ये क्या बहू !! तू बिना सिर पर पल्लू रखें, घर के बाहर चली गई, बहू घर की इज्जत होती है, ये तेरा शहर नहीं है, जहां कुछ भी चलता है, ये गांव है और आस-पास सारे रिश्तेदार रहते हैं, पुराने पड़ौसी है, वो बिना पल्लू के देखेंगे तो क्या सोचेंगे कि सुमित्रा ने अपनी बहू को इतना भी नहीं सिखाया, घुंघट रखने को नहीं कहती पर सिर पर पल्लू तो रख सकती थी, सुमित्रा जी अनवरत बोले जा रही थी।
निधि थोड़ी सी उखड़ी थी पर फिर उसने अपने आपको नियंत्रित किया और अपना काम करने लगी, अभी वो दो शब्द और बोलती तो बात आगे बढ़ जाती और वो शुभ काम में आई थी तो बेकार ही घर में झगड़ा हो जाता, शाम को उसकी ननद एकता की सगाई थी, बस इसीलिए वो अपने पति राकेश के साथ दो दिन पहले शहर से आ गई थी, ज्यादातर तैयारी जैसे कपड़े और लेन-देन का सामान वो वहां से ले आई थी, बस गहने लेने सुनार के पास गई थी, क्योंकि इन्हीं सुनार पर विश्वास था और ये ही सालों से इस खानदान के लिए गहने बना रहे थे।
गहने लेने राकेश के साथ गई थी, वहीं आते-जाते में सिर पर पल्लू रखा था, पर शायद सरक गया और किसी परिचित ने देखकर घर पर आकर सुमित्रा जी से शिकायत कर दी।
शाम तक की सारी तैयारी हो गई थी, सुमित्रा जी अपनी बेटी की सगाई से बहुत खुश थी, अच्छा घर-वर मिला था, सभी लोग सगाई समारोह के लिए इकट्ठे हो गए थे, एकता और रितेश की अच्छे से सगाई हो गई, बाद में नाचना, गाना, बजाना भी हो गया, काफी देर तक धूम धड़ाका चलता रहा, अचानक घर की अन्य लड़कियां चिल्लाने लगी, क्योंकि रितेश के कुछ दोस्तो ने शराब पी रखी थी और वो सब छेड़छाड़ पर उतर आये थे।
उनकी छेड़छाड़ जब हद से बढ़ने लगी तो सबने एतराज किया, पर वो लड़के वाले थे तो उन्होंने कहा कि इतने बड़े समारोह में ये सब तो चलता है, और रितेश ने अपने दोस्तों का पक्ष लिया, जब निधि और राकेश उन्हें समझाने गये तो पता चला कि रितेश ने भी शराब पी रखी है, और जब एकता उसे समझाने गई तो उसने एकता को भी धक्का देकर गिरा दिया, सुमित्रा जी अंदर थी, उन्होंने ये बात जाकर सुमित्रा जी को बताई।
हां, बहू तो क्या हुआ? मर्द है, जरा सी शराब खुशी में पी ली होगी, इसके लिए इतना बवाल मचाने की क्या जरूरत है ?कैसे भी करके एकता की सगाई हो जाएं, फिर एक महीने में शादी कर दूं, मेरे सिर से बोझ उतर जाएगा।
मांजी, आप ये कैसी बातें कर रही है? आप अपनी बेटी की शादी एक शराबी से कैसे कर सकती है? उसकी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी, फिर उसका व्यवहार भी अजीब लग रहा है, रितेश अपने दोस्तों की गलत हरकतों में साथ दे रहा है, आप ये सगाई तोड़ दीजिए, निधि ने कहा।
सगाई तोड़ दूं? तेरा दिमाग तो सही है बहू? घर की इज्जत का क्या होगा? लोग बातें बनायेंगे, एकता की दोबारा शादी होना मुश्किल हो जायेगी, अब ये एकता का नसीब है, उसे जो वर मिलना था, मिल गया, मै ये सगाई तोड़कर घर की इज्जत मिट्टी में नहीं मिला सकती हूं, सुमित्रा जी भावशून्य होकर बोली।
मांजी, एकता आपकी अपनी ही बेटी है, आप इतना निष्ठुर कैसे हो सकती है? आप अपनी बेटी का भविष्य जानते बूझते किसी शराबी के हाथों में कैसे सौंप सकती है ?निधि ने फिर से उन्हें आगाह किया।
तभी एकता आ जाती है, मम्मी भाभी सही कह रही है, मै रितेश के साथ अपना जीवन नहीं बिता पाऊंगी, ये तो मेरा भाग्य है कि मुझे विवाह के पहले ही पता लग गया कि रितेश शराब पीता हैं, ना केवल शराब पीता हैं, बल्कि उसका आचरण भी सही नहीं है, उसके जिस तरह के दोस्त सगाई में आये है, उससे तो साफ पता चल रहा है कि उसका किस तरह के लोगों के साथ में उठना -बैठना है, उसने सबके सामने मुझे धक्का देकर मेरी इज्जत धूल में मिला दी।
मम्मी, भाभी सिर पर पल्लू नहीं रख पाती तो उससे घर की इज्जत कहीं नहीं जाती है, क्योंकि भाभी का आचरण तो सही है, आपके और हमारे साथ भी व्यवहार सही है, लेकिन घर का जंवाई गलत आदतों वाला हो, शराबी हो, अनैतिक आचरण वाला हो तो उससे भी जरूर घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाती है, सारी इज्जत का ठेका बहू के सिर पर ही नहीं मढ़
देना चाहिए, घर से जुड़ा हर सदस्य घर की इज्जत बनाएं रखने के लिए जिम्मेदार होता है, चाहे वो घर का जंवाई क्यों नहीं हो।
जो इंसान आपकी बेटी की इज्जत ना करें, मै उसे अपने पति रूप में कभी भी स्वीकार नहीं करूंगी।
एकता दनदनाते हुए बाहर गई और उसने रितेश के साथ सगाई तोड़ दी।
तुम लड़की हो, तुम ये बात लगता है भुल गई हो, सगाई तोड़ दोगी तो तुमसे कौन शादी करेगा? तुम्हारी तो अब कोई इज्जत ही नहीं रही, रितेश की मम्मी ने अहंकार से कहा।
आंटी जी, आपके बेटे ने आज जो किया है, उससे आपके घर की इज्जत मिट्टी हुई है, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, शराब इसने पी, दोस्तों की गलत हरकतों में इसने साथ दिया, अपनी होने वाली पत्नी को सबके सामने धक्का दे दिया, आपको अपने बेटे की हरकतों पर शर्म आनी चाहिए, मै ऐसे इंसान से शादी नहीं करूंगी, आप सब यहां से जा सकते हैं।
मेरी शादी भी हो जायेगी, जब मुझे कोई संस्कारी और मेरी इज्जत करने वाला इंसान मिलेगा, एकता की बात सुनकर सब लड़के वाले और बाकी मेहमान चले जाते हैं, सुमित्रा जी तनाव में आ जाती है, लेकिन निधि और राकेश उन्हें आगे बढ़कर संभाल लेते हैं।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खंडेलवाल
मौलिक अप्रकाशित रचना
#घर की इज्जत