घर में लोगों का हुजूम उमड़ा पड़ा था जेठानी के मायके का पूरा परिवार इकट्ठा हो रखा था…सब आपस में बातें करने में मशगूल थे पर जिसका घर था वो आज उदास थी और रोये जा रही थी ।
राशि के आँसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। पति निकुंज और बच्चे सब चुप करा कर थक गये थे पर राशि वो तो बस बार बार यही बोले जा रही थी,“क्या कमी कर दिया रिश्ते निभाने में जो आज ये सिला मिला मुझे …जब से शादी कर के इस घर में प्रवेश किया …सबको अपना समझती रही…उनकी परेशानी मेरी परेशानी लगी…जिस राम लक्ष्मण की जोड़ी को मैं कभी अलग नहीं समझती थी आज बाहर वालों ने एक पल में एहसास करवा दिया कि हम दो अलग-अलग लोग हैं।”
बात ज्यादा नहीं बढ़े इसलिए निकुंज उससे चुप रहने की विनती कर रहा था…ऐसा नहीं था इस बात का दुःख उसको नहीं हुआ हो पर जानते थे राशि कहीं इस बात को ज्यादा तूल नहीं दे दे जिससे कही माँ और भैया भाभी को बुरा ना लग जाए … वो बस ये बोल कर उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ,“जो किया वो दूसरे लोगों की सोच है ना भैया भाभी तो ऐसा नहीं सोचते…प्लीज़ तुम चुप हो जाओ।”
राशि रोते हुए बोली “ निकुंज मैं तुम्हारे जितनी महान नहीं हूँ… और ना हो सकती हूँ…तुम हमेशा चाहते रहे हो तुम्हारे घर वालों को मैं अपना समझूं तो मैंने आज तक वो सब किया जो तुम चाहते थे पर आज जो भी हुआ है ना उसमें मुझे अपने से ज्यादा तुम्हारे लिए बुरा लग रहा है।”
हुआ यूं कि निकुंज की भतीजी की शादी तय हुई और लड़के वाले उसी शहर में रहते थे जहाँ निकुंज नौकरी करता था और सगाई वो लोग यही करना चाहते थे इसलिए निकुंज और राशि के उपर उसकी ज़िम्मेदारी आ गई थी .. राशि जितना हो सकता था उतना बढ़ चढ़ कर पूरी तैयारी कर रही थी…आखिर वो जब शादी कर के आयी थी तब जेठ जेठानी के बच्चे छोटे थे राशि उनपर खुब प्यार लुटाती…सासू माँ भी हमेशा बात बात पर बोलती रहती तुम्हारे बेटा-बेटी ….जब राशि के अपने बच्चे हुए तो भी उसका उनसे लगाव कम नहीं हुआ।
जब शादी की बात तय हुई तो राशि ने निकुंज को बोल दिया था कि मैंने सोच लिया है पीहु को क्या क्या दूंगी…हम बहुत अच्छे से उसकी शादी करवायेंगे….आखिर हमारे घर की ये पहली शादी है इसे यादगार बना देंगे।
निकुंज जानते थे राशि हमेशा बच्चों की ज़रूरतों को समझती रही है इसलिए वो भी बोले जैसी तुम्हारी मर्जी वैसे करना।
राशि निकुंज ने लोगों के रहने के लिए एक अलग फ़्लैट भी ले लिया और वहाँ सब कुछ व्यवस्थित करवा दिया ताकि किसी को कोई भी दिक़्क़त ना हो ।
दूसरे दिन फंक्शन की तैयारी में सब मशगूल हो गए…पीहू भी तैयार होने पार्लर गई वो उधर से ही हॉल पहुँचने वाली थी ।
शाम के फंक्शन में सबने खूब मस्ती किया।सब बहुत अच्छे से सम्पन्न हो गया।जेठ जेठानी ने जो बेटी के लिए करना था किया ही पर राशि निकुंज ने भी कोई कमी नहीं किया दोनों एक पैर पर खड़े हो सब कर रहे थे ।
घर आकर सब फंक्शन की ही बातें करने लगे, किसी ने बोला पीहू के ससुराल से भी बहुत कुछ आया है देखे तो सही क्या क्या है?
राशि की सास से सुनकर बोली ,“कल देखना अब , रात बहुत हो गई है सब सो जाओ।”
सुबह सब चाय नाश्ते के बाद कमरे में इकट्ठे हुए ,तो जेठानी राशि से बोली,“ तुम ही दिखा दो सबको।”
राशि एक सूटकेस खोलकर पीहू के ससुराल वालों ने जो दिया वो दिखाने लगी।एक से एक डिजाइनर ड्रेसेज थी सबने पीहू की टांग खिंचाई की क्या बात है पीहू तुम्हारे ससुराल वालों ने तो बहुत कुछ दिया है कपड़े गहने सब बहुत सुन्दर है।
तभी किसी ने बोला एक और सूटकेस है उसको भी तो खोल के दिखाओ।
राशि सूटकेस टेबल पर रखी जिसपर पर लिखा था -मम्मी पापा ।
उसके अंदर पीहू की दादी के साथ साथ उसके मम्मी पापा और भाई के भी लिए कपड़े तोहफ़े रखे थे ।
सब बोलने लगे चाचा चाची और उनके बच्चों के लिए कुछ नहीं आया है क्या?
ये बात उस वक्त ही राशि को चुभ सी गई थी पर वो खुद को काबू में रखने की कोशिश कर रही थी। उसके मन में ये बात आई कि इस परिवार में सास , जेठ जेठानी उनके दो बच्चे और हम चार ही लोग तो है अपना कहने वाले … फिर हमें ऐसे कैसे अलग कर दिया।
तभी जेठानी बोली एक बैग और है, उसको भी खोल लो।
राशि बेमन से उसको टेबल पर रखी जिसपर लिखा था अदर फैमिली मेम्बर्स।
राशि ने बैग की चेन आहिस्ता से बेमन से खोला तो उधर चाचा चाची और उनके बच्चों के साथ साथ नानी नाना मामा मामी मौसा मौसी के लिया तोहफे थे।
राशि सोचने लगी हम तो इनको अपना समझते रहे पर बाहर वालों नेअदर फैमिली मेम्बर्स में हमें शामिल कर दिया।हम चार लोग उनको अपने से नहीं दिखे?
जबकि बहुत कुछ हम ही कर रहे थे,ये क्या हो गया एक पल को लगा बच्चों की छोटी मम्मी पल भर में चाची बन गई। चाची शब्द ही पराये पन का एहसास करवा रहा था।
राशि सब कुछ यथास्थान रख अपने कमरे में जा कर रोने लगी।
निकुंज को जब उसने बताया तो उन्हें भी एक पल को बुरा जरूर लगा पर राशि को समझाते हुए बोला,“अपने भाई-भाभी है उन्होंने तो ऐसा नहीं किया ना दूसरों की सोच के लिए खुद को क्यों दुखी कर रही हो?
‘‘ निकुंज आप इसको हलके में ले सकते हैं पर मुझे तो ऐसा लग रहा जैसे वो कपड़े मुझे चिढ़ा रहे, और बनो उनकी माँ जैसी….तुम चाची हो कोई अपनी नहीं। मैं इस बारे में भैया भाभी से बात करूंगी निकुंज …मुझे ये बात हजम नहीं हो रही है….उनको बताना होगा हम एक हैं अलग नहीं…मां भी तो हमेशा जताती रहती तुम्हारी बेटी है फिर ये परायों सा व्यवहार मुझे चुभ रहा है ।”
“राशि अभी कुछ मत बोलो इतने मेहमान है क्या सोचेंगे तुम ऐसे कमरे में खुद को बंद कर के रहोगी तो।” निकुंज राशि का रोना देख समझ गए थे वज्रपात तो हुआ है पर इसमें किस का दोष है ये समझ नहीं पा रहे थे ।
जब सारे मेहमान चले गये तो राशि ने ये बात सासु मां और जेठ जेठानी के सामने रखी और बोली ,“मुझे ये बात अच्छी नहीं लगी….पूरे घर को पता हमारा रिश्ता कैसा है? क्या कभी मैंने एहसास करवाया कि पीहू मेरी बेटी नहीं है?”
“ राशि सच मानो मुझे भी पता नहीं था वो लोग ऐसे अलग से करेंगे…मुझे भी बहुत बुरा लग रहा है क्योंकि तुम जब दिखा रही थी तभी मुझे लगा तुम्हें बुरा लगा….हम लोग तो ऐसा नहीं सोचते हैं ना।”जेठानी आंखों में आए आँसू पोंछती हुई बोली
तभी सासु मां ने कहा ‘‘बेटा उनलोगो को जो समझ आया वैसे कर दिए पर हम लोग जानते हैं हम सब एक बंद मुट्ठी है…हमें दूसरे क्या सोचते ये सोच कर अपना रिश्ता तो खराब नहीं करना है ना….हमारा छोटा सा परिवार है, ऐसा प्यार हमारे किसी भी रिश्तेदारों में नहीं है…सब बोलते हैं दोनों भाई के बीच ऐसा प्यार है लगता ही नहीं कभी कोई अलग कर सकता…बहु तुम भी जबसे आई हो परिवार को मिला कर चल रही हो…अब ये नया रिश्ता जुड़ रहा हम लड़की वाले हैं कैसे उनसे कुछ कह सकते हैं…. देखना वक्त आयेगा तो वो भी समझ जाएंगे हमारा रिश्ता कैसा है….तुम दिल दुखी मत करो।‘‘
पर राशि चाह कर भी उस बात को भूल नहीं पा रही थी, पीहू की मामी बोलती ये दोनों बच्चे (जेठ जेठानी)अपनी मम्मी से ज्यादा हर बात छोटी मम्मी को बताते हैं….उनलोगो के सामने आज अदर फैमिली मेम्बर्स के साथ हमें जोड़ कर उनलोगो ने मेरे प्यार अपनेपन को छोटा कर दिया..माना गलती जेठ जेठानी की नहीं है पर जब आप किसी के साथ नए रिश्ते की शुरुआत करने जा रहे तो एक बार उनको ये बताना जरूरी है कि आप हमें एक ही परिवार मान कर व्यवहार करें …एक सा करे…हम एक हैं ।”
हमारा रिश्ता बंद मुट्ठी जैसा जरूर है पर जब एक बार उंगलियां खुल गई तो बहुत कुछ बाहर निकल जाता…रिश्ते की नींव अगर किसी की बातों से टूट जाये तो वो रिश्ता बहुत कमजोर हो जाता आप जिन्हें अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा मानते रहे हो अचानक कोई ऐसी बात हो जाए तो कहीं ना कहीं कुछ चटक सा जाता है ।
राशि के मन को ये बात इतनी बुरी लगी कि वो सबके लाख समझाने के बाद भी समझ नहीं पाई कहाँ कसर बाकी रहा ….जेठ जेठानी की बेटी की शादी है वो क्यों हमारे लिए सोचेंगे….अभी तो शादी बाकी है नया रिश्ता शायद ज्यादा अजीज होगा आखिरकार बेटी के ससुराल का मामला है।राशि के दिल में जो फांस चुभी वो कोई नहीं समझ सकता अब उसे रिश्ते खोखले नजर आ रहे थे… क्योंकि अब उसे एहसास हो गया था कि वो जो कुछ कर रही अपनी बेटी के लिए नहीं वरन अपने जेठ जेठानी की बेटी के लिए ।
दोस्तों बहुत बार हम जिन्हें अपना समझ सब करने को तत्पर रहते हैं और करते भी हैं पर सामने वाले की मंशा का अंदाज़ा लगते दिल टूट जाता है आपको क्या लगता है राशि गलत सोच रही थी?
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
मौलिक रचना
#खोखले रिश्ते