बेरंग से रिश्तों में रंग भरने का समय आ गया है – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

राजीव को मुंबई में किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी मिल जाने से गायत्री उसकी मां बहुत खुश थी,बस उनका यही मलाल था कि शादी करके मुंबई जाता तो मै भी निश्चित हो जाती,कौन जाने मुंबई जैसी महानगरी में जाने पर तेरा दिल किसी हीरोइन पर आजाय,और में यहां बैठी तेरे शादी के सपने बुनती रह जाऊं। गायत्री जी ने उसके सिर पर प्यार से हलक सी चपत लगाते हुए कहा।

बैसे भी तेरी चॉइस सारी दुनिया से अलग है।जो काम या चीज कोई नही पसंद करता तुझे तो वही सब पसंद आता है।

मां तुम भी , क्या हर समय बस शादी का मुद्दा लेकर बैठ जाती हो,मैंने शादी से इंकार कब किया है ,लेकिन शादी मैं उसी से करूंगा जो मुझे पसंद आएगी,और हां उसमे आपकी मर्जी भी शामिल होगी।

हां,हां जानती हूं तू मेरी इसी कमज़ोरी का ही फायदा उठा ता है यानी मुझे इमोशनल ब्लैक मेल करके।

जानता है न कि मैं तुझसे कितना प्यार करती हूं,तेरे सिवा इस दुनिया में और कौन है मेरा।

जब सिर्फ पांच साल का था तू जब तेरे पापा जी हमें छोड़ कर इस दुनिया से दूर चले गए थे,काल के क्रूर हाथों से भला कौन बच सकता है।बस तेरा ही सहारा था,कि तुझे पढ़ा लिखा कर एक योग्य नागरिक बनाऊं।

रिश्तेदारों ने कितना जोर दिया था कि अभी उम्र ही क्या है तुम्हारी,दूसरी शादी कर लो,राजीव को पिता का साया व प्यार दोनो ही मिल जायेंगे।

मेरा मन ही नही हुआ अपनी जिंदगी में किसी को शामिल करने का, परंतु अब सोचती हूं तो दुख होता है कि मैने क्योंकर तुमको पिता के प्यार से बचित रखा।

अच्छा ,चल ये दही शक्कर खा,तेरी फ्लाइट का टाइम होरहा है,सब चैक करले ठीक से कहीं कुछ छूट तो नहीं गया।वहा पहुंच कर मुझे फोन जरूर से कर देना।

ओके मां, राजीव ने मां के चरण स्पर्श किया और निकल गया, फ्लाइट टाइम पर ही थी, एयरपोर्ट पर उसका दोस्त उसे रिसीव करने आया था।

राजीव के दोस्त सलिल ने बताया कि जिस सोसायटी में वह रहता है , उसी सोसायटी में एक फ्लैट खाली था,सो तेरे लिए बात कर ली है।

हां अभी तो तू मेरे घर चल एक दो दिन में घर के जरूरी सामान की व्यवस्था कर लेना फिर अपने फ्लैट में शिफ्ट हो जाना ।तेरे फ्लैट का नम्बर है पांच सौ तीन यानी फिफ्थ फ्लोर पर है तेरा फ्लैट और मेरा फ्लैट है एक-सौ तीन।बैसे तो तुम मेरे साथ भी रह सकते थे,लेकिन तूतो जानताहैकि मेरी पत्नी को घर किसी के साथ शेयर करना पसंद नहीं है वस इसीलिए तेरे लिए अलग फ्लैट की व्यवस्था कर दी है।

राजीव ने एक दो दिन में घर के जरूरी सामान की व्यवस्था कर ली थी और ऑफिस भी जॉइन कर लिया था।

हां एक बात बहुत अच्छी थी उसके फ्लैट के सामनबाले फ्लैट में एक फैमिली रहती थी ,जिसमे तकरीबन चार साल का एक छोटा बच्चा भी रहता था।जब भी उसके फ्लैट का दरवाजा खुला देखता बह बच्चा जिसका नाम रोहन था,उसके घर आजाता, उससे बातें करने में राजीव का भी समय अच्छा कट जाता।

एक दिन राजीव रोहन के लिए चॉकलेट लेकर आया जैसे ही वह उसके घर आया ,राजीव ने चॉकलेट उसे देदी।रोहन चॉकलेट पाकर बहुत खुश होगया तभी उसकी मम्मी आई और उसको खींच कर अपने घर ले गई।

राजीव ने नोटिस किया कि रोहन की मम्मी के चेहरे पर उदासी पसरी हुई थी।कारण तो वह जानता नहीं था,और पहली ही मुलाकात में कुछ पूछने था भी कोई सेंस नहीं बनता था।

एक दिन ऑफिस से आया तो सामने बाली सुधा आंटी का दरबाजा खुला हुआ था सुधा थी ने उसे देखा तो आबाज लगाई,राजीव बेटा,आओ,में अपने लिए चाय बनाने जारहीहूं तुम भी आज मेरे साथ चाय पियो।

राजीव विना किसी नानुकुर के सुधा जीके घर चला गया।

चाय पीते हुए राजीव ने पूछा कि आज रोहन व आपकी बेटी नहीं दिखाई दे रहे ?

नहीं रोहन अपनी मां सानबी के साथ उसके किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी में गया है, और हां सानबी मेरी बेटी नहीं बहू है, लेकिन अब तो वह मेरी बेटी जैसे ही है।

और आपका बेटा?वह क्या कहीं बाहर रहता है।

नही मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। जब रोहन सिर्फ दो साल का था,करोना में उसने हम लोगों का साथ छोड़ दिया।बस तभी से सानबी की दुनिया वेरंग हो गई,मैं तो समझा कर हार गई हूं कि अभी तेरी उम्र ही क्या है ,दूसरी शादी कर लो, परंतु सुनती ही नहीं है।

हां,अब नौकरी पर जाने लगी है तो कम से कम किसी से बातचीत करने का मौका तो रहता है। वरना तो घर में बस गुमसुम सी रहती थी।हो सके तो बेटा तुम ही समझाओ इसे,हो सकता है कि तुम्हारे कहने से मान जाय शादी के लिए।

अपने फ्लैट में बापस आने के बाद,में सुधा आंटी की कही बात के बारे में सोचने लगा।बेचारे रोहन का क्या कसूर है जो उसे अपने पापा के प्यार से वंचित रहना पड़ रहा है।मन ही मन निश्चय किया कि सानबी की बेरंग जिन्दगी में मैं रंग भरने की कोशिश करूंगा।

होली का त्यौहार आरहा था,राजीव ने मां को फोन किया मां प्लीज़ आप होली पर यहां मुंबई आरहीहैं।

इस बीच लिफ्ट में आते जाते राजीव की सानबी से एक दो बार हाय हैलो हुई।

राजीव ने एक दिन हिम्मत करके पूछा कि आप इतनी चुपचाप क्यों रहती हैं, यदि कोई बात है तोआप मुझसे शेयर कर सकती हैं। क्या हम दोस्त बन सकते हैं,सानबी ने पहली बार उसकी तरफ आंख उठाकर देखा,और अपनी नजरें झुका ली।

फिर एक इत्तेफाक और हुआ,सानबी अपने ऑफिस जाने के लिए औटो का इंतजार कर रही थी,लेकिन बारिश होने के कारह कोई ओटो नही मिल पा रहा था।राजीव ने सानबी को देखा, तो कहा , यदि आपको कोई एतराज़ नहीं है तो मैं आपको आपके ऑफिस छोड़ देता हूं ,मेरा ऑफिस भी उधर ही है।

सानबी विना कुछ बोले राजीव की कार में आकर बैठ गई।

विना किसी भूमिका के राजीव ने सानबी से कहा, देखिए घुमा फिरा कर बात करना मुझे पसंद नहीं है,मैं दरअसल आप से प्यार करने लगा हूं, इसलिए आपको अपना जीवन साथी बनाना चाहता हूं।

मैं नही चाहता कि मेरी तरह ही रोहन भी पापा के प्यार से वंचित रहे।

मेरी बात सुन कर थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली,ऐसाआप शायद मुझपर दया करके कह रहे हैं।

नही ,ऐसा कुछ भी नही है,दरअसल मैं रोहन जैसी परिस्थिति को झेल चुका हूं मेरे पापा भी मुझे जब मैं सिर्फ चार साल का था तभी, भगवान के पास चले गए थे।

बैसे भी एक रास्ता बंद हो जाने पर दूसरा रास्ता ढूंढ लेने से जीवन फिर से गतिमय हो सकता है।

बस इसीलिए आपकी #बेरंग जिन्दगी में फिर से रंग भरना चाहता हूं।

आपकी सासूमां भी यही चाहती है कि तुम फिर से शादी करले।

राजीव की मां आई तो अपने साथ ढेर सारी लड़कियों के फोटो साथ लाईं थी।आने के साथ ही गायत्री जीनेअपना फरमान राजीव को सुना दिया।

इस बार मैं कुछ नहीं सुनने बाली, तुझे कोई एक लड़की पसंद करके शादी करनी पड़ेगी।

हां मां आपकी बात मुझे मंजूर है ,पर आप पहले मेरी बात भी तो सुनो,मैंने अपना जीवनसाथी चुन लिया है। अच्छा, जल्दी बता कौन है वह? मैं भी तो देखूं ,मेरे बेटे की पसंद।

मां ,उसका नाम सानबी है,उसके पति की डेथ पांच साल पहले हो चुकी है और उसका एक बेटा भी है।

मेरी बात सुनते ही मां के चेहरे पर से खुशी के भाव गायब हो गए,और चेहरे पर कठोरता आगई। क्या यही सुनने को रह गया था।तेरे लिए तो एक से एक लड़कियों के रिश्ते आरहेहैं फिर तू एक विधवा से शादी करने का इच्छुक क्यों है।

अच्छा मां यह बताओ किसी विधवा से शादी करने में आख़िर बुराई क्या है। किसी को खुशी देने से हमें जो खुशी मिलती है,वह आपसे बेहतर कौन जानता है। रोहन को देखकर मुझे अपना वचपन, याद आता है। हालांकि मुझे पालने में आपने कोई कमी नहीं छोड़ी थी लेकिन जब भी में अपने दोस्तों के पापा को देखता था तो मेरे मन में एक टीस उठती थी।मैं नही चाहता कि रोहन व सानबी बेरंग जिन्दगी जीने को मजबूर हों।

सारी बातें। सुनने के बाद मां ने अपनी स्वीकृति दे दी,तू ठीक कह रहा है बेटा#सनबी की वेरंग जिन्दगी में रंग भर ने की जिम्मेदारी अब तेरी है,और इसमें मेरी पूरी स्वीकृति है।

सुधाजी व गायत्री जी ने मिलकर सारी बातें करली और मन्दिर में जाकर सानबी व राजीव की शादी करबादी।

शादी के बाद कुछ इष्ट , मित्रों की पार्टी रखी गई और रोहन तो बहुत खुश था,उसने सानबी से पूछा क्या मै अव राजीव अंकल को पापा कह सकता हूं,सानबी ने लजा कर नजरें नीची करली।

स्वरचित वमौलिक

माधुरी गुप्ता

नईदिल्ली

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