बेटी क्या औलाद नहीं-Mukesh Kumar

रूबी की शादी बड़ी धूमधाम से हुई.  अगले दिन वह अपने ससुराल पहुंची ससुराल पहुंचने पर उसका स्वागत उसके सास ने बहुत ही प्यार से किया ससुराल में उसका मान जान कुछ ज्यादा ही हो रहा था क्योंकि वह अपने सास की इकलौती बहू थी क्योंकि उसके पति मनोज का कोई भाई नहीं था।

रूबी को सास-ससुर भी बहुत प्यार करते थे।  धीरे-धीरे सारे मेहमान अपने घर चले गए। जीवन नॉर्मल तरीके से बीतने लगा ऐसे करते कई महीने बीत गए 1 दिन रूबी की सास ने रूबी से पूछा रूबी कब तुम अच्छी खबर सुनाओगी।  

रूबी ने इसका मतलब नहीं समझा और अपने सास से पूछ बैठा क्या अच्छी खबर, मैं समझी नहीं रूबी की सास ने बोला बहू इतनी भी तुम होली मत बनो तुम समझ नहीं रही हो कि मैं क्या कह रही हूं तो रूबी ने बोला नहीं माँ सच में मुझे नहीं पता आप क्या कह रहे हैं।

बहु मैं यह कह रही हूं कि कब मेरे गोद में मेरा पोता दोगी तब मैं इसके साथ खेलूंगी रूबी ने बोला माँ अभी तो कुछ महीने ही हुए हैं शादी के कर लेंगे इतनी भी क्या जल्दी है।

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 इतने पर रूबी की सास आग बबूला हो गई और भड़क गई हमने सोचा था कि अपने बेटे की शादी करेंगे और बहुत जल्दी हमें पोता मिल जाएगा उनको खेलाएंगे लेकिन इनको देखो अभी कह रही है महारानी की इतनी भी क्या जल्दी है।



तभी कुछ देर में ही मनोज वहां पर आ गया और उन दोनों की आपस में कहासुनी देख बोला क्यो आपस मे लड़ रहे हो तो रूबी की सास ने  बोला तुम्हें तो कोई चिंता ही नहीं है बस काम काम काम लगा रहता है।

मनोज भी इंकार कर दिया इतनी भी क्या जल्दी है मां, मां है कि जिद पर अड़ गई अगर पोता चाहिए तो चाहिए।

फिर क्या था मनोज और रूबी ने भी फैसला किया कि चलो कोई ना मां की यह इच्छा पूरी कर देते हैं लेकिन अगर भगवान की इच्छा ना हो तो आपकी इच्छा हो कर भी क्या होगा।

धीरे-धीरे साल बीत गए रूबी माँ नहीं बन पाई अब तो वह ताने  भी सुनने लगी, फिर सब ने मिलकर फैसला किया उसको डॉक्टर से दिखाया जाए, शहर के जाने माने डॉक्टर के पास दिखाया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं मिला।रूबी की सास ने  तांत्रिक और बाबा के पास भी लेकर गई और टोना टोटका भी करवाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

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धीरे धीरे शादी के चार पांच साल बीत गए और रूबी फिर भी मां नहीं बन पाई एक दिन मनोज का दोस्त आया हुआ था और उसने मनोज को सलाह दिया क्यों परेशान रहते हो।

सारी बात बताई बच्चा नहीं होने की वजह से उसकी मां उन दोनों से नहीं बात करती है उसे उन्हें लगता है कि हम खुद से ही नहीं बच्चा करना चाहते मनोज के दोस्त ने बोला मेरे दोस्त इसमें क्या सोचने वाली बात है सीधा हॉस्पिटल चल के किसी नामी हॉस्पिटल से “आई वी आर” करवा लो और बहुत जल्दी ही तुम दोनों पेरेंट्स बन जाओगे।



इसमें कोई ज्यादा खर्चा भी नहीं आता है कोई एक लाख के आसपास मनोज ने बोला भाई पैसे की कोई बात नहीं है।  लेकिन अगर सच में हो तब तो मनोज के दोस्त ने बोला एक बार करने में क्या जाता। एक दिन मनोज ने रूबी को पास के ही  हॉस्पिटल में ले गया और रूबी का टेस्ट करने के बाद सब कुछ रिजल्ट ओके हो गया और रूबी मां बन गई। लेकिन वहां पर ससुराल में कोई भी उसकी देखभाल करने वाला नहीं था क्योंकि कितने दिनों के बाद रूबी मां बनने जा रही थी तो कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी।

इसलिए उसने फैसला किया कि वह अपने मायके चली जाएगी और जब डिलीवरी हो जाएगा अपने ससुराल आ जाएगी इस बात के लिए उसकी सास ने भी मंजूरी दे दी उसके पोते का सवाल जो था और कुछ दिनों के बाद रूबी अपने मायके चली गई मायके में उसकी माँ बहुत सेवा करती थी क्योंकि वो भी अपना नाती खिलाने के लिए आतुर हुए जा रहे थे।

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धीरे-धीरे समय बिता और रूबी ने एक खूबसूरत बच्चे को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह बच्चा लड़का नहीं बल्कि लड़की पैदा हुई।  लेकिन किसी को कोई एतराज नहीं हुआ क्योंकि सबको यह लगता था की चलो इतने सालो बाद कुछ तो पैदा हुआ। लेकिन जब यह बात रूबी के सास को पता चला तो वह मुंह फुला कर बैठ गई और बोली कलमुंही इतने दिनों के बाद बच्चा भी पैदा करें तो वह भी लड़की।

इतना पैसा भी खर्च करने का क्या फायदा जब लड़की पैदा करना था तो इससे तो अच्छा होता कि बच्चा ही नहीं होता।  लेकिन यह बात रूबीको बिल्कुल भी पता नहीं था यह खबर सुनकर उसकी सास बिल्कुल ही नाराज रहेगी। रूबी ने अपनी सस को फोन किया तो उसने फोन भी कट दिया।



रूबी ने सोचा कि चलो कोई बात नहीं जब मैं ससुराल जाऊंगी तो सासू मां को मना लूंगी।

बेटी की खबर सुन मनोज भी कोई ज्यादा खुश नहीं था हां लेकिन खुश होने का दिखावा जरूर करता था कुछ दिनों के बाद रूबी अपने ससुराल वापस लौट आई लेकिन वह ससुराल वापस तो आ गई, लेकिन उससे अब कोई भी सही तरीके से बात नहीं करता था ऐसा देख रूबी तो सोच रही थी इससे तो यही अच्छा था कि मेरा कोई बच्चा ही नहीं था।

कम से कम सब सही से बात तो करते थे अब तो कोई बात भी नहीं करता है उसके बच्ची को कोई हाथ भी नहीं लगाता है।  रूबी बेचारी दिनभर परेशान होती थी पूरे घर का काम करना और बच्ची को भी संभालना। मनोज भी कुछ ज्यादा सपोर्ट नहीं करता था कि वह अपने मां से डरता था एक दिन अचानक रसोई का काम कर रही थी की रूबी की बच्ची बेड से नीचे गिर गई।  काफी इलाज कराने के बाद भी उसका पैर ठीक नहीं हुआ और वह विकलांग हो गई।

रूबी को और भी ताने सुनने को मिलने लगे लेकिन रूबी ने भी हिम्मत नहीं हारा उसने फैसला किया अपनी बेटी को वह इतना पढ़ाएगी कि कोई भी इसकी बेटी को ताने नहीं मारेगा और उसकी बच्ची  गर्व से अपने जीवन जियेगी इसके लिए वह जो कुर्बानी देना हो देगी।



यह बात सही है कि भगवान अगर एक रास्ता बंद करता है तो दूसरे रास्ते खोल देता है रूबी ने अपने बेटी का नाम प्यार से नैना रखा था और देखने में भी बला की खूबसूरत थी और उसकी आवाज इतनी अच्छी थी कि अगर वह कोई गाना गाती थी तो ऐसा लग रहा था कि कोई कोयल गा रही हो रूबी ने अपनी बेटी के इसी गुण को उसका ताकत बनाया और  बेटी को संगीत के एक टीचर के पास भेजना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे उसकी बेटी बहुत अच्छा गाने लगी, एक दिन शहर में गाने का प्रतियोगिता हो रहा था जिसमें रूबी की बेटी नैना ने भी भाग लिया और उसने सर्वप्रथम प्राइज जीता।

धीरे-धीरे नैना एक जाने-माने सिंगर के रूप में स्थापित हो गई अब तो आलम यह था कि नैना की दादी और नैना के पापा मनोज सब गर्व से  कहने लगे नैना हमारी पोती है, नैना हमारी बेटी है। धीरे-धीरे नैना को सब प्यार करने लगे।

दोस्तों इस कहानी का सार यही है कि बेटा हो या बेटी अलग नहीं है अगर आप वही सारी सुविधाएं देंगे जो एक बेटा को देते हैं तो बेटियां भी आप का सर गर्व से ऊंचा कर सकती है बस जरूरत है तो हमें अपना सोच बदलने की।

Copyright:Mukesh Kumar

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