बेटे का प्यार – मंजू ओमर   : Moral Stories in Hindi

मम्मी मैंने नया फ्लैट ले लिया है पुनीत ने मम्मी को फोन किया । बहुत अच्छा किया बेटा अपना घर होना जीवन में तो बहुत जरूरी है ‌‌ बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया ।अब आप और पापा को हमारे और स्वाति के साथ ही रहना है। बहुत रह लिए अकेले अकेले । हां, हां बेटे क्यों नहीं और है ही कौन मेरा तेरे सिवा । आखिर बुढ़ापा आ गया है मेरा और तुम्हारे पापा का कोई सहारे को तो चाहिए ही न ‌। अच्छा ठीक है बेटा चल फोन रख खाना बनाने जा रही हूं।

               आज मंगलवार था नीरजा जी बूंदी के लड्डू का डिब्बा लेकर मंदिर पहुंची हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया और फिर प्रसाद वहां बैठे लोगों में भी दिया। फिर प्रसाद का डिब्बा लेकर घर की ओर रवाना हुई तभी मंदिर के गेट पर नीरजा जी की सहेली सुधा जी टकरा गई तो नीरजा ने उन्हें भी प्रसाद दिया ।

आज कोई खास बात है क्या सुधा जी ने नीरजा जी से पूछा किसी का जन्मदिन या शादी की सालगिरह। नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है तो लड्डू किस लिए बांटे जा रहे हैं। अरे कुछ नहीं बस बेटे ने नया फ्लैट लिया है उसने आज बताया तो मंदिर तो मैं आती ही हूं और आज मंगलवार भी था तो सोचा भगवान को प्रसाद ही चढ़ा दिया जाए नीरजा बोली । अच्छा किया बच्चों की खुशी में ही हमारी खुशी होती है। अच्छा ये बताईए आप तो नहीं चली

जाएगी बेटे के पास रहने , नीरजा जी हंसने लगी अरे अभी तक तो बेटे का किराए का छोटा सा फ्लैट था दसवीं मंजिल पर वहां कुछ अच्छा ही नहीं लगता था । हां वो तो है यहां आपका इतना बड़ा घर है हर तरफ से खुला खुला है धूप हवा रौशनी सबका आनन्द लेती है आप फ्लैट में ये सब सुख कहां । हां सुधा जी आप सही कह रही है ।

लेकिन अब ग्राउंड फ्लोर पर फ्लैट लिया है और काफी खुला खुला भी है ऐसा बेटा बता रहा था मैंने देखा तो नहीं है । बेटा पुनीत कह रहा था मम्मी अब यही रहना आकर अब वहां क्यों रहना अकेले अकेले । अच्छा अच्छा अब अपना मोहल्ला सुना कर जाएगीं आप सुधा जी बोली।अब बेटा कह रहा है तो जाना ही पड़ेगा ।

हां वो तो है अब बुढ़ापे में एक वो ही तो सहारा है आप लोगों का । ठीक है आती जाती रहिएगा जिससे मुलाकात होती रहे । हां, हां क्यों नहीं इतनी बात करके नीरजा जी अपने घर आ गई ।

                   आज नीरजा और पति सुभाष जी बैठे चाय पी रहे थे । सुभाष जी ने पूंछ लिया क्या बात है आज बड़ी खुश नजर आ रही हो । हां क्यों न खुश हूं अब बेटे और बहू के साथ रहेंगे ।अब हम दोनों का अकेला पन खत्म हो जाएगा। ज्यादा खुश न हो सुभाष जी बोले आजकल समय बड़ा खराब है ।

आजकल बेटे बहू मां बाप के साथ रहना नहीं चाहते ।पर मेरा बेटा ऐसा नहीं है नीरजा बोली । हां हर मां बाप ऐसा ही बोलते हैं कि हमारा बच्चा ऐसा नहीं है लेकिन जब हकीकत सामने आती है तब हमारी आंखें खुलती हैं ।आप तो बिना मतलब वहम करते हैं । इतना कहकर नीरजा रसोई में जाकर नाश्ता बनाने लगी ।

तभी कमली आ गई घर का काम करने ।ले कमली तू भी थोड़ा नाश्ता कर लें और ये ले प्रसाद कल मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ाया था । पुनीत ने नया फ्लैट ले लिया है और हम लोगों से कह रहा है कि आप लोग भी यही आकर रहो । खुशी तो जैसे नीरजा के चेहरे से टपकती जा रही थी ।

अच्छा तो आप चली जाएगी मां जी  कमली बोली अब बेटा बुला रहा है तो जाना ही पड़ेगा न । हां वो तो है ।

              पांच महीने बाद पुनीत को फ्लैट की चाबी मिल गई ।एक हफ्ते बाद घर में पूजा रखी गई और कुछ लोगों का खाना भी । पुनीत ने मां को फोन किया मां पापा को साथ लेकर आ जाओ मैं आप लोगों का टिकिट भेज दें रहा हूं ।और हां अपना सब जरूरी सामान कपड़े वगैरह और दवाई सब ठीक से रख लेना यही रहना जब तक आपका मन करे ।

नीरजा खुशी से फूली न समा रही थी ।सब तैयारी में जुट गई ‌‌‌तभी कमली आई  नीरजा कमली से बोली कमली देख फ्रिज में जो कुछ सब्जी वगैरह पड़ी हो और खाने पीने कि जो भी सामान हो सब  ले जा तुम यहां खराब हो जाएगा ।कल सुबह जाना है हम लोगों को फिर पता नहीं कब आना हो । नहीं मां जी ऐसा न कहिए जल्दी ही आना । तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता मुझे ।

                और सुबह की गाड़ी पकड़ कर सुभाष और नीरजा जी पहुंच गए बेटे के पास । पूजा-पाठ अच्छे से सम्पन्न हो गई और सभी खाना पीना खाकर विदा हो गए ।। मम्मी पापा आप लोगों का वो कमरा है वहीं पर सामान रखा है आपलोगो का जाइये और आराम करिए । फिर तीन चार दिन तो आराम से कट गए सभी खुश थे ।

फिर एक दिन सुबह सुभाष जी ने ड्राइंग रूम में बैठकर चाय पी और वही पर दवा खाकर डिब्बा टेबल पर रख दिया और दवा का रैपर भी वही रखा रहा ‌।शाम को स्वाति बाहर आई तो देखा दवाई का डिब्बा और रैपर पड़ा है तो बोली पापा जी आप अपनी दवाई वगैरह अपने कमरे में रखिए यहां नहीं । पापा जी पुनीत बोला आपको कमरा दिया है

न अपना सब सामान वहीं रखा करिए । दूसरे दिन फिर वही हुआ सुभाष जी ने अपने नकली दांतों का डिब्बा और टूथपिक फिर वही टेबल पर रख दिया तो स्वाति ने देखा तो बिफर पड़ी क्या गंदगी मचा कर रखा है डाइंग रूम में यही पर सारा सामान रखा रहता है ।आप लोग अपना सब सामान अंदर रखिए पुनीत सबकुछ सुनता रहा कुछ न बोला।

                      आज पुनीत और स्वाति के कुछ मिलने वाले आए थे तो क्राकरी में नाश्ता लगा उनके जाने के बाद वो बर्तन रसोई में पड़े रहे  । नीरजा ने ध्यान ही नहीं दिया कि मुझे रखने पड़ेंगे ।आफिस आकर पुनीत बिफर पड़ा क्या मां कल से क्राकरी ऐसे ही पड़ी है वो साफ कर रख देती न।और कुछ खाना भी नहीं बनाया दिनभर क्या करती रही खाना ही बना देती। नीरजा को बड़ा बुरा लगा पुनीत का ऐसा व्यवहार। फिर भी मन मारकर रह गई।

                आज सुभाष जी पेपर पढ़ते पढ़ते वही सोफे पर सो गए । छुट्टी का दिन था पुनीत और स्वाति जब कमरे से बाहर आए तो देखा पापा जी सोफे पर सो रहे हैं ।ये क्या पापा जी आपको नींद आ रही थी तो कमरे में सोओ न सोफे पर सो रहे हैं यहां सोने की जगह है क्या और आपके पैरों में कुछ गंदगी भी लगी है वो सब सोफे में लग गई । इतना मंहगा सोफ़ा है ।अब सुभाष जी और नीरजा एक दूसरेका मुंह देखने लगे।

            दूसरे दिन नीरजा और सुभाष जी अपने कमरे में ही बैठे रहे बाहर ही न आए ।जब बच्चे मां बाप को इस तरह छोटी छोटी बातों पर टोंक देते हैं तो बहुत बुरा लगता है ।

              नीरजा के चेहरे की खुशी का फूर हो चुकी थी। सुभाष जी बोले देख लिया बेटे  बहू का प्यार पंद्रह दिन में ये हाल है तो आगे क्या होगा। इससे अच्छा अपने घर चलों ।अपना घर अपना ही होता है ।बेटे बहू का घर अपना घर नहीं है । बच्चे जब अपने घर आते हैं इतना सामान फैलाते हैं और तुम दिनभर समेटती थी तो उसका कुछ नहीं ।और यहां ,,,,,,,।

               मम्मी पापा मैं और स्वाति एक हफ्ते को बाहर घूमने जा रहे हैं ।आप लोग कैसे अकेले यहां रहेंगे।आप दोनों का वापसी का टिकट करा देता हूं । हां बेटा करा दे टिकट हम लोग अपने घर जाएंगे ।

           वापस आकर कमली को फोन किया आ काम करने हम लोग आ गए हैं।सारे अरमानों पर पानी फेर कर वापस आ गई नीरजा अपने घर ।

         पाठकों सभी से अनुरोध है आजकल समय बहुत खराब चल रहा है । मां बाप का घर तो बेटे का घर होता है लेकिन बेटे का घर मां बाप का नहीं होता । ध्यान रखें पहले का जमाना और था और आज का और है । बच्चे मां बाप के घर आकर चाहे जैसे रहे लेकिन मां बाप को बच्चों के घर में आजादी नहीं होती । इसलिए जहां तक हो सके अपने घर में रहे ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

28 जुलाई

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