बहुत दिनों से घर में बंद बंद सौम्या का मन उचाट सा हो गया था.. पति अनुज सप्ताह के छह दिन ऑफिस और एक छुट्टी में घर में पाँव पसार कर सोया रहता…. ऐसे में सौम्या करें तो क्या और अकेले बाहर उसे जाना पसंद नहीं था… हर बार नई जगह जाकर दोस्त बनाना उसने कभी नहीं चाहा….
आज रविवार की छुट्टी और अनुज घर में थे…. सुबह से बरसात का मौसम लग रहा था पर बरखा रानी बरसने को तैयार नहीं थी पर मौसम सुहाना देख सौम्या आज मचल उठी थी ।
‘‘सुनो जी बहुत दिन हो गए हम कबसे बाहर घूमने नहीं निकले हैं, मौसम भी सुहाना हो रखा है। चारों तरफ हरियाली देख मेरा मन तो घर में रहने का बिल्कुल भी नहीं।‘‘ कहती हुई सौम्या अपने पति अनुज से मनुहार करने लगी
‘‘ देख रहा हूं, बच्चों को हॉस्टल भेज कर तुम और जवान होती जा रही हो।‘‘ अनुज ने कहा
‘‘ क्या आप भी!‘‘ चेहरे को हाथों से छिपा कर शरमाते हुए सौम्या ने कहा
‘‘ सच कहूं जी, शादी के बाद हमने कुछ दिन ही तो अपने मन का किया फिर बच्चों में उलझकर रह गए….अब जब वो पास नहीं है तो लगता हम अपने उन दिनों के अंतराल को भर लें….अब बहानों में ना उलझाएं जल्दी से टी शर्ट जीन्स पहन कर आए और चले।‘‘ सौम्या ने आज बाहर जाने की जिद सी पकड़ ली थी
कुछ देर बाद दोनों एक लेक के पास जाकर बैठ गए। बहुत दिनों बाद आज साथ निकलें थे….सौम्या के चेहरे पर अलग ही खुशी दिख रही थी।
तभी अचानक हल्की बारिश होने लगी।
अनुज सौम्या को उठने का इशारा कर उठ गए। सौम्या चुपचाप वहीं बैठी रही। आँख मूंद कर वो बहुत दिनों बाद बारिश की बूंदों को महसूस करने लगी।
‘‘ अनुज आज आप भी मेरे साथ बारिश थी बूंदों को महसूस करो ना।हम पहले कितना घूमा करते थे, बच्चों के साथ हम अपनी ख्वाहिशों को दरकिनार करते चले गए। अब जब वो बड़े हो रहे हैं, तो हमारे पास अपने लिए वक्त मिलने लगा है तो क्यों नहीं इस पल को जी लें।‘‘ कहकर सौम्या अनुज को पास खींच कर बिठा ली।
अनुज आज फिर से अपनी नई नवेली सौम्या को देख रहे थे।
मिट्टी की सौंधी सी महक और दूर कही से आग पर सिकते भुट्टो की महक सौम्या बस बारिश के इस वक्त को खुद में जज्ब कर लेना चाहती थी।
‘‘ अनुज चलो ना भुट्टे खाते हैं, बारिश में चेहरे पर आती फुहारों के साथ भुट्टे का अपना अलग ही मजा है।‘‘ बारिश में सौम्या का अलग ही उत्साह दिख रहा था
‘‘ चलो भुट्टे लेकर कार में बैठते हैं, बारिश में भीग कर तबियत खराब नहीं करनी।‘‘ अनुज थोड़े सख्त स्वर में बोले
‘‘ अच्छा अच्छा ठीक है.. ।‘‘सौम्या का चेहरा उतर गया
हर वक्त उम्र उम्र करते रहते हैं… क्या मन के भाव उम्र देख कर उठते.. पता नहीं कैसे हो गए हैं.. इतना रोमांटिक मौसम और मेरे बैरी पिया …मन ही मन बुदबुदाती सौम्या भुट्टे खाने चल दी पर अब वो उमंग नहीं रह गया था।
अनुज भुट्टे लेकर आए और बाहर ही खड़े होकर खाने लगे।
‘‘ चलो कार में खाना है ना आपको, खड़े क्यों हो गए?‘‘ सौम्या सपाट लहजे में बोली
‘‘ हा हा हा तुम भी ना आज बिल्कुल बच्ची बनी हुई हूं, बच्चों के जैसे मुंह फुला लिया। अरे मैं तबियत न खराब हो जाए इसलिए बोल रहा था, मूड खराब करने नहीं।‘‘ सौम्या को अपनी समीप खड़ा कर प्यार से उसे निहारते हुए अनुज ने कहा
‘‘ यार आज भी गुस्से में तुम कमाल लगती हो, बारिश में भीगना पसंद है जानेमन तुम्हारा रूठना बिल्कुल नहीं। मैं आज भी वही रूमानी पिया हूं बैरी पिया नहीं।‘‘ कहकर अनुज सौम्या के चेहरे पर शर्म से उभर आई लालिमा को देखकर मुस्कुरा दिए
‘‘ अच्छा तो आप मेरी भुनभुनाहट सुन रहे थे।‘‘ सौम्या सवालिया निगाह से अनुज को देखकर पूछी
‘‘ और नहीं तो क्या.. आज इतने दिनों बाद तुम्हें खुश होता देख तुम्हें छेड़ रहा था।‘‘
‘अच्छा जी‘‘
तभी जोर से बिजली चमकी और बादल गरजने की आवाज आई, सौम्या डर कर अनुज से जा चिपकी।
मौसम का असर आज उम्र पर नहीं एक जोड़े पर हो रहा था जो बच्चों की वजह से अपने अरमानों को कहीं छोड़ कर बस बच्चों के संग रंग जाते।
मौसम कोई भी हो साथी से प्यार कभी उम्र का मोहताज नहीं होता, प्यार बढ़ता जाता पर बस बदली में छिप जाता है, उस प्यार को संजोकर रखना चाहिए, और जब भी वक्त मिले जिन्दगी को भरपूर जीना चाहिए।
#बरसात
रश्मि प्रकाश