बलात्कार – प्रीती सक्सेना

बलात्कार शब्द सुनते ही हमारे

दिमाग में तुरंत एक ऐसी लड़की या महिला की तस्वीर सामने आ जाती है, जिसकी मर्जी के बिना उसकी इज्जत लूटी गई हो, उसके साथ जबरदस्ती की गई हो, पर क्या बलात्कार देह के साथ ही होता है , नहीं मन के साथ भी हो सकता है, होता है और आगे भी होता रहेगा।

   करीब 23 साल पहले एक पार्टी में मुझे एक महिला मिली, हम एक ही जाति के थे, हम उम्र भी, उस समय मै सफल ब्यूटीशियन, सफल मां और पत्नी की हैसियत से चमकती हुई ऊर्जावान महिला थी, वो मुझसे काफी प्रभावित लगी , पता लगा वो मेरे घर के आसपास ही रहती है, फ्रेंड्स

उसके साथ ज्यादा बातचीत नहीं कर रहीं थीं, मुझसे भी बोली, ये खिसके दिमाग की है इसे ज्याद भाव न दो, पर मेरी आदत है, ऐसे लोगों का साथ मैं हमेशा देती हूं,।

पूरी पार्टी में मैने उन्हें अपने साथ ही रखा, उसके बाद वो अक्सर मेरे घर आने लगीं पार्लर में बैठी मुझे काम करते देखती रहतीं, पता नहीं मुझे ऐसा लगता था, इनके मन में बहुत कुछ है जो ये बोल नहीं पा रही, एक दिन हम दोनो के बच्चे स्कूल में थे और पतिदेव टूर पर।

न जानें उस दिन उनके मन का गुबार सारा फट पड़ा, उन्होंने बताया मैं पढ़ी लिखी महिला हूं सुंदर आकर्षक हूं फिर भी मेरे पति मेरी इज्जत करना तो दूर, मुझसे सीधे मुंह बात भी नहीं करते, सास ससुर ननद का जबरदस्त हस्तक्षेप है जबकि वो दूसरे शहर में है, कोई निर्णय लेने का उन्हें कोई हक नहीं, वो कुछ भी पहनती तो हंसी उड़ाना ताने कसना उन सबका रोज का काम था


। एक दिन मैं उनके घर गई देखा बहुत साफ सुथरा घर, व्यवस्थित गृहस्थी, मैं काफी प्रभावित हुई उनसे, थोड़ा बहुत तो सभी के घरों में दिक्कतें होती हैं, पर यहां कुछ अलग ही था जो मुझे समझ ही नही आ रहा था।

एक दिन मैंने उन्हें फैमिली सहित डिनर पर बुलाया, जब दोनो को साथ देखा तो दिखा पति काफी दबे रंग के पत्नी लंबी गोरी सुंदर पर आत्म विश्वास की कमी के कारण बुरी तरह कुचली हुई,

हमारे सामने ही उनके पति उनकी हर बात काटते, बोलने भी नहीं देते, बहुत अजीब सा लगा हमें। पर व्यक्तिगत बातों में हम दखल दे भी नहीं सकते थे , मैं उनके लिऐ ज्यादा कुछ तो नहीं कर पाई पर उन्हें अक्सर पार्लर में बुलाती , उनके शौक पूछती क्या क्या जानती हैं पूछती,

धीरे धीरे परिवर्तन आया, उन्होने कुकिंग आइसक्रीम क्लासेस से ट्रेनिंग ली, छोटे से घर में अपने किचन से शुरुआत की।

धीमी गति से उनका काम चला, काफी दूर घर खरीदा, चली गई , पर आज भी हम बहुत करीब हैं, न पति बदले न सास ससुर ननद पर अब वो

अपने सम्मान की रक्षा करना सीख चुकी हैं।

बलात्कार चाहे तन का हो चाहे मन का, टूटती तो औरत ही है, उम्र के इस दौर में भी रोज उसका मानसिक बलात्कार होता है और न जाने कब तक होगा।

प्रीती सक्सेना

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