“सुना है आजकल कहानियां लिखने लगी हो?”
मेरी सहेली रीनू ने मेरी तरफ देख कर कहा तो, किटी पार्टी में शामिल सारी लड़कियां (औरतें कहना पार्लर की बेइज्जती होगी) मेरी तरफ देखने लगीं।
कुछ ने मुझ पर एक नज़र डालने के बाद, नज़र फेर लीं। जैसे कि उन्हें डर हो कि मैं जबरदस्ती पकड़-पकड़ कर पढ़ाऊंगी अपनी कहानियां।
मगर फिर भी तीन-चार जोड़ी आंखें मेरी ओर थीं, जिनको देख कर मुझे थोड़ा अच्छा लगा। कहीं यह लोग यह न समझ बैठे कि मैं बहुत खुश हो रही हूं, अपनी तारीफ सुनकर, इसलिए मैंने बात को हवा में उड़ाने की कोशिश की।
“कहां सुना, रेडियो पर अनाउंस हुआ?”
“चलो-चलो बात को घुमाओ मत! मैंने भी देखा था फेसबुक पर तुम्हें कुछ प्राइज वगैरह भी मिला है।” एक बोली।
मैं थोड़ा शरमाई-
“अरे…. बस ऐसे हीं।”
“फिर तो बहुत बिजी रहती होगी!” दूसरी ने कहा।
पता नहीं ये तारीफ थी, शिकायत थी या टोन।
“कहां लिख पा रही हूं, टॉपिक पर! कुछ सूझता हीं नहीं!” मैंने अपनी पोजीशन क्लियर करनी चाही।
“टॉपिक?” एक ने पूछा।
“कहानी लिखने का विषय।” मैंने समझाया।
“हमें बताओ शायद हम कुछ हेल्प कर सके।” रीनू ने कहा तो सबने हामी भरी।
“टॉपिक है दर्द!” मैं खुश हो गई।
वैसे भी राइटर लोग मौका तलाशते रहते हैं, दूसरों की जिंदगी में झांकने का। यहां तो मुझे सामने से ऑफर किया जा रहा था।
सब अपनी-अपनी परेशानियां बताने लगीं। जो नजरें मेरे राइटर होने के बात से घूम गई थीं, वे भी अपनी परेशानियां लेकर वापस मेरी तरफ मुड़ गईं। इतनी सारी परेशानियों को सुनकर मेरा दिमाग घूम गया।
कोई-कोई दर्द सुनकर तो मुझे दर्द जैसी फीलिंग हीं नहीं हुई। जैसे कि किसी खास कलर की ड्रेस का न मिलना, डायमंड ज्वेलरी का न होना, बड़ी गाड़ी न होना। मगर यह सारी बातें, उन्हें तकलीफ तो दे हीं रही थी न!
सब के दर्द को सुनकर और मेरे हिसाब से दुनिया में जो दर्द है, उसे समझ कर, मुझे ऐसा लगा कि दर्द भी समाज के तीन श्रेणियों की तरह तीन श्रेणी के होते हैं। और हर एक श्रेणी का दर्द बेदर्द हीं होता है। दुनिया का हर व्यक्ति दर्द से दो-चार होता है।
अब एक फेमस कहानीकार न बन पाने का मेरा दर्द किस श्रेणी में आएगा कृपया मुझे गाइड करें!
दर्द जगत में है भरा, हर दिल में है दर्द।
दिखे नहीं जो पास है, मन पर छाया गर्द।।
#दर्द
अनंता