बैरी पिया बड़ा रे बेदर्दी…  अनामिका मिश्रा 

रिया . ..रिया ..अजय ने आवाज लगाया। रिया मोबाइल में व्यस्त थी। पास आकर अजय ने कहा,”कब से आवाज लगा रहा हूं,..रिया बाबूजी को चाय बना कर दो,..हर समय मोबाइल में व्यस्त रहती हो…आखिर क्या ऐसा करती हो समझ में नहीं आ रहा! “

रिया ने भी कहा, “क्या करती हूं, अपने सारे काम निपटा कर ही कर रही हूं …तुम भी तो देखते हो सारा दिन..मैंने तो कभी कुछ नहीं कहा!”दोनों में बहस होने लगी। रिया पैर पटकते हुए चली गई, चाय बनाने! 

अजय ने बहुत कुछ ऐसा कह दिया था..जिससे वो काफी आहत हुई थी। वो सोचने लगी, “कहीं ना कहीं नारी आज भी मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती हैं, क्योंकि अजय ने इल्जाम लगाते हुए कहा था कि, जरूर उसका किसी के साथ गलत संबंध है!”

बात आई गई हो गई । 

फिर से सब वैसा ही चल रहा था। उस दिन

रिया कुछ परेशान थी ।

उसने अजय की बात पर ध्यान नहीं दिया। उसके सिर में भी काफी दर्द हो रहा था । अजय ने इस बार भी शब्दों के तीर का बौछार  पर कर दिया ..और मोबाइल छीन कर ले गया… ये  कहते हुए कि, “ये मोबाइल मेरे पैसों से तुमने लिया है, तुम्हारे मायके से किसी ने नहीं दिया, आज मैं सब चेक कर लूंगा की तुम क्यों मोबाइल में रहती हो!”


रिया के पास रोने के अलावा कुछ नहीं था।वो फूट-फूट कर रोने लगी। और शादी के पूर्व की बातें याद करने लगी, जब उसके भैया ने कहा था, “रिया मैं तो कहता हूं, तू पहले कुछ कर ले, कहीं जॉब कर ले,शादी वादी अभी मत कर, क्या जल्दी है, मना कर दे, पिताजी को! “

पर मां पिताजी चाहते थे कि,..जल्दी से विवाह हो जाए और दोनों ही जिम्मेदारी से मुक्ति पा ले। 

रिया कुछ कर भी ना पाई और कह भी ना पाई ।

सोचने लगी कि, “काश उस वक्त उसने, भैया की बातों पर गौर किया होता तो, आज इस तरह का मानसिक दबाव उस पर नहीं होता!”

आज भी स्त्रियां कहीं न कहीं किसी रूप में प्रताड़ित की जाती हैं, बहुओं को सेविका समझकर, ससुराल में उनकी आजादी छीन लेते हैं, और अगर हमसफर ही वैसा हो तो जिंदगी और मृत्यु में कोई अंतर भी नहीं होता!”

यह सारी बात रिया सोचते-सोचते सो गई। 

सुबह उसने देखा कि उसके सिरहाने मोबाइल रखी हुई थी। दरअसल रिया मोबाइल के जरिए कई संस्थाओं से जुड़ी थी और सामाजिक रुप से सहायता  किया करती थी। 

अगले दिन एक लेटर आया जिसमें …रिया जिन संस्थाओं की सहायता करती थी…उन्होंने रिया को पुरस्कृत करने के लिए बुलाया था…और कुछ राशि के रूप में भी इनाम दिया जाने वाला था। 

उसने वो लेटर पति को दिखाया। 

आज अजय रिया से नजर नहीं मिला पा रहा था ।

रिया ने कहा,ये जो राशि मुझे मिल रही है … ये मेरी अपनी है ,आज मैं बहुत खुश हूं ..और मुझे सुकून सी मिल रही है, आज तक तो सब कुछ तुम्हारा ही दिया था मेरे पास,अब मैं खुद का एक मोबाइल लूंगी,…ताकि तुम इसे छीन ना सको। अजय को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने सिर नीचे कर रिया से कहा, “माफ कर दो रिया मुझे।”

 

स्वरचित अनामिका मिश्रा 

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