Moral Stories in Hindi : आज ऑफिस से आकर नितिन ने पत्नी नीरा से कहा कि मुझे एक सप्ताह के लिए मुंबई जाना है
टूर पर , अतः मेरे कपड़े सूटकेस में पैक करदेना।
नीरा के बच्चे भी ८दिन के लिए स्कूल से समर कैम्प में गए हुए थे। नीरा ने जव तपन के भी टूर पर जाने की बात सुनी,तो मन ही मन खुश हुई,सोचने लगी अब पूरे सप्ताह मम्मी के यहां जाकर आराम करूंगी। मायका लोकल ही था,सो नीरा का जब भी दिल करता मायके पहुंच जाती।वहां जाकर खुद तो सोफे पर बैठ कर दिन भर अपने मनपसंद सीरियल टीवी पर देखती रहती और अपनी भाभी से फरमाइश करके तरह तरह के पकवान बनवा कर खाती रहती।
कभी जब उसको इस तरह बैठ कर सारा दिन टीवी देखने व पकवान बनवाकर खाने के लिए नीरा की मां कुछ टोकती कि तुमको भी अपनी भाभी का रसोई में जाकर हाथ बटाना चाहिए, बहू थक जाती होगी ,बहू भी तो बेटी होती है। हां हां अब तो वही तुम्हारी बेटी हो गई है।
मेरे हिस्से का प्यार भी तो अब आप भाभी पर लुटा रही हो तभी तो चाहे जब उसको मायके जाने की इजाजत दे देती है।क्यों क्या तुम नहीं जब चाहे अपने मायके आजाती तो फिर तेरी भाभी अपने मायके क्यों नहीं जा सकती।अरे मां आप तो हमेशा अपनी बहू का ही पपक्ष लेती रहती हो।मै भी भी तो अपने ससुराल में सारा दिन सास ससुर के लिए खाना बनाती हूं।ऊपर से पति व बच्चों का भी सब कुछ मुझे ही देखना पड़ता है।
नीरा की मां ने नीरा को कई बार समझाने की कोशिश की कि तेरी भाभी भी तेरी फरमाइश पूरी करते करते थक जाती है,मैं तो जोड़ों के दर्द के कारण उसकी कोई मदद कर नहीं पाती,परंतु उसके चेहरे के भाव से मुझ काो पता लग जाता है कि वह थकी होने पर भी तेरी पसंद की चीजें बना कर तुझे खिलाती रहती है।
मां, अब आप ही बताओ भाभी के पास काम ही क्या है पूरे दिन आराम ही तो करती रहती हैं।भैया तो सुबह टिफिन लेकर आॉफिस निकल जाते हैं,फिर आप और भाभी दोनों का काम ही कितना होता है,जो आप भाभी के थकने की बात कह रही हो।
लेकिन जब इस दफा नीरा ने रात को फोन करके अपनी मां को बताया कि बह एक सप्ताह के लिए रहने आ रही है,तो उनका माथा ठनका।लोकल मायका है तो इसका मतलब यह तो नहीं कि जब चाहे मुंह उठा कर मायके में आजाओ और अपनी भाभी पर हुक्म चलाओ।फिर नीरा को अपने सास, ससुर के बारे में भी सोचना चाहिए कि उसके यहां आजाने से उन लोगों को खाने पीने की कितनी परेशानी होती होगी आखिर तो उसकी सास की उम्र भी तो मेरे बरावर ही है।
दूसरे दिन सुबह उठते ही मालती जी ने अपनी बहू मिताली से कहा,मिताली बेटा कल तुम अपने मायके चली जाना,फिर जव तक मैं तुमको बुला न भेजूं आना मत,पर क्यों मम्मी जी आप की तबियत भी ढीली रहती है।घर के काम काज कितने सारे होते हैं आप परेशान हो जायगी।
तुम मेरी परेशानी की परवाह जरा भी मत करो,कल से नीरा यहां आरही है,एक सप्ताह के लिए, क्योंकि जमाई जी टूर पर गऐ हैं और उसके बच्चे कैम्प में गऐ हैं,वह मेरी देखभाल कर लिया करेगी।
परंतु मम्मी जी मैं तो अपने मायकेअभी कुछ दिन पहले ही होकर आई हूं।इतनी जल्दी मायके जाना, मुझे
कुछ अजीब सा लग रहा है।अब तुमको अजीब लगे या कुछ और मायके तो जाना ही पड़ेगा,ये मेरा
ऑडर ही समझ लो।
मिताली मायके चली जाती है,फिर उसकी नन्द नीरा आती है । आते ही हमेशा की तरह आवाज लगाती है,भाभी,कहां हो, मेरे स्वागत के लिए बाहर भी नहीं आई।चलो कोई बात नही, मुझे बहुत जोरों कीभूख लगी है। गर्मा गर्म अदरक बाली चाय और मेरे मनपसंद पकौड़े वना कर खिलादो झटपट।
जब काफ़ी देर तक कोई जवाब नहीं मिला तो उसकी मां मालती ने कहा,बेटा-बहू तो अपने मायके गई है एक सप्ताह के लिए।चाय तो तुमको खुद ही बनानी पड़ेगी ,और हां मेरे लिए भी एक कप बना देना।रही पकौड़े की बात से रसोईघर में बेसन तेल सब कुछ रखा है। रसोई में जाओ और जो मर्जी बनाओ,तेरा ही घर है,बैसे भी मैने तेरे हाथ की चाय कितने दिनों से नही पी है।
नीरा मन मसोस कर रसोई में गई और दो कप चाय बनाकर लेआई।मां से बोली,मां आपने भाभी को कुछ ज्यादा ही नहीं सिर पर चढ़ा कर रखा है,अभी कुछ दिनों पहले ही तो मायके गई थी।हां वो सब तो ठीक है
परंतु काम करते करते थक भी तो जाती होगी बिचारी।आखिर बहू भी तो बेटी की तरह होती है न।
लेकिन मां मेरा तो मूड ही खराब होगया,खुद ही चाय बना कर पीनी थी तो अपना घर ही क्या बुरा है।मैं तो यहां एक सप्ताह आराम करने के मूड में आई थी। भाभी के हाथ के बने पकवान खाने के ख्याल से।
अच्छा सुन ,चाय पीकर रात के खाने की तैयारी भी कर लेना,तेरे भाई को ऑफिस से आते ही भूख लग जाती है।
नीरा भुनभुनाती हुई रसोई में गई और रात के खाने की तैयारी करने लगी।साथ ही अपने कपड़े सहेजते
लगी ,मालती जी ने पूछा क्या हुआ नीरा अपने कपडे क्यों समेट रही है,तू तो एक सप्ताह रहने को आई थी।फिर इतनी जल्दी क्या है जाने की,जब तेरी भाभी आजाय अपने मायके से तो मिल कर चली जाना।
नहीं मां अब मै यहां नही रूकने बाली,आप अपनी बहू जो आपकी बेटी की तरह है उसके साथ खुश रहो।
नीरा के वापिस जाने के बाद मालती ने अपने बेटे को फोन किया ऑफिस से वापिस आते समय मेरी बहू को घर लेते आना।इस बेटी के बिना घर सूना हो गया है। बहू ने वापिस आते ही मालती जीके चरणों को पकड़ लिया।अब समझ में आया लोग तो सिर्फ कहते ही हैं कि बहू बेटी की तरह होती है लेकिन आपने तो इस बात को सिद्ध करदिया है कि आप सचमुच मुझे बेटी की तरह ही प्यार करती हैं।तभी तो दीदी के आने पर मैं उनकी फरमाइश पूरी करते करते थक न जाऊ ,मुझ ज़बरदस्ती मेरे मायके भेज दिया। थैंक्यू मम्मी जी मुझे बेटी मानने के लिए।
स्व रचित व मौलिक
माधुरी