बेरोजगार (भाग-6) – रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

****आगे की कहानी****

तरुण घर से निकल गया…. वापस आया तो लड़कियां जा चुकी थीं…. वह अनुज के पास गया… अनुज एक मैगजीन पर सर गड़ाए बैठा था….

तरुण ने उसे दवाइयां दी… और यूं ही कुछ पूछने को हुआ… कि अनुज बोल उठा…” भैया वह मेरी फ्रेंड थी… यही जानना था ना आपको…”

तरुण इतना बेरुखा जवाब नहीं चाह रहा था… थोड़ा झिझकते हुए बोला…” ऐसे क्यों बोल रहे हो भाई… क्या हुआ… मैंने तो कुछ पूछा ही नहीं…!”

” भैया मैं जानता हूं… आपके दिमाग में तब से वही चल रहा होगा… कि कौन थी दोनों… कुछ नहीं बस मेरी फ्रेंड थी… समझ लिया आपने…!”

तरुण जब से यहां आया था… उसे तभी से अनुज में कुछ बदलाव नजर आ रहा था… और आज के उसके इस रवैए से वह पूरी तरह हिल गया….!

थोड़ी देर दोनों चुप रहे… फिर तरुण ने ही चुप्पी तोड़ी…. और सीधा सवाल करता हुआ बोला… “अनुज तुझे कोई लड़की पसंद है क्या….?

अनुज चुप लगा गया….!”

तरुण ने फिर कहा….” बोल भाई… हम भाई बाद में हैं…. पहले दोस्त हैं… बोल क्या बात है…?”

अनुज बोला…” कुछ नहीं भैया…. क्या फर्क पड़ता है… आप कोई जॉब करोगे नहीं… पापा मम्मी आपसे पहले… मेरे बारे में कुछ सोचेंगे नहीं… तो बोलने… ना बोलने… पसंद करने… ना करने… से फर्क ही क्या पड़ता है… इसलिए जाने दो….!”

अब तो तरुण का विश्वास पक्का हो गया…. वह प्यार से अनुज के कांधे पर हाथ रखकर…. पास आया… और बोला…” अरे भाई… तू मेरे कारण क्यों परेशान होता है…. अगर तुझे शादी करनी है… कोई लड़की पसंद है… तो बोल ना… मैं तेरी शादी करवाता हूं ना…..!”

अनुज चिढ़ कर बोला…” आप क्या करवाओगे भैया… आपके ही कारण तो सब फंसा पड़ा है…  उलझ कर रह गई है मेरी जिंदगी….!”

तरुण एकबारगी अंदर से हिल गया… इतना आक्रोश… इतना विरोध… अनुज के अंदर खौल रहा था… इसका तो उसे तनिक भी आभास नहीं था….!

मतलब इतने दिनों से जो प्यार… जो परवाह… जो इज्जत था…. वह सब क्या झूठ और दिखावा था….?

अनुज को लगा वह कुछ ज्यादा बोल गया है… इसलिए उसने तुरंत ही खुद को संभाला… और बोला…” भैया मैंने उससे कह दिया है… मैं अभी शादी नहीं कर सकता… वह कर ले… जिससे करना है… आप चिंता मत करिए…. कोई बात नहीं…!

यह सैक्रिफाइस तो तरुण के लिए एकदम जहर की तरह था…. वह अनुज की तरफ बड़ी आंखों से देखते हुए बोला….” वाह अनुज… अपने बड़े भाई के लिए इतना बलिदान कर रहे हो… मुझे तो पता ही नहीं था… कि मैं नाकारा… इतनी बलिदान के काबिल भी हूं… अब जरा मुझे इस कुर्बानी की वजह भी बताओ… बस यही ना… कि मैं तुमसे बड़ा हूं… लेकिन फिर भी बेरोजगार हूं…. मेरे भाई मैं नौकरी से बेरोजगार हूं…. अपनी ईमानदारी और अपनी खुद्दारी से बेरोजगार नहीं हूं…. तू बता… कौन है वह लड़की… नाम.. पता.. क्या करती है… कहां रहती है.. मेरे रहते.. तेरा प्यार अधूरा रह जाए तो लानत है… मेरे बड़े भाई होने पर… क्या तू मुझे इतना नालायक समझता है… कि मैं अपने छोटे भाई की जिंदगी की बर्बादी का कारण बन जाऊं….उसकी खुशी का कांटा बन जाऊं… नहीं.. मेरे अनुज.. तू मेरी जान है… तेरी खुशी के लिए तो मैं पूरी दुनिया से लड़ जाऊं… बता मुझे….!

अनुज की आंखों से आंसू निकल पड़े…. सुबकता हुआ तरुण के गले लग गया… थोड़ी देर बाद बोला…” भैया मैं जब 4 साल पहले कोलकाता आया था… तभी मेरी दोस्ती प्रतीक मजूमदार से हुई थी… प्रमी उसकी छोटी बहन है…. प्रमिला मजूमदार….

मैं यहां अकेला रहता था…. प्रतीक की पूरी फैमिली यहीं थी… इसलिए उसके मम्मी पापा अक्सर मुझे… खाने पर बुलाते रहते थे… वहीं मेरी मुलाकात प्रतीक की छोटी बहन… प्रमिला से हुई…  प्रमिला उस समय अपनी ग्रेजुएशन कर रही थी… इन चार सालों में.. प्रमिला अपने पैरों पर खड़ी हो गई… प्रतीक की शादी भी हो गई… अभी तक तो सब ठीक था… लेकिन.. अब बारी प्रमिला की शादी की है… घर में आए दिन.. उसके रिश्ते की बात होती रहती है.. अभी कुछ ही दिन हुए… प्रमी ने अपने दिल की बात को… अपनी मां से कह दिया… उसके बाद से तो मेरे ऊपर… सभी ओर से प्रश्नों की जैसे बौछार ही शुरू हो गई…. सब चाहते हैं कि मैं प्रमिला से शादी कर लूं… आज सुबह.. प्रमिला अपनी एक दोस्त के साथ आई थी…. मुझे यह बताने.. की अगर मैंने दो-चार दिनों में कुछ फाइनल नहीं किया… तो घर वाले उसकी बात नहीं सुनेंगे… मैंने भी कह दिया… कि जो घर वाले कहते हैं…. वह कर ले… मेरा कोई फाइनल नहीं है….!”

सब एक सांस में बता कर अनुज चुप हो गया…. कमरे में थोड़ी देर तक… एक खामोशी फैली रही… फिर तरुण बोला…” अच्छा.. मैं कल की टिकट ले लेता हूं… अब तुम्हारी तबीयत लगभग ठीक हो गई है… मुझे निकलना चाहिए….!

इतना कहकर तरुण दूसरे कमरे में चला गया.

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रश्मि झा मिश्रा

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