Moral Stories in Hindi :
“चट्टाक” की आवाज़ से सार घर गूंज गया था पर जिसके गालों पर ये थप्पड़ पड़े थे वो दीया अपने गाल सहलाते हुए भी अपनी माँ नित्या को चुप कराने की कोशिश कर रही थी।
“ सॉरी माँ मेरी वजह से मामी ने आपको कितना कुछ सुना दिया.. समझ सकती हूँ उनकी बातों ने आपको छलनी कर दिया है… पर शादी के घर से यूँ अचानक जाने का फ़ैसला?”दीया माँ के गले लग उसके साथ साथ खुद के आँसू भी पोंछ रही थी
“ तुम्हें क्या ज़रूरत पड़ी थी दीया कनु के कपड़े पहनने की.. हम लेकर आए ही थे ना जैसे भी थे वही पहनना था तुम्हें… मामी ने इतना कुछ बोल दिया पर मेरी माँ कुछ ना बोल सकी एक मायके में माँ का ही तो सहारा होता है जब वो भी साथ ना दे तो यहाँ व्यर्थ रूकना ।”नित्या अपनी बेटी को गले से लगा उसके गालों पर अपनी उँगलियों के छाप देख तड़प उठी
“ मम्मा मैं वही कपड़े पहनी थी पर कनु दी ने कहा ये ज़्यादा अच्छे नहीं लग रहे अरे मेरी शादी है मेरी इकलौती बुआ की बेटी के कपड़े भी खास होने चाहिए उपर से तुम ही मेरी इकलौती बहन हो .. और ज़बरदस्ती मुझे अपनी एक ड्रेस पहनने को दे दी…मुझे क्या पता था वो महँगी है और सस्ती…उपर से वो एक जगह से फटी हुई है.. तभी मामी कमरे में आ गई और सुनाने लगी ।” दीया रोते हुए बोली
“ नित्या जब तुम्हारी बेटी के पास कपड़े नहीं है तो माँग लेना था… यूँ कनु के कपड़े बिना पूछे लेकर पहनने का क्या मतलब है…और इतना ही शौक़ है महँगे कपड़ों का तो खुद खरीद कर पहनो…अब शादी में आई हो तो क्या ख़ाली हाथ ही आई हो…ये लोग भी ना औक़ात नहीं होती पर चाहिए सब कुछ बढ़िया….।” नित्या की भाभी बिना रूके शब्दों के बाण चला रही थी और नित्या का कलेजा छलनी हुए जा रहा था और ये सब सुन कर उसे बर्दाश्त ना हुआ और वो दीया को थप्पड़ मार दी
वो कहती रही कनु दी ने दिए थे पर कनु भी अपनी माँ का रौद्र रूप देख चुप रह गई।
नित्या अपमान का घूँट पीकर रह गई और एक कमरे में आकर रोने लगी उसकी विधवा माँ बेचारगी से बेटी और नातिन का रोना देख रही थी।
“ माँ हम जा रहे हैं ।” माँ कीं किसी भी प्रतिक्रिया के प्रत्युत्तर का इंतज़ार करने से पहले नित्या अपना और बेटी का सामान बाँध कर निकल गई…सबने बहुत रोकने की कोशिश की यहाँ तक की उसकी भाभी ने भी पर नित्या से वहाँ रहा ना गया जब अपनी भाभी होकर अभी दस लोगों के सामने इतना बोल उसे छलनी कर डाली तो आगे और भी रस्में बाकी है तब ना जाने क्या होगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश