बेघर माँ – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बहुत दिनों बाद आज बाजार गई! रास्ते में रोड के किनारे एक बुजुर्ग औरत फटे पुराने कपड़े डिब्बे और न जाने क्या क्या जमा कर के रखती थी! आज वो जगह खाली थी! मुझे अनहोनी जैसा कुछ आभास हुआ! बाजार में भी मन नहीं लगा! लौटते समय बगल के ठेले वाले से पूछा !

वो बोला एक महीना से उपर हुआ सुबह में मरी पड़ी थी!। मन दुखी हो गया! तीन बेटों की मां थी! बेटों के बीच जायदाद को लेकर हुए विवाद में। मां बेघर हो गई! पर मां की ममता! किसी रिश्तेदार के घर जाने से खासकर भाई के बुलावे को भी ठुकरा दिया!

अपने हीं घर से बेघर हो कर विछिप्त हो गई थी! जब भी उस रास्ते से गुजरती कुछ बुदबुदाती कोई परेशान करता तो दौड़ जाती! मैने कई बार चाहा की कुछ खाने का सामान ले जा के दे दूं! पर बगल के दुकान वाले ने कहा न जाने कब भड़क उठेंगी ये! रात में लोग कुछ रख देते हैं! वही खा लेती है

सप्लाई का पानी आता है वहीं से पानी पी लेती है! कड़ाके की ठंड में भी यहीं पड़ी रहती है नगरपालिका वाले बहुत कोशिश करते है की खुले में ना रहे पर ये मानती हीं नहीं! कुछ दयालु लोग रात में अलाव जलाकर रखते हैं! कुछ लोग गरम कपड़ा भी रख जाते हैं..

पैसेवालों को कोई कुछ नही कहता! इनके बेटे बहुत पहुंच और पैसे वाले हैं! एक दो लोगों ने शुरू में समझाना चाहा! पर….

आज मुक्त हो गई अपनों के दिए दुःख से! मुझे नींद नहीं आ रही थी रात में! ऐसी हीं मिलती जुलती घटना याद आ गई! मैं पांचवें क्लास में थी! एक बुजुर्ग आते थे अगरबत्ती बेचने! एक दिन बहुत गर्मी थी और धूप भी बहुत तेज था! दोपहर के समय सब लोग घरों के अंदर थे! लगा कोई दरवाजा खटखटा रहा है

मैं गई तो देखा अगरबत्ती वाले बाबा पसीने से तरबतर खड़े थे लग रहा था बेहोश हो जायेंगे! मैने कुर्सी दी बैठने के लिए फिर फ्रिज से पानी निकाल उसमे ग्लूकॉन डी डाला और बाबा को पिलाया! थोड़ी देर में बाबा नॉर्मल हुए! मैने कहा इतनी गर्मी में आप क्यों निकले! बाबा मुस्कुरा के रह गए! मैने कहा फिर आना बाबा!

अब रोज का ये सिलसिला हो गया! बाबा रोज आते! मैं रोज उन्हें कभी रोटी तो कभी चने का सत्तू कुछ भी जरूर खिलाती पिलाती! मेरे स्कूल जाने से पहले आते शनिवार और रविवार के दिन डेढ़ से दो बजे के बीच आते! मम्मी को भी मैने कनविंश कर लिया था कि इनको खिलाना बहुत पुण्य का काम है. कभी ऑरेंज फ्लेवर वाला चॉकलेट तो कभी अगरबत्ती का चंदन की खुशबू वाला पॉकेट! और हर रोज खूब ढेर सारा आशीर्वाद!

मैं अपने दादाजी से मिलवाने के लिए बहुत बेचैन थी! संयोग से एक दिन दादाजी गांव से आए और अगरबत्ती वाले बाबा भी पहुंच गए! मैने दादाजी को संक्षेप में सब कुछ बताया!

हम उम्र थे दोनो बातें होने लगी!

बाबा ने बताया एक बेटा है मेरा! शादी के तेरह साल बाद कितने मन्नत और मंदिरों के चौखट पर माथा पटका हम दोनो पति पत्नी तब इसका जन्म हुआ!

बहुत प्यार से पालन पोषण किया! मेरा खुद का बनवाया हुआ तीन तल्ला मकान है! मैं चावल का अच्छा व्यापारी था! बेटा धीरे धीरे मेरा काम देखने लगा! मैं बहुत खुश था! मेरे होठ के पास बहुत पहले से एक छोटा सा सफेद दाग था! जो धीरे धीरे बढ़ने लगा!

हम पति पत्नी बेटे पर आंख बंद कर के विश्वाश करते थे! बेटे की शादी भी सुंदर लड़की और अच्छा घर देखकर कर दिया!

कुछ साल बाद घर और व्यापार सब बेटे के नाम कर हम दोनो तीर्थ यात्रा को चले गए! एक महीना बाद वापस आने पर सब कुछ बदल चुका था! बेटे बहु ने घर में घुसने नही दिया! ये सफेद दाग हमारे बच्चों को भी हो जाएगा! मैंने कितना समझाया ये छूत की बीमारी नहीं है पर उन्हें तो एक बहाना चाहिए था!

मैने परिचितों से कुछ पैसा लेकर नए सिरे से बुढ़ापे में फिर से गृहस्थी बसाई! जवानी में तो सब हंस के शौक से किया पर अभी तो आंसू निकल पड़े!

मेरी पत्नी मुंगोडी पापड़ बड़ी बनाती है और मैं दुकान में तो कभी घर घर जा के बेचता हूं! किसी तरह पेट भर रहे है! बेटा एक शहर में रहते हुए भी कभी कोई खोज खबर नही लेता! पोते पोतियों को देखने को हमलोग तरस जाते हैं..

मेरे शुभचिंतकों ने थाने जाने की सलाह दी.. मैं किसके खिलाफ जाऊं! जिसे कितनी मन्नतों से पाया! हमने संतोष कर लिया है #किस्मत# में यही लिखा के लाए हैं! पिछले जन्म के कर्मों का फल है.. बेटा फले फूले बस!

दादाजी और अगरबत्ती वाले बाबा दोनो की आंखे लाल थी! एक की सुन के एक की सुना के..

बाबा का आना जारी रहा! दो साल ऐसे हीं गुजर गया! बाबा हमारे घर का हिस्सा बन चुके थे! एक सप्ताह तक बाबा नही आए! मैं बेचैन हो गई! घर में भी सब परेशान! आठवें दिन बाबा आए! दाढ़ी बढ़ी हुई आठ दिन में हीं बहुत बूढ़े और कमजोर लग रहे थे! क्या हुआ बाबा ? बेसब्र थी बाबा की अनुपस्थिति का कारण जानने के लिए!

बाबा बोले मेरी पत्नी नही रही! मेरी बहुत बड़ी चिंता खत्म हो गई! मेरे बाद उसका क्या होगा? मैं ये सोच के बहुत परेशान रहता था!

मेरा ये फर्ज पूरा हुआ!

बाबा चले गए!

दो दिन बाद  बाबा भी दुनिया को अलविदा कह दिया!!

मेरे दोनो तरफ सोए हुए मेरे दोनो बच्चे! लड़ रहे थे मम्मी के पास मुझे सोना है! फिर फाइनल हुआ मम्मी बीच में दोनो तरफ हम दोनो! भाई बहन!

ऐसे हीं तो बच्चे माता पिता को अपनी दुनिया समझते हैं! और बड़े होने पर इस दुनिया को वीरान कर देते है या जीते जी आग में झुलसने को छोड़ देते हैं! कभी बच्चों के मासूम निष्पाप चेहरे को देखती हूं सोए हुए कितने प्यारे लग रहे हैं! कभी उस सच को जिसे बहुत करीब से देखा है! महसूस करने की कोशिश की है…

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

 

         Veena singh 

 

  # किस्मत #

 

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