आज दोनों बहने फिर मिली बैठी थी, सरिता जी के पास तो बहुत सारी बातें होती थी, लेकिन सीमा जी के पास सिर्फ अपनी बहू की शिकायतें…. ।
सीमा जी की दोनों बेटियां भी आई हुई थीं… अपने अपने बच्चों के साथ… बच्चे घर में धमा चौकड़ी मचा रहे थे… सीमा जी की दोनों बेटियां भी जुड़ी बैठी थी,सीमा और सरिता जी की तरह… दो दो बहनों की अलग-अलग जोड़ियां बनी हुई थी… और दोनों जोड़ियों की खास बात यह थी कि दोनों जोड़ियों में मालती की बुराइयां चल रही थी…।
सविता जी सब देख रही थीं, सुबह से मालती कामों में लगी पड़ी थी, खाना भी बना रहीं थी और साथ में सफ़ाई भी करती जा रही थी… वैसे सरिता जी का चक्कर अक्सर यहां लग जाया करता था… क्योंकि उनकी सिर्फ दो ही बेटियां थी और दोनों बेटियों की शादी करके वह फारिग बैठी थीं… घर का अकेलापन काटने को दौड़ता तो सीमा जी की तरफ चक्कर लगा लेतीं…।
वह मालती को भी अच्छे से जान चुकी थीं…
और अपनी बहन की आदत को भी… सीमा जी को सिर्फ अपनी बेटियां प्यारी थी…
हर मौके पर वह अपने दोनों बेटियों को आमंत्रित कर लेती थी उनके मुंह से बेटियों के लिए फूल झड़ते थे और बहू की बुराइयां करती रहती थीं।
आज सरिता जी अपनी बहन को समझाने लगी, “देखो सरिता अपने बहू के साथ यह व्यवहार अपनाकर तुम अपने साथ गलत कर रही हो… बहू अभी नई है… सारी बातें बर्दाश्त कर ले रही है…
आगे तुम्हें काट खाने को दौड़ेगी, लेकिन सच यही है सीमा तुम कितना भी बेटियों से प्यार जता लो लेकिन काम 1 दिन बहूएं ही आती हैं… जब तुम बीमार पडोगी… बेटियों के आने में कुछ वक्त लगेगा लेकिन बहू हमेशा तुम्हारे पास रहेगी… कम से कम तुम्हारे घर में अकेलापन तो नहीं मुझे देखो दोनों बेटियों की शादी करके घर में अकेले बैठी हूं… अगर तबीयत खराब भी हो जाए तो बेटियों को परेशान होने के डर से मैं बताती नहीं… वैसे ही सारा काम करना पड़ता है… तुम्हारा तो ठीक है बना बना खाना मिल रहा है और तुम्हारे घर की रौनक भी बनी हुई है.. इसलिए अपनी बहू की कदर करो नहीं तो बहू भी तुम्हें छोड़ कर चली जाएगी पर तुम भी मेरी तरह अकेले पड़ जाओगी… ।
और फिर सरिता जी की बातों को सीमा जी ने जल्दी समझ लिया था, क्योंकि उन्हें अपने घर की रौनक बनाकर रखनी थी, और आने वाले समय में अच्छी यादों का उत्सव मनाना था…!
मौलिक एवं स्वरचित
सुल्ताना खातून