बहुरानी – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

जब से भाभी मेरे घर में दुल्हन बन कर आई तभी से बाबूजी 

अम्मा भाभी को दुलहीन कह के पुकारती थी, उस समय मेरी उम्र पंद्रह साल की थी… मैं सोचती थी मेरी सासू मां मुझे बहुरानी कह के पुकारे तो कितना अच्छा लगेगा.. दुल्हिन तो देहाती जैसा लगता है…अम्मा लकड़ी के चूल्हे के पास पीढ़ा पर बैठकर पकौड़ी बज्का छानती तो आवाज लगाती मीनू दुलहीन को भी बुला लो और गरम गरम खा कर बताओ नमक मिर्च ठीक है.. मैं और भाभी साथ साथ खाते… अम्मा कुछ भी बनाती तो मुझे और भाभी को एक साथ देती खाने को.. उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव रहता.. कहती पराए घर से आई लड़की को अपनी बेटी सा प्यार दुलार दूंगी तो शायद मेरी बेटी को भी…. पर हाय री किस्मत..

      वक्त गुजरता गया… मेरी शादी हो गई… संजय मेरे पति सीए हैं…. दूसरे शहर में पोस्टेड हैं… ससुराल में सास ससुर देवर ननद और विधवा बुआ सास हैं.. एक ननद और एक जेठ की शादी हो चुकी है.. ननद ससुराल और जेठ अपने परिवार के साथ जयपुर में रहते हैं.. मैं पीएचडी कर रही थी तभी मेरी शादी हो गई…

     मायके से मिले संस्कार और सास बहू के रिश्ते की मिठास सा भरा अनुभव लेकर ससुराल आ गई..

           रस्में निभाते निभाते रात के बारह बज गए.. सासू मां और बड़ी ननद का धीमा संवाद अचानक कानों में पड़ा अम्मा इसको संजय से दूर हीं रखना नही तो ज्यादा नजदीकियां बढ़ जाएगी तो सब पराए हो जायेंगे और इसे लेकर लखनऊ चला जायेगा..सुबह चार बजे का अलार्म लगाया पर नींद थोड़ी देर से खुली सासु मां की कर्कश स्वर रानी उठ जा मायके में नहीं हो शुद्ध बलिया जिला में बोली जाने वाली भोजपुरी में… पापा ने सोचा था

संजय लखनऊ में पोस्टेड हैं शादी के बाद ले जायेंगे.. पर..पूरा परिवार गांव में रहता था ससुर जी के सेवानिवृति के बाद… और तानों के साथ सासू मां ने सुबह की शुरआत की… कुछ रस्मों के बाद चौठारी की रस्म हुई फिर गांव की महिलाएं मुंह दिखाई के लिए आई.…फिर रसोई छूने की रसम हुई.. दाल की पूड़ी खीर और आलुदम… इतना बनाते बनाते लगा मैं बेहोश हो जाऊंगी.. सबके खाते पीते ग्यारह बज गए..

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किसी तरह एक पूड़ी में से थोड़ा सा खा कर पानी पी लिए.. थकावट से भूख खतम हो चुकी थी.. फिर शादी में आई बुआ चाची सास मौसी सास दादी सास सास कुल मिलाकर पंद्रह महिलाओं को सरसो तेल से जून के महीने में मालिश की.. मन भिन्ना उठा.. सरसो तेल पसीना और गर्मी तीनो की बदबू से जैसे सर फट रहा था.. संजय कई बार इशारे से बुला चुके थे.. उन्हे कल हीं लौटना था क्योंकि अगले दिन उन्हे ऑडिट के लिए कहीं जाना था.. कमरे में जाते जाते थक के चूर हो गई थी… संजय सो चुके थे.. रजनी गंधा के बुके मुरझा चुके थे

और जुड़े में लगाने के लिए संजय के लाए गजरे मुरझा कर उदास पड़े थे संजय के हाथों में… #बहुरानी #का पहला दिन और पहली रात कुछ ऐसे गुजरी… संजय की ट्रेन 4बजे सुबह थी… चुपचाप चले गए.. एक कागज की पुर्जी पर लिख कर तकिए के नीचे रख दिए थे न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरजू थी एक हसीन यादगार पहली मुलाकात की… आंखे छलक आई… और फिर सुबह से कोल्हू के बैल की तरह फिर से जुट गई.. सासू मां जब व्यंग से कर्कश स्वर में बहुरानी बुलाती तो लगता गरम गरम सीसा कानों में जैसे…

देवर ननद कॉलेज जाते थे शहर से बस आती थी… उनका लंच पैक करना नाश्ता कराना, घर की सफाई खाना बनाना कपड़े धोना उफ्फ उस पर बहुरानी बोलने का सासू मां का बेहद खराब अंदाज…. जैसे नौकरानी बुला रही हैं… रात में खाना बनाने के बाद तेल मालिश का सिलसिला… कभी कभी सासू मां मेरे पास सोने आ जाती कूलर चल रहा है मैं भी सो जाती हूं.. सरसो तेल और पसीने की बदबू से पूरा कमरा.. रही सही कसर उनके खराटे पूरी कर देते….

पीएचडी पूरा करने का सपना अब सपना बन कर रह गया.. संजय आते तो उनसे रात में हीं मिल पाती.. अपने साथ ले चलने की बात पर बोले किरण और राजेश की शादी के बाद हीं सोचेंगे… पैसे बचा रहा हूं इन दोनों की शादी और उपर का कमरा बनाने के लिए.. तुम्हारे जाने से खर्च भी बढ़ जायेगा.. दिल टूट गया…

अब संजय के साथ रिश्ते में गर्मजोशी नही रह गई थी.. और फिर जाड़ा का दिन आ गया… धान कटनी के लिए जाने वाले मजदूरों का खाना भी मुझे हीं बनाना पड़ता… इतना रोटी खाते थे मजदूर सब थक जाती बनाते बनाते… और फिर सासू मां धान उसनने की ड्यूटी चार बजे सुबह में लकड़ी के चूल्हे पर बड़े बड़े पतीले में लगा दीं… चावल और चूड़ा कुटाता… ओखल मूसल से…. जब भी आटा खतम होता सासू मां ठकुराइन के साथ मुझे जांता चला कर आटा पीसने भेज देती… आटा चक्की रहने के बावजूद भी…

                   वक्त के साथ दो बच्चों की मां बन गई… देवर आईटीआई कर के रेलवे में टेक्नीशियन बन गए और अपनी पत्नी को लेकर चले गए.. ननद की भी शादी हो गई है.. संजय बच्चों की पढ़ाई के कारण मुझे लखनऊ ले गए… साथ में सास ससुर भी हैं… पता नही वक्त ने कब #बहुरानी #नौकरानी बना दिया.. अब बच्चों की जिम्मेदारी भी जुड़ गई है मेरे कामों के फेहरिस्त में… सासू मां को गठिया का दर्द है, रोज दो बार मूव और रात में लहसुन तेल की मालिश कर तभी सोने जा पाती हूं… मेरा दर्द मेरी तकलीफें सब अनदेखी करते हैं… क्या कहूं किससे कहूं… मैं तो बहुरानी हूं ना… जिंदगी के यज्ञ में #बहुरानी #सारे सपने हवन सामग्री की तरह होम हो चुके हैं…

   #स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

 

Veena singh

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