आज सुबह सुबह मालती जी का बेटा मनन पाँच दिन के लिए टूर पर निकल गया,बहू सुमन ने अपनी सासूमां से कहा ,
मम्मी जी आजकल एक बहुत अच्छी मूवी लगी है ,क्यों न हम दोनों आज मूवी देख कर आऐं
पापाजी के लिए उनकी पसंद का खाना मैंने तैयार कर दिया है और उनसे परमीशन भी लेली है कि पापाजी मैं व मम्मी जी आज मूवी देखने जारहे हैं।पापाजी बहुत खुश हैं
यह सुनकर कि आप आज मूवी देखने जारही है।
हाँ ,हाँ बहू ,ये तुमने बहुत अच्छा सोचा,बैसे भी मालती को शौक़ तो बहुत है मूवी देखने का ,पहले जब मनन व सुधा नहीं आपाए थे तो मैं मालती को उसकी पसंद की मूवी दिखा लाता था।
फिर पहले मनन व उसके दो साल बाद सुधा के आजाने से मालती तो बच्चों के पालन पोषण मे कुछ इस तरह व्यस्त हो गई कि मूवी देखना छूट ही गया।
बैसे कौन सी मूवी जारहे हो तुम लोग,लापता लेडीज़ मूवी का नाम है इसकी फ़ीड बैक बहुत अच्छी है ।मम्मी जी को ज़रूर से पसंद आने वाली है ये मूवी।
सास ,बहू तैयार होकर निकल ही रही थीं कि देखा उनकी बेटी सुधा कैव से उतर रही थी,उसे आते देख मालती जी बुदबुदाई ,
ये अब क्यों आगई, हमारा प्रोग्राम चौपट करने।सुधा का ससुराल चूँकि लोकल है ,सो वह मायके के चक्कर जब तब लगा लेती है।
उन दोनों को तैयार होकर निकलते देखा तो ,कहने लगी कि क्या आप दोनों कहीं जारहे हो।मालती जी ने कहा हाँ हम लोग आज लापता लेडीज़ मूवी देखने जारहे है ,तुम भी चल सकती हो हमारे साथ ।
नहीं माँ बड़ी मुश्किल से तो आप लोगों का प्रोग्राम बना होगा।आप लोग मूवी एंजॉय करो , मैं पापा के पास बैठती हूँ।बैसे भी पापा से बातचीत का मौक़ा कम ही मिल पाता है।
मालती जी बेटी की समझदारी की बात सुन कर निहाल हो गई।सुधा ने अपने पापा से खूब सारी बातें की उनको खाना गर्म करके खिलाया।
साथही जब माँ व भाभी के वापस आने का समय हुआ तो शाम के लिए ढोकला बना दिया वो चाय की सारी तैयारी करली।
मस्त मूड में सास,बहू मूवी देख कर लौटी।वापस आने पर सबको चाय बना कर दी साथ ही ढोकला भी सर्व किया।अरे,वाह सुधा ,
आज तों तुझे बहुत काम करना पड़ गया , यहां आकर। तो क्या हुआ माँ पहले भी तो जब तक भाभी नहीं आई थी ,मैं रसोई में आपका हाथ बटाती ही थी न ,फिर अब क्या हो गया।
पहले की बात फ़र्क़ थी बेटा,तब ये तेरा घर था,अब ये तेरा मायका है#तेरा घर तो अब ससुराल है#
ये कैसी बातें कर रही हो मां ,मेरी समझ में तो कुछ नही आरहा।
अच्छा ,बैठ मैं तुमको समझाती हूं कि तुम अब यहां मेहमान बतोरआतीहोरहना तो अधिक ससुराल में ही पड़ता है न।
वहां की पूरी जिम्मेदारी निभानी तुम्हारा पूरा कर्तव्य बनता है।यहां की घर की जिम्मेदारी सम्हालने के लिए अब तुम्हारी भाभी है न ।
मेरे दुःख सुख का पूरा ध्यान रखती है यह,इसी के कहने से आज मेरा मूवी देखने का शौक कितने दिन बाद पूरा हुआ।सच सुमन बहुत ही अच्छी बहू है।
क्या मां भाभी केआतेही आपने मुझे इस घर का मेहमान बना दिया।और मेरे हिस्से का लाड़,दुलार अपनी बहू पर दिखारही हो।
नहीं बेटा , ऐसा कुछ भी नही है ,तू इस घर की बेटी है और सदा रहेगी लेकिन अब ये घर तेरा मायका है,
तू जब चाहे मिलने आसकती है मेहमान बतौर फिर वापस तो अपने ससुराल ही जायगी न क्योंकि अब वहीतेरा घर है।
बेटा सारी दुनिया का यही नियम है,एक समय आने पर बेटी पराई हो जाती है,और ससुराल ही उसका घर हो जाता है।
मैं भी कभी इस घर में व्याह कर आईथी,तो मायका ही अपना घर लगता था,लेकिन तुम दोनों के आजाने के बाद अब यह घर ही मेरा घरहो गया।
समझ गई न। तू जब चाहे यहां आ सकती हैं लेकिन दो चार दिन के बाद वापस तो तुझे अपने घर ही जाना होगा,अपने घर यानी ससुराल में।
अरे मां तुम्हारे मायके व ससुराल के पुराण में तो कितनी देर हो गई।अब अगर इजाजत हो तो मैं अपने घर जाऊं,कह कर हंसते हुए सुधा ने अपने मायके से बिदा ली।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
#बेटा अब ससुराल ही तेरा घर है#
बहोत अच्छी🙏😊 छोटी सी कथा और सिख बडी 👌👌
Absolutely