रूपमती जी मौका देखती रहती कि कब बहू कुछ ऐसी गलती करें कि उन्हें बहू को टोकने का मौका मिल सकें !!
एक दिन पड़ोस वाले सुनीता भाभी के पति राजेश जी हॉस्पिटल जाने स्कूटी से घर से निकले ही थे कि उन्हे विमला जी भी घर से निकलते नजर आई चूंकि दोनों एक ही हॉस्पिटल में काम करते थे , विमला जी को देखते ही वे बोले भाभीजी , आईए मेरी स्कूटी पर बैठ जाईए , मैं भी हॉस्पिटल ही जा रहा हुं !! विमला जी बेचारी आज पहले से वैसे ही लेट हो चुकी थी , उन्होने भी राजेश जी के आग्रह को स्वीकार कर लिया और वे राजेश जी के पीछे स्कूटी पर बैठकर हॉस्पिटल के लिए निकल गई !!
रास्ते में उन्हें उनकी मौसी सास कलावती जी ने देख लिया !! कलावती जी ने तुरंत अपनी बहन रूपमती को फोन किया और बोली रूपमती , जरा बहू पर लगाम रखो !! भरी जवानी में विधवा हो गई इसका मतलब यह नहीं कि पति के मरने के बाद गुलचर्रे उड़ाए !!
रूपमती जी बोली तुम कहना क्या चाहती हो ? साफ साफ कहो !!
कलावती जी ने अपना आंखो देखा हाल बयां कर दिया और बोली मेरी तरह ना जाने आज कितने लोगों ने तुम्हारी बहू को पडोस वाले राजेश के साथ देखा होगा , उससे पहले कि जगहंसाई हो रोक लो उसे !!
आज शाम जब विमला जी नौकरी से वापस लौटी रूपमती जी गुस्से में बोली शर्म नहीं आती तुम्हे , क्यूं हमारी नाक कटवाने पर तुली हो ??
विमला जी बोली मांजी क्या हो गया ?? मैंने क्या किया ??
रूपमती जी बोली बहू , तुम हमारा खर्च पुरा करती हो इसका मतलब यह नहीं कि तुम बाहर जाकर गुलचर्रे उडाओगी और हम बर्दाश्त कर लेंगें !!
पडोस वाले राजेश के साथ चक्कर भी चला रही हो और नौकरी भी कर रही हो , तुम्हारे तो दोनों काम एक साथ हो रहे हैं !!
मेरे बेटे चंद्रशेखर को मरे अभी छः महीने ही हुए हैं और तुमने दूसरे आदमियों पर डोरे डालने भी शुरू कर दिए !!
विमला जी बोली मांजी यह कैसा संगीन आरोप लगा रही हैं आप मुझ पर ??
मैं यह नौकरी अपना घर परिवार चलाने के लिए कर रही हुं गुलचर्रे उड़ाने नहीं !!
आज राजेश जी रास्ते में मुझे मिल गए थे और हॉस्पिटल ही जा रहे थे इसलिए मैं भी उनकी स्कूटी पर बैठकर चली गई थी !!
इसका मतलब अगर कोई गलत निकालेगा तो इसमें मेरी क्या गलती हैं ??
रुपमती जी बोली गलती तो हमारी है बहू की हम तुझे यह नौकरी करने दे रहे हैं !!
आज से तुम कोई नौकरी वौकरी पर नहीं जाओगी और घर पर ही रहकर काम करोगी !!
विमला जी बोली घर पर रहकर आपकी दवाइयों का खर्च , बच्चों की पढ़ाई का खर्चा कहां से लाऊंगी ??
वह मुझे नहीं पता बस मैं इतना जानती हूं कि हमारे घर की बहू बाहर जाकर नौकरी नहीं करेगी ताकी हमारा नाम खराब ना हो !!
विमला जी बोली मैं आई हुई नौकरी ऐसे हाथ से नहीं जाने दे सकती मांजी !!
मुझे मेरे बच्चों का खर्चा भी निकालना है , उनका भविष्य संवारना है , मैं यह नौकरी नहीं छोड़ सकती और रुपमती जी से बगावत कर विमला जी ने अपनी नौकरी जारी रखी !! जिस कारण अब सास- बहू की बिल्कुल भी नहीं बनती थी !!
एक दिन अचानक रुपमती जी के पति कैलाश जी को दिल का दौरा पडा और उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा , उनकी बाईपास सर्जरी हुई जिसका पूरा खर्च कुल मिलाकर साढ़े तीन लाख रुपए हुआ और तब यह सारा खर्च विमला जी ने उठाया !!
विमला जी ने अपनी नौकरी और अचार पापड़ से जो भी पैसे जमा किए थे वह सारे ससुर जी की बीमारी में उड़ गए तब जाकर रुपमती जी को विमिला जी की कद्र हुई और उन्होंने अपनी बहू विमला से माफी भी मांगी !!
रूपमती जी बोली बहू मुझे माफ कर दो , मैंने तुम पर शक किया जबकि अगर आज तुम ना होती तो तुम्हारे ससुर जी की जान भी ना बच पाती !!
विमला जी अब भी पहले की तरह रोज नौकरी जाती !! धीरे धीरे बच्चे भी बड़े हो रहे थे और उम्र के ढलते ढलते विमला जी के सास ससुर का भी निधन हो चला था !!
आलोक और सीमा भी पढ़ लिखकर नौकरी पर लग चुके थे इसलिए अब उन्होने विमला जी को घर पर रहकर आराम करने कह दिया था !! विमला जी भी इतने सालों की भागदौड़ करके थक चुकी थी इसलिए उन्होने भी बच्चों की सलाह मान ली !!
सीमा के लिए अच्छे रिश्ते आने लगे थे , उन्हीं में से एक रिश्ता पसंद आ जाने पर सीमा का भी ब्याह हो गया !!
अब विमला जी आलोक को भी शादी करने मनाने लगी क्योंकि आलोक अभी शादी नहीं करना चाहता था !!
आलोक के लिए लड़की देखने का जिम्मा आलोक की बुआजी सुधा जी ने ले लिया और आलोक और विमला जी को लड़कियां दिखाने लगी !!
एक बार बुआजी आलोक के लिए सलोनी का रिश्ता लेकर आई !! सलोनी बुआजी के देवर की बेटी थी !! सलोनी नौकरी करती थी और घर भी अच्छे से संभाल लेती थी , बुआजी ने सलोनी की इतनी तारीफ की कि विमला जी ने लड़की की ओर ज्यादा खोज खबर निकालना जरूर नहीं समझा , आलोक अब भी शादी के लिए तैयार ना था मगर बुआजी कहां मानने वाली थी , वह बोली – आलोक मेरी भतीजी के लिए रिश्तों की कमी नहीं हैं वह तो मैंने मेरे देवर के घरवालों को तेरी फोटो दिखा दी तो उन लोगों ने तुझे पसंद कर लिया और अब तु हैं कि इतना अच्छा रिश्ता रिश्ता हाथ से जाने देना चाहता हैं !! वैसे तो कभी विमला जी और सुधा जी की बनी नही थी मगर आज सामने से सुधा जी इस रिश्ते के लिए इतना जोर दे रही थी कि विमला जी भी बेटे आलोक से बोली आलोक बुआजी सही कह रही हैं लड़की पढी-लिखी और नौकरी करने वाली हैं , घर का काम काज भी जानती हैं और क्या चाहिए हमें ?? बुआजी ने भी बहुत गुणगान गाए इसलिए आलोक और विमला जी ने इस रिश्ते पर आंख बंद करके विश्वास कर लिया !! आलोक जो अब तक ना नुकुर कर रहा था अपनी मां मौर बुआजी के सामने हथियार डाल चुका था !! थोडे दिनों बाद धूमधाम से सलोनी और आलोक की शादी हो गई !!
शुरुवाती दिन अच्छे से कट ही रहे थे कि आलोक बोला सलोनी अब तुम्हें नौकरी वापस ज्वाइन करनी हैं तो तुम कर सकती हो !!
सलोनी बोली आलोक !! मैं अब नौकरी नहीं करूंगी , मैं तो बस शादी करके घर में ही रहना चाहती थी , नौकरी तो बस इसलिए ही करती थी क्योंकि आजकल लड़के वाले भी यहीं चाहते हैं कि उनको पढी लिखी नौकरी करने वाली बहू मिले !!
आलोक बोला तुम पढी लिखी हो सलोनी तो तुम घर पर क्यों बैठना चाहती हो ?? दो पैसे कमाओगी तो अपने पैरो पर खडी कहलाओगी और घर खर्च में भी मदद कर पाओगी !!
सलोनी गुस्से में आकर बोली मैंने शादी तुम्हारे घर खर्च में मदद करने नहीं की समझे , मैं तो घर पर रानी बनकर रहुंगी !! मेरे पहले से ख्वाब थे कि मैं घर और बाहर का कुछ काम ना करूं और सिर्फ रानी बनकर घर पर राज करूं !!
विमला जी भी बेटे बहु का संवाद सुन रही थी क्योंकि आलोक और सलोनी की आवाज बहुत तेज आ रही थी !!
आलोक बोला तुम कहना क्या चाहती हो ?? साफ साफ कहो मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हुं !!
सलोनी बोली यहीं कि घर का काम तो तुम्हारी मां कर लेती हैं और बाहर नौकरी का काम तुम कर लेते हो !! मैं तो रानी बनकर आराम करूंगी यहां !!
सलोनी की यह बचकानी बाते सुन आलोक हक्का बक्का रह गया !! थोडे दिन तो उसने सोचा कि शायद सलोनी धीरे धीरे परिवार में रचने बसने लग जाएगी , अभी नई नई ही तो शादी हुई हैं मगर यह क्या जैसे जैसे दिन गुजर रहे थे सलोनी की ज्यादतियां भी बढ़ती जा रही थी !!
सलोनी घर का कुछ काम नहीं करती , यहां तक कि खाना खाकर अपनी थाली तक नहीं उठाती थी !! विमला जी घर का सारा काम
चुपचाप कर लेती क्योंकि सलोनी गुस्से की बहुत तेज थी !!
एक बार विमला जी ने सिर्फ इतना ही कहा था कि सलोनी खाना खाकर अपनी थाली तो खुद उठा लिया करो , उस पर सलोनी ने इतना गुससा किया कि अब विमला जी एक शब्द नहीं बोलती थी !!
हद तो तब हो गई जब रोज रात सलोनी आलोक से भी झगड़ा करती !! कभी कहती उसे सोने का हार चाहिए तो कभी कहती कल की कल मुझे घूमाने ले चलो !!
आलोक बिचारा अकेले घर का खर्च निकालने वाला आदमी था !! ऑफिस से आए दिन छुट्टी भी नहीं ले सकता था !!
वह सलोनी की हरकतों से तंग आने लगा था मगर थोड़े ही दिनों में सलोनी ने खुशखबरी दी कि वह मां बनने वाली हैं !! आलोक और विमला जी खुश हो गए और सोचने लगे शायद वक्त के साथ सलोनी भी सुधर जाए मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ !!
नौ महिने बाद सलोनी ने एक बेटी को जन्म दिया मगर उसके व्यवहार में कोई बदलाव ना था !! वह अब भी अपने आगे आलोक और विमला जी की कोई इज्जत नहीं करती थी !!
एक दिन आलोक विमला जी से बोला – मां बुआजी ने हमसे ना जाने किस जन्म का बदला लिया हैं कि उनकी ऐसी भतीजी हमारे मत्थे मंड दी !!
विमला जी को मन में अब तक यहीं लग रहा था कि शायद उनकी नंन्द सुधा जी ने जान बूझकर इस झगड़ालू लड़की को हमारे माथे मंड दिया था और लगना वाजिब भी था क्योंकि सुधा जी ने कभी विमला जी का अच्छा नहीं चाहा था आज तक !! हमेशा एक नन्द वाला रौद्र रूप दिखाती थी सुधा जी मगर इस बार जाने विमला जी कैसे उनकी बातों में आ गई खैर इसे ही अपनी किस्मत मान दोनों मां बेटा जी रहे थे बस !!
वह कहते हैं ना एक परेशानी जब आती हैं तो वह परेशानियों का पहाड लेकर आती हैं !! अभी इन गमों से उभरे भी नहीं थे मां बेटा कि आलोक को कैंसर जैसी बीमारी न अपनी चपेट में ले लिया और वह बीमार रहने लगा , उसे अपनी नौकरी भी छोड़नी पडी !!
विमला जी पर तो जैसे दुःखों का पहाड़ ही टूट पडा था और सलोनी वह भी पति की बीमारी से निराश हो गई थी !! सलोनी अपने बच्चे की देख रेख तो सही से कर नहीं पाती थी और ऐसे में पति की इतनी बड़ी बीमारी का दुःख !!
उपर से आलोक के इलाज के लिए लाखों रूपए का खर्च बताया था डॉक्टर ने , वह कैसे पुरा किया जाए ?? इस बात की चिंता करते रहते दोनों सास- बहू !!
आलोक की बीमारी के कारण सलोनी की भी अक्ल ठिकाने लग गई थी और उसने फैसला किया कि वह नौकरी फिर से ज्वाइन करेगी मगर विमला जी बोली सलोनी तुम्हारे नौकरी ज्वाइन करने से सिर्फ घर खर्च निकलेगा !! आलोक के इलाज के लिए पैसे कहां से आएंगें और मुन्नी भी तो तुम्हारे बिना कहां रहती हैं ??
सलोनी को भी सास की बात सही लगी मगर अब क्या कर सकते थे ?? विमला जी और सलोनी ने मिलकर घर पर ही आचार पापड बनाने का काम चालू कर दिया जो विमला जी पहले भी किया करती थी ताकि सलोनी को भी बच्ची को छोड़कर नौकरी पर ना जाना पडे !! सास बहू मिलकर घर का काम , आमदनी करना और आलोक का ध्यान रखना सब कुछ एक साथ कर लेते थे !! आलोक भी बहुत चिंता में डूबा रहता था क्योंकि वह अब घर परिवार की कुछ मदद नहीं कर पा रहा था !!
आज जब पापड बनाते वक्त विमला जी को इतनी उल्टियां और चक्कर आने लगे तब सलोनी को पता चला कि उसकी सास प्रेग्नेंट हैं और आज वह इसी बात पर विमला जी पर इतना चिल्ला कर चली गई थी !!
विमला जी अतीत से वर्तमान में लौटी और सलोनी के कमरे में जाकर बोली बहू , मैं पहले जिस अस्पताल में काम करती थी वहां प्रेगनेंट लेडिज आती हैं या वह लेडिज आती हैं जिनको बच्चा नहीं हो रहा होता था !!
मैं थोड़े दिन पहले उस अस्पताल में बडे डॉक्टर से आलोक के इलाज के लिए पैसे लेने गई थी !! चूंकि मेरी कम उम्र में ही शादी हो गई थी और मैं अभी भी ज्यादा बूढी नहीं हुई हुं !! डॉक्टर ने मुझे बताया कि एक कपल परिवार सेरोगेसी से बच्चा चाहता हैं !! अगर तुम उन्हें सेरोगेसी दवारा बच्चा करके दोगी तो वह लोग तुम्हें इसके बदले चार लाख रुपए देने तैयार हैं !!
मैंने डॉक्टर साहब से तुरंत हां कह दी क्योंकि मुझे मेरे बेटे की जान बचानी हैं !!
आज जैसे ही मैं यह खबर डॉक्टर साहब को दुंगी, हमें चार लाख रुपए मिल जाएंगे और मैं नौ महिने के लिए उन दंपती के बंगले में जाकर रहुंगी !!
तुम यहां लोगों से कह देना कि मैं थोड़े महिनों के लिए अपनी बहन के यहां रहने चली गई हुं !!
बहू मैं तो बस अपना दायित्व निभा रही हुं बोलते बोलते विमला जी सिर झुकाकर खड़ी हो गई !!
सासू मां की यह सारी बातें सुन सलोनी की आंखें भर आई थी !!
वह बोली मां मुझे माफ कर दो , मैंने आपके बारे में ना जाने कितना गलत गलत सोच लिया , एक तरफ आपको ग्लानि भाव हो रहा हैं और एक तरफ आपको अपने बेटे की जान भी बचानी हैं !! आपने इतना बड़ा त्याग दिया हैं हमारे लिए और मैंने ना जाने गुस्से में आपको क्या क्या कह दिया !! यह आपका दायित्व नहीं मां आपका त्याग हैं , उपकार हैं आपका जिसका ऋण मैं कभी नहीं चुका पाऊंगी !!
विमला जी भी रोने लगी और बोली बहू ईश्वर अगर एक रास्ता बंद कर देता हैं तो दूसरा रास्ता खोल भी देता हैं !!
अब यही रास्ता हमें परेशानियों से उभरने में मदद करेगा !! तुम आलोक को सारी सच्चाई बता देना और अब कुछ महिने तुम्हें आलोक को अकेले ही संभालना पड़ेगा !!
सलोनी ने भरी आंखों से सहमति जताई और लगभग एक सप्ताह बाद विमला जी उन दंपती के घर रहने चली गई !! आस पड़ोस के लोगों को बताया गया कि वे अपनी बहन के घर रहने गई हुई हैं !!
सलोनी हर सप्ताह अपनी सास से मिलने बंगले पर जाती थी और उनका हालचाल लेकर आती !! यहां आलोक की तबीयत में धीरे धीरे सुधार हो गया था और वह ऑफिस ना जाने के कारण घर से काम करने लगा था !!
आलोक अपनी मां के प्रति नतमस्तक हो चुका था जिसने अपने बेटे की जान बचाने के लिए किसी ओर जान को जन्म देने का फैसला किया था !! नौ महिने बाद विमला जी ने एक बेटे को जन्म दिया और वह दंपती खुश हो गए !!
अच्छा इलाज मिलने से आलोक भी स्वस्थ हो चुका था और वह फिर से काम पर जाने लगा था !!
दुःख के दिन गुजर चुके थे !! सलोनी भी सुधर चुकी थी और अब वह अपनी सास की बहुत इज्जत करती थी जिन्होने अपने बेटे की जान बचाने के लिए इतना बडा कदम उठाया था !! साथ साथ उसे अपने पति की अहमियत भी पता चल चुकी थी !!
दोस्तों , जो सच आंखों से देखा जाता हैं जरूरी नहीं कि वहीं हमेशा सच होता हैं !! कुछ सच राज तले दबे होते हैं इसलिए किसी को भी तुरंत जज ना करें क्योंकि हमें पता नहीं होता कि सामने वाला किन हालातों से गुजर रहा होता हैं !!
आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर दे
आपकी सखी
स्वाती जैंन