पति :क्या डार्लिंग फिर से मूंग की दाल की खिचड़ी बना ली। तुम्हारे हाथों में तो जादू है, कुछ और भी बना लिया करो। अरे यह पैकेट में तुमने क्या छुपा के रखा है सोफे पर ।जरूर खाने का सामान पैक करा कर लाई हो।
पत्नी : हां लाई तो हूं ,खोलकर देखना चाहोगे?
पति : अरे जल्दी खोलो ,खिचड़ी के साथ कुछ और मिल जाए तो मजा ही आ जाएगा।
पत्नी: बिल्कुल लिबर्टी की है, बहुत मजबूत । तुम्हारे खाने की तो काम आने ही वाली है।
पति: क्या इसमें तुम सैंडल लेकर आई हो?
पत्नी: और नहीं तो क्या? तुम क्या समझे तुम्हारे लिए मुर्ग मुसल्लम लेकर आई हूं।
पति : तुम्हारा तो मूड ऐसे ही खराब रहता है ।पता है डार्लिंग रोज-रोज खिचड़ी खाने से अगले जन्म में मैं गधा बन जाऊंगा ।
पत्नी :अच्छा गधा बन जाओगे ।तुम को पिछले जन्म में खिचड़ी खाने से पहले सोचना चाहिए था।
पति : तुम यह सोचती हो कि मैं गधा हूं?
पत्नी : मैंने तो ऐसा नहीं कहा ।तुम ही कह रहे थे खिचड़ी खाई तभी गधा बन गया ।
पति: तुम भी ना डार्लिंग बात का बतंगड़ बना देती हो। जब से तुम्हें मंगलसूत्र पहनाया है ,लगता है मंगल मेरे पीछे ही लग गया है और घर का सारा सूत्र तुम्हारे हाथों में चला गया है।
पत्नी : ओहो सारा सूत्र मेरे हाथ में चला गया है। भूल गए अभी पिछले हफ्ते तुमने मेरी कितनी बेजती कराई थी।
पति: मैंने तुम्हारी बेजती कराई थी?
पत्नी : अरे याद नहीं है जब पिछले हफ्ते हम रमा के यहां खाना खाने गए थे!
पति: अरे यार इसमें मेरी क्या गलती है !तुमने कोविड टाइम में मुझसे इतने बर्तन धुलाए कि मुझे याद ही नहीं रहा मैं रमा के घर आया हू और सारे बर्तन धो डाले।
पत्नी : अरे ध्यान तो आपको खूब रहा।मेरी ऐसी किरकिरी कराई आपने। वहां सब मुझ पर हंस रहे थे। सब कह रहे थे भैया तो बड़े अच्छे हैं सारा काम घर का वही करते होंगे तभी तो बाहर आकर भी बर्तन झटपट धोकर काम खत्म कर रहे थे।
पति: तुम बार-बार वही बात मत करो । मुझे मेरी चप्पल ला दो।
पत्नी :क्या मुझे चप्पल से मरेंगे।
पति :अरे नहीं यार चप्पल पहनकर बाहर टहलने जाऊंगा।
पत्नी : यह क्यों नहीं कह रहे कि सिगरेट फूंकने जा रहे हैं।एक सिगरेट दस रुपए की आती है ।दिन में तीन सिगरेट पीते हो ।सोचिए महीने के कितने रुपए हो गए ।हर महीने एक नई साड़ी आ सकती है लेकिन नहीं ।
पति :अरे डार्लिंग मैं परेशान हो जाता हूं, थोड़ी टेंशन कम करने के लिए पी लेता हूं तो लगता है कि जिंदगी में कुछ अच्छा हो रहा है।
पत्नी : हां जिंदगी में यही तो अच्छा हो रहा है सिगरेट के कश लिए जा रहे है। अच्छा हो भगवान मुझे जल्दी से उठा ले ऐसा पति दे दिया तूने । चप्पल मांग रहे थे, मुझे मारने जा ही रहे थे,अब कह रहे है कि पहन के बाहर जानी है ,क्या करूं मैं मेरी कुछ समझ में नहीं आता ।मैं तो ना घर की ना बाहर की ।
पति: घर में तुम्हारा फिर से वही शुरू हो गया चलो कोई नहीं मैं जरा 10 मिनट में आ रहा हूं ।
पत्नी :10 मिनट, 25 मिनट पर आए थे कल। परसो 22 मिनट बाद आए थे। वह पड़ोस वाली से बात करने लगे होंगे। निकलती है वह भी टहलने।
पति : माता मत करो यह रोज-रोज ,ये मीनाक्षी जी के बारे में क्या कहती रहती हो?
पत्नी: मीनाक्षी जी ,मीनाक्षी जी के बारे में कोई कुछ ना कहें। जाइए जाइए आप टहलने जाइए, आपका इंतजार चौराहे पर ही तो करती है वह।
पति निकल जाता है
पत्नी mrs शर्मा को फोन करती है
पत्नी : मिसेज शर्मा देखिए अभी यह टहलने निकले हैं। नुक्कड़ पर जरूर मीनाक्षी इंतजार कर रही होगी। साथ ही टहलते हैं रोज मुझे देखकर जरा बता सकती हैं तो क्या दोनों साथ है?
Mrs शर्मा : अरे तुम रोज-रोज क्या मुझे फोन करके परेशान करती हो ।मैंने कहा तो भाई साहब रोज अकेले ही टहलते हैं। सामने वाली सिगरेट की दुकान पर सिगरेट खरीदते हैं वहीं खड़े खड़े एक दो दोस्त यारों से बात करते हैं और सीधे घर जाते हैं ।मैं तुझे कितनी बार बता चुकी हूं भाई साहब जैसा सज्जन आदमी मैंने कहीं नहीं देखा। हां सिगरेट पीने की गलत लत जरूर है लेकिन और कोई गलत हरकत वो करेंगे मैं तो सोच भी नहीं सकती।
पत्नी: अरे आप क्या जाने मैसेज शर्मा वो जो सीधे-साधे दिखने वाले लोग होते हैं ना यह बड़े खतरनाक होते हैं। जब भी क्रिकेट मैच आने वाला होता है कितनी भी कोशिश कर लो यह बंदा लड़ाई करेगा नहीं । उस दिन अगर मैं मूंग की खिचड़ी भी दे दूं तो चुपचाप खा लेते हैं ।जो काम कहो वह सब कर देते हैं ।सिर्फ क्रिकेट मैच के दौरान कोई इनको तंग ना करें। बताइए है कि नहीं गलत?
Mrs शर्मा: सच कह रही हो बहन ।यह पति लोग होते ही ऐसे हैं ।इन्हें लड़ना हो तो कोई भी बहाना ढूंढ लेते हैं और नहीं तो इन्हें छेड़ते रह जाओ लड़ते नहीं ।मेरे पति भी बिल्कुल तेरे पति जैसे ही हैं ।अगर लड़ना ना हो तो सब्जी में जहर नमक भी चुपचाप खा लेते हैं और लड़ना हो तो मीठी चाय भी फीकी ही लगने लगती है ।सच बैरी पिया बड़ा बेदर्दी होते हैं
पर क्या किया जा सकता है रहना भी तो हम को इनके साथ हैं ।अब हम अबला नारी हैं भागकर जाएं भी तो कहां जाएं….