मम्मी…. खुशखबरी है आपके लिए, आप फिर से दादी बनने वाली हैं, डॉक्टर ने इस बार किरण को कंप्लीट आराम करने के लिए कहा है, मम्मी आप कल की ट्रेन से ही आ जाइए। लेकिन बेटा…. यहां तेरे पापा भी ऑफिस जाते हैं, मेरे बिना उनका क्या होगा..,? अरे मम्मी.. छोड़ो सब, आपकी जरूरत यहां ज्यादा है,
पापा तो कैसे भी मैनेज कर लेंगे, बस फिलहाल 3 महीने के लिए आप आ जाइए क्योंकि डॉक्टर ने 3 महीने ज्यादा ध्यान रखने के लिए कहा है और कोई बहाना नहीं चलेगा,! तब सुरेश जी ने उर्मिला जी से कहा… कोई बात नहीं, तुम सूरज और किरण के पास बेंगलुरु चली जाओ मैं यहां जैसे तैसे मैनेज कर लूंगा, इस वक्त उन्हें तुम्हारी ज्यादा जरूरत है!
लेकिन आप कैसे मैनेज करेंगे? मेरा तो जी घबरा रहा है सोच सोच कर, आप भी चल चलते, तो मुझे यहां की टेंशन नहीं होती! हां मैं चलचलता, 3 महीने बहुत लंबा समय है मैं ऑफिस इतनी छुट्टियां नहीं ले सकता! ठीक है जैसी आपकी मर्जी, और अगले दिन ही उर्मिला जी बेंगलुरु अपने बेटे के पास पहुंच गई! उन्होंने जाते ही घर का और अपनी पोती रूही का काम संभाल लिया,
उर्मिला जी किरण को पूरा-पूरा सहयोग देती थी उसे कोई भी काम नहीं करने देती बहुत अच्छी तरह से घर और बाहर की जिम्मेदारी उर्मिला जी ने निभा ली थी, क्योंकि जयपुर में भी सारा काम खुद ही करती थी तो उन्हें वहां भी कोई खास दिक्कत नहीं आई! एक दिन उर्मिला जी अपनी बहू के लिए गरम रोटियां सेंक रही थी, रूही स्कूल गई हुई थी,
तभी किरण को वॉशरूम की इच्छा हुई और जैसे ही बाथरूम जाने के लिए बेड पर से उठी, उसका पर किसी चीज से टकरा गया और वह जैसे ही गिरने को हुई उर्मिला जी ने उसे भाग कर पकड़ लिया और किरण को कोई भी चोट नहीं आई। किंतु इतने में ही बेटा ऑफिस से आ गया और उसने यह देख लिया और अपनी मां के ऊपर चिल्लाने लगा.. मम्मी… आपको मैं यहां पर अपने आराम के लिए नहीं लाया बल्कि किरण की और रूही की देखभाल के लिए लाया था
इस कहानी को भी पढ़ें:
किंतु आप यहां दिनभर खुद आराम करती हैं मजे से टीवी देखते हैं और थोड़ा बहुत घर का काम करती हैं, मुझे आपसे यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी! सूरज के इतना कहते ही उर्मिला जी का मन बहुत दुखी हुआ और वह अपने कमरे में जाने को हुई, उन्होंने सोच लिया अब मैं यहां बिल्कुल नहीं रुकूंगी बेटे की ऐसी कड़वी बातों से उनका मन बहुत आहत हुआ और उनकी आंखों में आंसू आ गए, जब उनके बेटे को ही उनकी कदर नहीं है तो यहां रहने से भी क्या फायदा ?
उन्होंने क्या नहीं किया अपनी बहू के लिए, उनकी इतनी बस की ना होते हुए भी वह सारा दिन काम करती हैं, बेटे को उनका आराम करना तो दिख गया किंतु उनका दिन भर काम करके देना वह नजर नहीं आया! जैसे ही उर्मिला जी जाने को हुई उनकी बहू ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला… नहीं मां आप कहीं नहीं जाएंगी,
सूरज तो खुद सुबह से शाम तक ऑफिस में रहते हैं, और जिस समय मुझे आपकी सबसे ज्यादा जरूरत थी आपने उस वक्त मेरा साथ दिया! मेरी मम्मी ने भी यह कहकर कि पापा को उनकी ज्यादा जरूरत है आने से मना कर दिया, आपने और पापा जी ने कितनी मुश्किलों से अपने आप को मैनेज किया होगा,
आप यहां दिनभर खुशी-खुशी मेरा और रूही का सारा काम देखते हैं और अगर मैं फिसल गई तो इसमें आपकी क्या गलती? आप तो मेरे लिए ही रोटियां बना रही थी, वह तो मेरा ही पैर टकरा गया और मैं गिरते गिरते बच गई और सूरज तुम्हें अपनी मां की सेवा नजर नहीं आई? कैसी बेटे हो तुम? तुम्हें आज अपनी मां से ज्यादा अपनी पत्नी प्यारी लग रही है,
“कभी-कभी दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है” और तुमने आज यही किया है! किरण की बात सुनकर सूरज बहुत शर्मिंदा हुआ और अपनी मां से माफी मांगते हुए बोला… सॉरी मां… मैंने आधा अधूरा सच देखकर उसे गलत समझ लिया, इसमें आपकी तो कहीं कोई गलती ही नहीं थी और सॉरी किरण तुम सही कह रही हो मैं तुम्हारे प्रति कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गया था,
मैं तुम्हारे और आने वाले बेबी को लेकर डर गया था और अपनी मां को मैंने नजरअंदाज कर दिया, ऐसा कहकर अपनी मां के सामने रोने लगा! तब् उर्मिला जी ने कहा.. कोई बात नहीं बेटा कई बार नजरों का धोखा ऐसा ही होता है किंतु आज मुझे अपनी बहू पर बहुत गर्व है बहू की समझदारी से आज रिश्ता बच गया,
जिसने मुझे भी शर्मिंदा होने से बचा लिया, वरना यह चाहती तो कह सकती थी की मम्मी जी ने मेरा ध्यान नहीं रखा, किंतु इसने मुझे अपनी मां से भी ज्यादा अपनी मां माना है, अब तो बेटा तुम चाहोगे तब भी मैं यहां से नहीं जाऊंगी और उनके ऐसा कहते ही सभी जोर-जोर से हंसने लगे और गम का वातावरण हल्का हो गया!
हेमलता गुप्ता स्वरचित .
दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है