सुधीर गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी भीग भीग कर तबीयत खराब हो जाएगी ।इतनी रात में कोई मैकेनिक भी नहीं मिलेगा।
सुधीर : लता तुम ही बताओ क्या कर सकते हैं? एक तो ऐसा इलाका ,ऊपर से शिमला की ठंड ।
लता : इलाका ओ कम ऑन सुधीर! तुम भी क्या उन बेकार की कहानियों पर विश्वास करते हो ?वह बावड़ी की चुड़ैल! हांटेड हाउस !भूत प्रेत !सब बकवास है ,देखो उधर एक घर दिख रहा है ,चलो देखें शायद कोई मदद मिल जाए ।
सुधीर : नो वे ,मैं बिल्कुल भी ऐसे सुनसान घर में मदद मांगने नहीं जा रहा। तुम्हें पता है ना क्या हुआ था भैया के साथ जब इसी सड़क पर किसी ने लिफ्ट मांगी थी! तुम जानती हो न यहां पास ही बावड़ी है जहां चुड़ैल का साया बना रहता है!
लता: सुधीर मुझे नहीं पता भैया के साथ क्या हुआ था पर इस ठंड से मैं मरना नहीं चाहती ।प्लीज भगवान के लिए चलो ,मुझे यकीन है उस घर में कोई है !देखो बालकनी में कोई आया था, मुझे साफ-साफ दिखा।
सुधीर : कोई नहीं है लता ,मैं नहीं जाऊंगा ।
लता : तो मरो यहीं पर मैं चली ।
(लता घर का दरवाजा खटखटाती है ।घर के अंदर एक पति पत्नी है विनोद और आरती । वे आवाज सुनकर डर जाते हैं।)
विनोद : सुन रही हो कोई दरवाजे पर है पर कोई इतनी रात के इतनी तेज बरसात में क्यों आएगा?
आरती : चुपचाप सो जाइए, याद है ना पिछली बरसात में क्या हुआ था ।
विनोद : हां इसलिए तो डर लग रहा है पर वह तो …..
लता : खटखट ,अंदर कोई है? मैंने अभी आपको बालकनी में देखा था । प्लीज हमारी मदद करो ।हमारी कार खराब हो गई है ।कोई दरवाजा खोलो ।
आरती : आप बालकनी में गए थे क्या ?
विनोद : नहीं तो मैं तो यही सो रहा था ।फिर उस औरत को कैसे पता हम अंदर है ।
आरती : देखिए वह जाएगी नहीं यह तो हम जानते हैं। हां अगर उसे गुस्सा आ गया तो हमे श्राप अवश्य दे देगी। चलिए धीरे से दरवाजा खोलकर गंगाजल डाल देंगे बस वह भाग जाएगी ।
(आरती हाथ में गंगाजल लिए बाहर आती है लता के ऊपर फेक देती है ,साथ ही हनुमान चालीसा पढ़ने लगती है ।तब तक लता का पति सुधीर भी वहां आ गया था ।)
लता : अरे यह क्या कर रही हैं आप ?ठंड में पानी फेंक दिया! मुझे निमोनिया हो जाएगा ।प्लीज हमें अंदर आने दे।
आरती : बड़ी जिद्दी है जा नहीं रही .
विनोद : तो क्या लोबान जलाएं !बाबा जी ने जो दिया था .
आरती : हां अच्छा रहेगा ।जल्दी करो इससे पहले वह चुड़ैल कुछ बुरा करे उसे भगाओ ।
सुधीर : लता मुझे यह जगह ठीक नहीं लग रही। देखो ना कैसी महक आ रही है लोबान की ।कहते हैं भूत प्रेत जहां होते हैं वहां कई बार ऐसी सुगंध आती है।
लता : हां वह तो मुझे भी आ रही है ।अचानक से पर अभी किसी ने दरवाजा खोल मुझ पर पानी फेंका था।
सुधीर : भागो यहां पिशाचो का डेरा है ।हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाएंगे ।
आरती : सुन रहे हैं बात करने की आवाज है. वह तो अकेली थी फिर किससे बात कर रही है ?कैसे फुसफुसाने की आवाज आ रही है।
विनोद :पक्का यह प्रेत और प्रेतनी का जोड़ा है।
(तभी ऊपर की मंजिल से आरती और विनोद का बेटा आता है “कुशल”)
कुशल :मम्मी पापा क्या कर रहे हो आप लोग? इतनी तेज पानी में किसी की कार खराब हो गई है और वह मदद मांग रहे हैं !और आप दरवाजा नहीं खोल रहे !
आरती : पर बेटा कहीं वह भूत प्रेत हुए तो !
कुशल :ओ हो मम्मी आप भी ना जाने क्या क्या सोचती हो? इसलिए कहता हूं ज्यादा डरावनी कहानियां मत पढ़ा करो । मैंने बालकनी से देखा है वह दोनों बीमार पड़ जाएंगे ।
(कुशल जाकर दरवाजा खोलता है और ठंड से कांपते हुए सुधीर और लता अंदर आते हैं )
लता : थैंक्यू बेटा अगर तुम हमें इस ठंड में अंदर ना आने देते तो मुझे तो निमोनिया हो जाता।
सुधीर : पर वह महक कैसी थी ?
आरती : जी वों मैंने…..
विनोद : जी वह हमने लोबान …..
कुशल : जी वो पापा मम्मी समझ रहे थे कि आप बावड़ी के प्रेत प्रेतनी हो !
लता : मैं चुड़ैल ! हां देख लो कहीं मेरे पैर उल्टे तो नहीं!
कुशल ; क्या बताऊं आंटी बावड़ी की इतनी कहानियां है कि….
सुधीर :और हम सोच रहे थे कि कही इस घर में जिन्न पिशाच तो नहीं जो इस घर के अंदर जो ऐसी खुशबू आ रही है !
और सारे मिलकर हंसने लगते हैं
#बरसात