बेटी बिना घर सूना – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” अम्मा..मिनी की शादी तय हो गई है।अब उसकी शादी में आप अपने सारे #अरमान निकाल लीजियेगा।” नरेश ने फ़ोन पर अपनी माँ को थोड़ी ऊँची आवाज़ बोला।सुनकर राजेश्वरी देवी चहक उठी,” कब है शादी है बाबू…।”

 ” अम्मा..बस अगले महीने के पहिले हफ़्ते में है।भाईसाहब और भाभी को कह दिया है।आप तैयार रहियेगा..सप्ताह भर पहले मैं आपको लेने आ जाऊँगा।रखता हूँ..प्रणाम..।”

  ” खुश रह बाबू..।” बेटे को आशीर्वाद देकर राजेश्वरी देवी ने भी फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया।

    विवाह के साल भर बाद राजेश्वरी देवी एक बेटे की माँ बनी तब उन्होंने माँ जगदम्बे से प्रार्थना की कि अगली बार मुझे एक बेटी देना…उसके बिना तो घर सूना है लेकिन ऐसा हुआ नहीं।बेटा राकेश के तीसरे जन्मदिन के चार महीने बाद अपनी गोद में फिर से पुत्र देखकर उन्हें थोड़ी निराशा हुई।बाज़ार में लड़कियों के छोटे कपड़े, हेयर-क्लिप, सैंडिल-पर्स इत्यादि देखकर खरीदने की उनकी बहुत इच्छा होती थी।

उन्होंने छोटे बेटे नरेश को फ़्राॅक पहनाया भी लेकिन फिर..।मोहल्ले की औरतें जब आपस में बात करतीं कि बेटी से ही घर में रौनक है…उसके बिना तो पूरा घर सूना-सा लगता है, तो उनका मन उदास हो जाता।एक दिन उन्होंने अपने पति से कहा कि देवी माँ मुझसे रुष्ट हैं, तभी तो मुझे बेटी नहीं दी हैं।उनके पति हँसते हुए बोले,” चिन्ता मत करो..बेटी न सही..पोती में अपनी सारी इच्छाएँ पूरी कर लेना।”

     राकेश पिता के व्यवसाय के साथ जुड़ गया तब राजेश्वरी देवी ने एक सुशील लड़की के साथ उसका लगन करा दिया।बहू को पहला पोता हुआ।कुछ समय बाद नरेश सिविल इंजीनियर बनकर सरकारी नौकरी करने लगा, तब उन्होंने उसकी भी शादी कर दी।डेढ़ बरस बाद नरेश की पत्नी ने एक प्यारी-सी बच्ची को जनम दिया।खुशखबरी सुनकर तो वो खुशी-से फूली नहीं समाई थीं।

     पोती मिनी जब चलने लगी तो उसकी पायल की छम-छम और तोतली बोली सुनकर वो निहाल हो जाती।मिनी सयानी हो गई तब उन्होंने बेटे से उसका विवाह करने को कहा तब मिनी बोली,” दादी..मैं एयर-होस्टेस की ट्रेनिंग पूरी करके देश-विदेश घूमना चाहती हूँ।प्लीज़, मुझे अपने अरमान निकाल लेने दीजिये…।” मिनी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं,” जा बिटिया..अपने मन की कर ले…।”

    एक एयरलाइंस में मिनी ने तीन साल नौकरी की।उसी दौरान उसकी मुलाकात मयंक से हुई जो उसी एयरलाइंस में एक अधिकारी के रूप में नियुक्त था।उसी के साथ मिनी का विवाह तय हुआ था।राजेश्वरी देवी राकेश के पास आई हुईं थीं, इसीलिये नरेश ने उन्हें फ़ोन करके बताया।

     राजेश्वरी देवी ने मिनी के हाथों में मेहंदी लगाई और हल्दी का रस्म पूरा किया। बन्ना-बन्नी गाकर खूब ठुमके लगाये।मिनी को अपने हाथों से दुल्हन बनाकर मंडप पर ले जाने लगीं तब नरेश और उनकी पत्नी कहने लगे,” अम्मा ने अपनी साध पूरी कर ली।” सुनकर राजेश्वरी जी मुस्कुराने लगीं।

                                     विभा गुप्ता

# अरमान निकालना       स्वरचित, बैंगलुरु

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