम हो जाता है  | थोड़ा  बहुत तुम भी कर लेते तो टाइम से सब हो जाता |  शिखर मंदिर के लिए निकल गया | वहां पहुंच पूजा पाठ हवन सब  कुछ किया बहुत … Read more

मां तुमने ये खाना कैसे खा लिया! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” क्या मां,आज आपने फिर ये दाल बना दी…. मुझे नहीं खाना ये खाना … ,, गुस्से में प्लेट सरकाते हुए कुशाल चिल्लाया। ” बेटा, दाल खाना अच्छा होता है । आज मैंने अच्छा सा तड़का भी लगाया है तू चख कर तो देख। ,, गीत मनुहार करते हुए बोली। “नहीं मां, मैं बिलकुल नहीं … Read more

****झाड़ू-पोंचा-बर्तन**** – रमन शांडिल्य : Moral Stories in Hindi

हमारे घर झाड़ू पोंचा करने वाली, कामवाली बाई कल किसी लड़के के साथ नौ दो ग्यारह हो गई । मतलब भाग गई । मतलब प्यार निभाने की कसमों पर खरा उतरी । लेकिन हमारे घर की पूरी व्यवस्था चरमरा गई । और फलस्वरूप मेरी पत्नी की आंखों से नए पुराने सभी दर्द कुछ इस तरह … Read more

नया मैनेजर – नेकराम : Moral Stories in Hindi

किशनलाल को बैंक में चपरासी की नौकरी करते हुए 14 साल बीत चुके थे बैंक का ताला खोलना और लगाना उसी का काम था लेकिन आज उसका मन बहुत घबरा रहा था अभी तक तो सब ठीक चल रहा था  अब न जाने क्या होगा आगे वह कुर्सी पर बैठे-बैठे एक गहरी सोच में डूबा … Read more

कामकाजी बहु की चाय पार्टी – श्वेता कौस्तुभ : Moral Stories in Hindi

सुमित्रा जी के बेटे की शादी को कुछ ही दिन बीते थे कि मोहल्ले में उनकी कामकाजी बहु के घमंडी होने की खबरे उड़ने लगी थी। सुमित्रा जी की बहु एक सरकारी बैंक में काम करती थी और उनका बेटा एक मल्टीनेशनल कंपनी में। सुमित्रा जी का बेटा अक्सर अपने काम से बाहर रहता था … Read more

हैप्पी मेन्स डे पापा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

गर्वित ने अपना बचपन कभी खुलकर जिया ही नहीं।एक कारपेंटर थे उसके पापा। फर्नीचर की दुकान पर दिन रात काम करते और मालिक के स्टोर रूम में बीवी -बेटे के साथ रहते थे वे। हांथ में सफाई का हुनर दिया था भगवान ने।मालिक के घर में भी तीन बच्चे थे।बेटा गर्वित से दो साल बड़ा … Read more

भाग्यशाली से भाग्यहीन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

         जबलपुर में रहते हुए मुझे चार महीने हो रहे थे, इस बीच आसपास रहने वालों से मेरी अच्छी-खासी पहचान भी हो गई थी।उन सबके घर भी आना-जाना हुआ।उसी मोहल्ले में एक बड़ी कोठी भी थी जिसकी बनावट तो पुरानी थी लेकिन साज-सजावट ऐसी कि बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ले। मैंने … Read more

भाग्यहीन – एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

नीलू अपनी बीमारी से अब स्वयं ही परेशान हो चुकी थी। क्योंकि बीमारी में दवा और आराम की जरूरत होती है जो उसके नसीब में नहीं था।घर में उसकी सेवा करने वाला था ही कौन? बीमारी में भी घर का सारा काम उसे ही करना होता था…बेटियाँ दोनों छोटी थीं अभी, लगभग तीन और पाँच … Read more

भाग्यहीन – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मौसी ,ताई, बुआ सबने आरती उतार दी नई बहू की ,और अब दादी पोते आयुष से कह रही थी बेटा आयुष बहू को लेकर अंदर आओ। नहीं दादी सबने तो आरती उतार दी लेकिन मम्मी ने नहीं उतारी वो दिखाई नहीं दे रही है कहां है मम्मी,बुलाओ उनको तभी मैं अंदर आऊंगा। बेटा जिद न … Read more

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