बरसात की वो रात – संगीता अग्रवाल

” निखिल अब हम घर चलते है आप देवर जी का ध्यान रखियेगा सुबह ऑपरेशन से पहले मैं आ जाउंगी !” नीलम उठते हुए पति से बोली।

” नीलम इतनी रात को तुम दोनों वापिस कैसे जाओगी बारिश के कारण कुछ ज्यादा ही सन्नाटा है और दुबारा कभी भी बारिश आ सकती है !” निखिल चिंतित हो अपनी पत्नी से बोला।

” आप फिक्र मत कीजिए हम दोनों चली जाएंगी आगे कोई ऑटो मिल ही जाएगा ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है अभी। आप बस देवर जी का ध्यान रखना कोई जरूरत हो तो फोन करना !” नीलम बोली और अपनी बेटी अवनी के साथ चल दी।

असल में आज नीलम के देवर नितिन का बाइक से एक्सिडेंट हो गया था एक कार वाला टक्कर मार गया था। जिसमें उसके पैर की हड्डी चूर चूर हो गई थी वो तो लोगों ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया था और देवर के फोन से नीलम के पति निखिल को फोन कर दिया था और निखिल ने ऑफिस से हॉस्पिटल जाते में नीलम को बताया क्योंकि नीलम के परिवार में सिर्फ उसका पति बेटी और देवर ही थे

तो वो अपनी पंद्रह साल की बेटी के साथ हॉस्पिटल आई थी हॉस्पिटल घर से दूर थोड़ा सुनसान इलाके में था। देवर दर्द से तड़प रहा था तो निखिल उसे छोड़ने घर नहीं जा सकता था और हॉस्पिटल में सिर्फ एक को रुकने की इज्जत थी और निखिल का रुकना ही जरूरी थी क्योंकि देवर का कल ऑपरेशन होना था तो किसी भी चीज की जरूरत पड़ सकती थी।

” अवनी बेटा चल जल्दी से मेन रोड पर चलते हैं वहां कोई ऑटो मिल जाएगा !” नीलम हॉस्पिटल से निकल बोली।

” मम्मी कितना सुनसान है यहां कहने को दस ही बजे हैं पर ऐसा लग रहा बारह बजे का वक्त हो!” अवनी बोली।

” हां बेटा एक तो सर्दी की रात उसपर अभी बारिश होकर चुकी है इसलिए लोग घरों में दुबके हैं अपने इससे पहले की बारिश दुबारा शुरु हो हमें घर पहुंचना है कोई ऑटो वाला भी नज़र नही आ रहा !” नीलम शॉल लपेटती बोली जल्दबाज़ी मे वो फोन भी घर भूल आई थी।

दोनों तेज तेज कदमों से चले जा रही थी वहां इतना सन्नाटा था कि उन्हें अपने कदमों की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी।

” ऐ मैडम जरा सुनना!” तभी सन्नाटे को चीरती एक आवाज उन्हें सुनाई दी और दोनों रुक गई मुड कर देखने पर पता लगा कोई शराबी है ये जो लड़खड़ाता हुआ उनकी तरफ बढ़ रहा है। नीलम घबरा गई साथ मे जवान होती बेटी भी है ये एहसास ही डरा रहा था।

” बेटा और तेज चल !” रुकने की जगह नीलम बेटी का हाथ जोर से पकड़ कर बोली। उसकी छटी इंद्री ने उसे बता दिया था कि ये आदमी उसे या उसकी बेटी को नुक्सान पहुंचा सकता है आसपास कोई घर भी नहीं जो वो मदद मांगती।


” रुकती है के नही समझ नही आता तुझे जो मैने कहा !” वो शराबी गालियां बकने पर आ गया था ।

” उई …! अचानक गीली सड़क पर भागते हुए अवनी का पैर फिसल गया और वो गिर पड़ी ।

“लगी तो नहीं तुझे बेटा उठ चल जल्दी !” नीलम चिंतित हो कभी शराबी को देखती कभी अवनी को दूर दूर तक कोई नजर भी तो नहीं आ रहा था।

” तुझसे बोला ना रुक !” अचानक वो शराबी पास आ बोला और अवनी का हाथ पकड़ने लगा।

” मम्मी बचाओ !” अवनी चीखी इस तरह हाथ पकड़े जाने से बच्ची डर गई थी।

तभी जाने डरी हुई नीलम में कहां से हिम्मत आईं के उसने उस शराबी से अवनी का हाथ छुड़ा उसे जोर से धक्का दिया वो शराबी गिर गया नीलम ने अवनी का हाथ पकड़ा और भागने लगी।

वो शराबी फिर उठ कर गंदी गालियां देने लगा और उनकी तरफ आने लगा।

” मैडम बैठो जल्दी से !” अचानक कहीं से देवदूत बन एक ऑटो  वाला आया और बोला।

नीलम एक पल को सोचने लगी।

” बहन विश्वास रखो मुझ पर और बैठो जल्दी इससे पहले की वो पास आये !” ऑटोवाला दुबारा बोला।

” चल बेटा बैठ!” नीलम ने सहारा दे अवनी को बैठाया और खुद भी बैठ गई क्योकि उसके पास ओर कोई रास्ता भी नही था । पर मन ही मन वो डरी भी हुई थी।

” कहां जाएंगी आप बहन!” ऑटोवाला तेज़ी से ऑटो बढ़ाता बोला। शराबी की आवाजे अभी भी आ रही थी ।

” भैया शास्त्री नगर बी ब्लॉक ले चलो!” नीलम पीछे देखती हुई बोली।

” बहन सबक तो उसे अभी सीखा देता मैं पर आप परेशानी में पड़ सकती थी साथ में बच्ची भी है इसलिए निकाल लाया मैं!”  वो ऑटो वाला शीशे मे से नीलम को पीछे देखते देख बोला।

” भैया आप तो देवदूत हो मेरे लिए कबसे ये परेशान कर रहा है हॉस्पिटल से आ रही थी मैं कोई ऑटो ही नहीं दिख रहा था!” नीलम बोली।

” मैं दूसरे रास्ते जा रहा था पर उस आदमी को आपकी तरफ बढ़ते देख माजरा समझ गया और ऑटो यहां मोड़ दी!” ऑटो वाला बोला। तब तक बारिश फिर से शुरु हो गई थी । 


” बस भैया आपने बचा लिया आज… होश में हो कोई उसे तो सबक भी सिखाओ उसे पर पिये हुए बन्दे से उलझ भी तो नहीं सकते!” नीलम बोली वो मन ही मन सोच रही थी ऐसी बारिश मे अगर ये ऑटो वाला भी ना आता तो वो क्या करती। ये सोच ठंड मे भी कभी पसीने आ गये।

तभी नीलम का घर आ गया।

” बस भैया यही उतार दो!” नीलम एकदम से बोली।

” जी !” ऑटोवाले ने रिक्शा रोक दिया

नीलम ने पांच सौ के दो नोट निकाल कर उसे दिए

” नहीं बहन आपको बहन बोला तो ये पैसे रहने दीजिए मैं कमाई के लिए आपको यहां नहीं लाया।” वो बोला।

” मैं जानती हूं भैया और जो आज आपने किया उसकी कीमत चुकाने की मेरी औकात भी नहीं इन  पैसों से बच्चों के लिए कुछ ले  लेना उनकी बुआ की तरफ से!” नीलम बोली।

” ठीक है बहन ये मेरा नंबर लिख लीजिए मेरा नाम किशन है। कभी ऐसे किसी मौके पर जरूरत हो याद करना कोशिश करके आऊंगा जरूर!” ऑटोवाला अपना नंबर देते बोला।

” एक बार फिर से आभार आपका भैया !” नीलम ने हाथ जोड़ दिए।

” अरे नहीं बहन!”

” थैंक्यू अंकल आपका !” अवनी ऑटोवाले से बोली।

” जीती रहो बेटी !” अवनी के सिर पर हाथ रख वो ऑटोवाला चला गया।

नीलम उसके आगे नतमस्तक थी अगर आज वो नहीं आता तो क्या होता ये सोच उसकी रूह कांप रही थी। अगले दिन उसने निखिल को भी उस ऑटोवाले के बारे मे बताया तो निखिल ने फोन पर उसका शुक्रिया अदा किया।

दोस्तों दुनिया में उस शराबी जैसे बुरे लोग है तो किशन ऑटोवाले जैसे अच्छे लोग भी हैं तभी दुनिया का अस्तित्व है। नमन है मेरा ऐसे लोगों को जो बिन स्वार्थ दूसरों की मदद करते है।

#बरसात

कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी बताइएगा जरूर

आपकी दोस्त

संगीता

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