बेटी – एम पी सिंह: Moral Stories in Hindi

पूनम की डोली ससुराल पहुची, वो बहुत खुश थी। परिवार में ननद और ससुर के अलावा कोई नहीं था। पति अंगद की अच्छी नोकरी थी। सब ठीक चल रहा था, ओर जल्दी ही वो पति औऱ ससुर की चहेती बन गई। परंतु पूनम की ननद बिमला ज्यादा घुल मिल नहीं रही थीं।  उसे भाभी की सुंदरता और पड़ी लिखि होनेसे जलन हो रही थी।

बात बात पर वो भाभी को कुछ न कुछ बोलती रहती, पर पूनम मुस्कुरा देती ओर कुछ न बोलेगी।समय बीतता गया और ननद की भी शादी हो गई। पूनम के ससुर की भी उम्र हो गई और वो बीमार रहने लगे। तभी एक दिन अंगद को बुलाकर बोले, बेटा मैं सोचता हूँ कि गांव वाली जमीन बेच देते हैं, वहां जाना तो होता नही। अंगद बोला जैसा आप ठीक समझे पिता जी।

अगले दिन अंगद के पिता जी ने ब्रोकर से बात करके ज़मीन बेचने के लिए कह दिया। कुछ दिन बाद ब्रोकर का फोन आया और और डील फाइनल कर दी।

कुछ दिन बाद सारी कागजी कारवाही पूरी करके पैसे एकाउंट में आ गए।

रात को खाना खाते समय पापा ने अंगद से कहा कल ऑफिस जाते समय चेक ले जाना ओर अपने एकाउंट में जमा कर देना। अंगद बोला ठीक है पिता जी। तभी पूनम बोली, पिताजी, आप इनको पैसे क्यो दे रहे हो?क्या आप बिमला को कुछ नहीं देंगे? वो भी तो इस घर का हिस्सा है। अंगद ओर उसके पिता जी पूनम को देखते रह गए।

तभी अंगद बोला, शादी में तो सब दे दिया था, अब क्या जरूरत है? पिताजी कुछ बोलते, इससे पहले पूनम बोली, बिमला के पति इनके जितना नहीं कमाते, ओर उनकी एक बेटी भी है। घर घरस्ती में काम आएगा। पूनम बोली, मेरी मानो तो आधा पैसा बिमला को बाकी आधा अपने पास रखो। कल इनकी नीयत बदल गई तो आपका क्या होगा? किसी पर भी ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। ये तो अपना घर अच्छे से चला रहे है। और अगर भाई, पिता ही ध्यान नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा?

अंगद के पिताजी भावुक हो गए और बोले, अंगद, तू किस्मत वाला है जो इतनी समझदार बीवी मिली है। आज अगर तुम्हारी माँ जिंदा होती, तो बहुत खुश होती। फिर बोले, अंगद बेटा, तू बिमला को फोन कर दे, आकर पैसे ले जाए। अंगद कुछ बोलता, इससे पहले पूनम बोल पड़ी, पिताजी, मेरी बिमला से बात हो गई है, वो संडे को आ रहे हैं।

न जाने लोग क्यों बेटा बेटा करते रहते है? एक बेटी ही है जो अपना पीहर के साथ साथ मायके का भी पूरा ध्यान रखती है। बड़ी से बड़ी तकलीफ मै भी हिम्मत नहीं हारती ओर कोई भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटती।

पूनम बेटा, मुझे अगर अगला जनम मिला तो मैं भगवान से यही मांगूगा की तू ही मेरी बेटी बनकर मेरे घर आना।

आप ही बताये क्या बेटी के त्याग, तपस्या, बलिदान की कीमत चुकाई जा सकती हैं??

 

रचना

एम पी सिंह

स्वरर्चित, अप्रकाशित

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