बहती गंगा में हाथ धोना – खुशी : Moral Stories in Hindi

अंजू  बहुत ही सुन्दर और  समझदार महिला थी। उसे अपनी समझदारी पर बड़ा ही गर्व था उसे लगता जो मुझे सही लगता हैं या जो मैं करती हूं वो सही है ।उसके पति भी अच्छी पोस्ट पर थे तो रुपए पैसे की भी कोई कमी न थी । एक बार अंजू की दूर की बुआ का लड़का उनके शहर पढ़ने आया वो अपने लिए हॉस्टल देख रहा था पर अंजू ने जिद कर उसे अपने घर में रख लिया ।अंजू के पति ने मना भी किया घर पर  जवान लड़की है मत रखो पर वो अंजू ही क्या जो सुन ले चलिए  रजत उनके घर रहने आ गया ।

अंजू उसकी अच्छे से देखभाल करती वो भी वहा रहते रहते समझ गया कि घर में अंजू की ही चलती हैं और वो अपने आगे किसी को कुछ समझती नही। रजत को भी शहर की हवा लग रही थी उसे पैसे की जरूरत होती पर घर की परिस्थिति ऐसी नही थी की वो पैसे मंगवाता फिर यहां सब मुफ्त मिल रहा था तो क्यों मां बाप पर बोझ डालना। रजत ने धीरे धीरे अंजू की बेटी मीता को अपने जाल में फसाना शुरू किया और अपने जरूरत के पैसे उससे मांगने लगा।

मीता भी अपनी मां से पैसे की डिमांड करती तो उसके पापा पूछते तुम्हारी पॉकेट मनी कहा खर्च हो रही हैं वो कहती पढ़ाई का खर्च बढ़ रहा है और वो अपने माता पिता से पैसे ऐंठ कर रजत को दे देती ।समय गुजर रहा था रजत की ऐश हो रही थी उसका कॉलेज भी पूरा होने वाला था वो सोचता एक लंबा हाथ मारू और यहां से भाग जाऊं ।और जल्द ही उसे मौका मिल गया अंजू और उसके पति को शादी में अंजू के मायके जाना था अंजू के पति ने कहा तुम चली जाओ मैं यही रहता हूं

बच्चें भी अकेले रहेंगे और रजत भी है दूसरे के भरोसे जवान बच्चो को छोड़ना ठीक नहीं।अंजू बोली  कैसी बाते करते हो वो मेरा भाई है ।उस पर शक करते हो ।रजत बोला में सबका ध्यान रखूंगा आप चिंता ना करे ।अंजू जाते हुए बावकूफो की तरह उसे अपनी चेकबुक साइन करके दे गई अपने पति को बिना बताए।मां बाप के जाते ही बेटा अपने दोस्तो के पास पार्टी करने चला गया और रजत ने मौके का फायदा उठा कर अंजू की बेटी का फायदा उठाया ।

को सबके सोने के बाद अंजू की अलमारी से गहने ,पैसे चुराए चेकबुक और अपना सामान लेकर वो चंपत हो गया अगले दिन उसने बैंक से पैसे निकाल लिए ।बैंक से अंजू के पति को फोन आया की आपकी चेक बुक से आपके अकाउंट से इतना पैसा निकले है ।उसके पति ने कहा मैने तो कोई चेक नही दिया अंजू के पति ने अंजू को आवाज लगाई और पूछा की तुमने किसी को चेक दिया था उसने कहा नहीं मैं तो घर पर चेक बुक साइन करके आई थी और रजत को बोल कर आई थी ।रजत का नाम सुनकर उसके पति बोले मैं तुम्हे हमेशा कहता था

की यह रजत मुझे सही नही लगता पर तुम खुद को बहुत समझदार और बाकियों को बेवकूफ समझती हो उसकी आवाज सुनकर घरवाले वहा आगाये सब ने पूछा क्या हुआ तो अंजू के पति ने सारी बातें बताई इस पर अंजू का भाई वरुण बोला उनसे तो कोई भी संबंध नही रखता उसके पिताजी भी ऐसे ही थे ।हमने उन्हे शादी में नही बुलाया और तुमने बिना किसी से पूछे उसे घर में रख लिया। तुम एक बार हमे तो बताती तुमने ३ साल से वो वहा ही किसी से नही बताया ।तुम कितनी बेवकूफ हो ।अंजू, उसके पति और उसका भाई तीनो तुरंत फ्लाइट लेकर

घर पोहोचे देखा तो सब लूट गया था।बेटी की इज्जत भी।वरुण बोला अब इस बात को ज्यादा मत बढ़ओ वरना बेटी की बदनामी होगी । वो बहती गंगा में हाथ धो कर चला गया।आप बैंक में फोन करके अपने अकाउंट फ्रीज करवा दो।अंजू रो रही थी जिसका अब कोई फायदा नही था।हमेशा अपनी अपनी नही चलानी।चाहिए दूसरो की भी सुननी चाहिए।

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स्वरचित

आपकी 

खुशी 

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