हेमा जी दोनों हाथों में चाय का कप लिए… सोमेश जी के बगल में जाकर बैठ गईं… वे सुबह-सुबह अखबार हाथ में लेकर व्यस्त थे… हेमा जी ने एक कप उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा…” निधि के ससुराल से फोन आया था… वहां तो जाना ही पड़ेगा… क्या करेंगे…!”
सोमेश जी ने अखबार मोड़ कर एक तरफ रख दिया… चाय का कप उठाते हुए बोले…” फैसला तो आप ही करती हैं… क्या करना है आप ही कहेंगी…!”
” वहां जाना तो जरूरी है… इतने दिनों तक जो बात छुपा कर रखी है… डर है कहीं सबके सामने खुल ना जाए… बेटी की हंसी होगी वह तो होगी ही… अपनी बेइज्जती भी साथ में…!”
सोमेश जी चुपचाप चाय पीते रहे… हेमा जी ने फिर कहा…” नंदिनी को ही संभालना होगा… हो गया कुछ घंटे की तो बात है… जैसे इतने दिन संभालते आई है… फिर संभाल लेगी…!” तभी कमरे से बेटू के रोने की आवाज सुनकर… हेमा जी हड़बड़ा कर उठीं… “लगता है बेटू जाग गई…!”
थोड़ी देर में नंदिनी स्कूल से वापस आ गई… थकी नंदिनी के चेहरे पर… उसके उम्र से अधिक गंभीरता आ गई थी… अभी 26 की तो हुई थी…एक तरफ नौकरी… घर में सास, ससुर ,छोटी बेटी, सब की जिम्मेदारी… उसने अपने आप को पूरा ही झोंक दिया था…
चेहरा लटकाए नंदिनी ने कमरे में कदम रखा… तो सोमेश जी ने बड़े प्यार से पूछा… “क्या हुआ बेटा… तबीयत तो ठीक है ना…!”
” हां पापा जी सब बढ़िया है… मुझे क्या होगा…!” बोलते हुए फीकी मुस्कान के साथ… नंदिनी अपने कमरे में चली गई…
सोमेश जी का मन उसकी ऐसी बेरस बातों से छलनी हो जाता था…” फूल सी बच्ची का क्या हाल हो गया इस घर में…!’
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हेमा जी ने नंदिनी को सब समझा दिया…” देखो बेटा घर की इज्जत का सवाल है… निधि के भी और हमारे भी… जैसे इतने दिन संभालते आई हो… एक शाम की तो बात है… वहां भी संभाल लेना…!”
नंदिनी अपनी भोली आंखों से सास हेमा जी की तरफ थोड़ी देर अपलक देखती रही… फिर…” ठीक है.…!” बोलकर अपने काम में लग गई…
हेमा जी का दिल कचोट गया… कितना तो कर रही है बेचारी.… आखिर इस सब में इसकी क्या गलती है…” यह नहीं पूछोगी नितिन आएगा कि नहीं…!” हेमा जी ने प्यार से उसके सर पर हाथ रखते हुए पूछा.…
नंदिनी कुछ नहीं बोली…” मैंने उसे भी फोन कर दिया है… वह आ जाएगा… शाम को सीधे वहीं पहुंचेगा.… सगाई का तो फंक्शन है… थोड़ी देर तुम दोनों साथ में रह लेना… फिर शादी के समय देखा जाएगा…!”
नियत समय पर… नंदिनी अपने सास ससुर और 2 साल की बेटी के साथ… ननद के ससुराल उसके देवर की सगाई में पहुंच गई…काफी बड़ा फंक्शन था… बहुत सारे लोग आए हुए थे… नंदिनी ने अपने चेहरे को… मेकअप की परतों में… कुछ इस तरह करीने से लपेट रखा था… कि उसके भीतर की मायूसी किसी को नहीं दिख रही थी… वह खुशी-खुशी निधि का हाथ बटाने में… उसके साथ मेहमानों के स्वागत में… लगी हुई थी…
हेमा जी के बार-बार फोन करने पर भी… नितिन नहीं आया… कई बहाने बनाकर शादी में जरूर आएगा… इस वादे के साथ… हेमा जी अपने परिवार के साथ इज्जत बचाकर… घर वापस आ गईं…
इस बार उनका नितिन के साथ… बड़ा झगड़ा हुआ… घर में और तो कोई भी नितिन से बात करता नहीं था… वही थीं जो अभी भी आशा की एक डोर थामे… बेटे का दामन पकड़े थीं… बेटा भी महीने का घर खर्च… उनके खाते में हर महीने भेज देता था…
एक साल से उसने कहीं और घर बना लिया था… चक्कर तो उसका शुरू से ही था… पर मां पिता की पसंद से नंदिनी घर आ गई… कुछ दिनों तक तो उसने रिश्ते का मान रखा… इस दौरान बेटू भी नंदिनी की गोद में आ गई… लेकिन उसके बाद नितिन का पुराना प्यार फिर जाग उठा… वह घर से दूर रहने लगा… फिर एक दिन उसने फैसला सुना दिया कि… वह अब इस घर में नंदिनी के साथ नहीं रह सकता… सोमेश जी ने भी उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया… तो वह खुशी-खुशी बाहर निकल गया… लेकिन हेमा जी को अभी भी उम्मीद थी… वह एक दिन जरूर लौट आएगा…
नंदिनी ने अपने को व्यस्त रखने के लिए… स्कूल में काम करना शुरू कर दिया… तब से किसी को पता ना चले… इसके लिए हेमा जी… जी जान से हमेशा जुगत लगाने में लगी रहती थीं…
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कुछ ही दिनों बाद निधि के देवर की शादी की तारीख तय हो गई… इस बार उसने बड़े मनुहार से मां से कहा…” मां भाभी को कुछ दिन पहले ही भेज देना ना… भैया भाभी यहां रहेंगे… तो हम लोगों की भी मदद हो जाएगी…!”
निधि अपने घर के हालात कुछ तो जानती थी… पर उसे भी अपनी मां की तरह भैया पर भरोसा था… कि वह कुछ दिनों में वापस आ जाएंगे…
हेमा जी ने नितिन से बात की तो वह झल्ला उठा… “मां तुम्हें समझ में नहीं आता क्या… अब मैं नंदिनी के साथ कहीं नहीं जा सकता… जया को पसंद नहीं… अब वही मेरी पत्नी है… अगर तुम्हें निधि के घर उसके भैया भाभी को भेजना है… तो मैं और जया ही जाएंगे… नंदिनी नहीं… इसलिए मैं सगाई में भी नहीं आ पाया…!”हेमा जी अवाक रह गईं…
” अब किस भुलावे में हैं हेमा जी…!” सोमेश जी ने पीछे से कहा…” क्या सोच रही हैं… अभी भी घर की इज्जत बचानी है…या अपनी बहू को न्याय दिलाना है…!”
हेमा जी चकनाचूर हुए आत्मविश्वास के साथ… सोफे में धंस गईं… अब उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या करें… तभी नंदिनी की स्कूटी की आवाज सुनकर नन्हीं बेटू दौड़ते हुए दरवाजे की और लपकी…” मम्मा आ गई… आ गई…!”
हेमा जी जैसे मायाजाल से निकल गईं… उन्होंने उठकर निधि को फोन लगाया… और साफ शब्दों में कहा…” देखो बेटा…अब घर के हालात काबू में लाने की कोशिश छोड़ दो… अगर तुम्हें भैया भाभी को बुलाना है तो नितिन को फोन करो… जया के साथ उसे बुला लो…
मैं अब और अपनी नंदिनी को उसके नाम के साथ नहीं जोड़ सकती… वह मेरी बेटी है… इस पहचान के साथ अगर उसे वहां बुलाओगी… तो हम सब आएंगे… वरना अपने भैया भाभी को बुला लो… अब मेरे घर की इज्जत भी इसी में है कि मैं अपने सच को स्वीकार कर लूं… और तुम भी स्वीकार कर लो… मैं कल ही वकील से मिलकर नंदिनी और नितिन के तलाक की प्रक्रिया शुरू करवाती हूं… उसे भी खुलकर जीने का अधिकार है…!”
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नंदिनी घर के दरवाजे पर बेटू को गोद में लिए सब सुन रही थी… आज सोमेश जी ने उसकी आंखों में… कितने जमाने के बाद असली खुशी देखी… आज उसका चेहरा फिर से फूल की तरह खिल उठा… हेमा जी ने बढ़कर नंदिनी को गले से लगा लिया… और बेटू को चूमते हुए बोलीं…
” अब मेरे घर की इज्जत तुम दोनों हो… तुम जो चाहेगी… अब वही होगा…तुम्हें झूठे नकाब की जरूरत नहीं…खुलकर जियो… बिना किसी दिखावे के… घर की इज्जत के नाम पर तुम्हें अब और फरेब में जीने की कोई जरूरत नहीं… हम जल्दी तुम्हारे पसंद से किसी अच्छे घर में तुम्हारा रिश्ता करेंगे… जहां तुम चाहो…!”
नंदिनी की आंखों में वही पुरानी चंचलता मचल उठी… जिसे देखकर सोमेश जी का हृदय भीतर से आह्लादित हो गया…” वाह हेमा जी आज जो आपने फैसला लिया है… सचमुच वह सही है… घर की इज्जत की खातिर… इस बच्ची की जिंदगी और खुशियों के साथ हम और खिलवाड़ नहीं कर सकते… हमारे बेटे के कर्मों की सजा भला यह क्यों भोगे… वैसे भी बहू को बेटी मान कर… आपने हमारे घर की इज्जत कई गुना बढ़ा दी… हमें दूसरों के सर्टिफिकेट की कोई जरूरत नहीं…
रश्मि झा मिश्रा
घर की इज्जत